Wednesday, July 11, 2018

A rendezvous with Desi Facebook

The facebook is such a big hit. The people get news about all their friends, all gossips, jokes, videos on their wall. So Facebook is a place where you get all the updates. We are so used to Facebook, that it’s hard to imagine how people got those updates without any such platform before these social media sites became a craze. So you start to feel that it is the Firangs who had this idea of Facebook and other social media. Some cribbing souls also start to feel that, Why we Indian never thought of something like this.

                                     Well we Indians never thought of creating any Facebook, because we already had a mechanism in place by which everyone could get updates on what’s happening around. Well I won’t play a guessing game here... Our version of Facebook was nothing but a Barber shop. You visit a barber shop in a village, and there you get all updates on what is happening with everyone in the society. A village barber is a repository of all gossips and insider information. And you know what? You get all these information free. You just need to go there and sit. It’s not necessary that you visit a barber shop only when you need a haircut or shave, people visit barber shop just to get themselves with the gossips.

So last weekend when I was home, I decided to log off from the web facebook for a change and log in to the desi facebook. I went there to get a shave and sat there. People were discussing about Baba Ramdev who is on a long tour of Bihar these days. He is organizing various Yoga Camps in almost every district headquarter. He is due to visit my hometown too this week. There are big big posters everywhere for the Yoga Camp, advertising about benefits of yoga and how only a ticket of Rs 250 can help them get rid of all their ailments through Yoga.


So here is the scene.. I am sitting in the chair and getting a Denim Shave (that’s the costliest variety available in our Village barber shop). Barbers fingers can take a rest but his motor mouth never takes a rest. He keeps on talking talking and talking. So he is discussing the upcoming Baba Ramdev’s Yoga Camp with another customer, Who is standing in the shop. Here is a part of conversation I heard,. I could have translated this, but somehow I felt, the soul of this conversation might get lost in translation. So it is produced as it was.. My contribution is simply removing the un-parliamentary words they used in between the conversation.


Read on..

नाई  : भैया कुछ सुने कि नहीं ... ढाई सौ का टिकट है साधू बाबा को देखने का .. साला इतना पैसा देकर  उसको देखने जायेंगे?

ग्राहक : ढाई सौ टका में बच्चा बुच्ची का एक महिना का तरकारी सब आ जायेगा .. और हम इ टका देकर उसका ढाढ़ी देखने जायेंगे क्या?

नाई : ढाढ़ी ही देखना है.. तो मेरे अब्बा का ढाढ़ी उससे जबर है.. टका देकर उसको देखने काहे ला   जायेंगे ?

ग्राहक :  अरे हम कहते हैं कि हेमा मालिनी जब आई थी , तो उसको देखने का कोई टिकट  नहीं था , इ रामदेव बाबा उससे सुन्दर है क्या? चोरकट लुच्चा !!

नाई :  वोही तो .. उससे सुन्दर सुन्दर आदमी आता है मेरा दूकान पर बाल कटवाने के लिए .. उसको नय देखेंगे कि सधुआ को देखने जायेंगे..

ग्राहक : और तो और.. ( एक देसी गाली देकर ) कोई काम का बात बताये तो जैबो करें ? भोरे भोर उठ के खेत पथार जायेंगे कि योगा करेंगे ? ..  इ सब पैसा कमाने का तरीका है . बुडबक समझ के रखा है हमको.

नाई : साला तुम साधू महात्मा हो.. तुमको पैसा से क्या मतलब? इतना इतना टका कमा के क्या करोगे? कोई बाल बुच्ची, घर  परिवार है तुमको ? साधू वाला कपडा पहन लियो हो लेकिन मन से लोभ लालच गया नहीं है. इ  तो नहीं होगा कि किसी गरीब गुरबा को दू पैसा का मददे  कर दें?

ग्राहक : सही में.. इ सब ढोंगी साधू को पैसा देने से अच्छा होगा कि किसी गरीब की बेटी की शादी में  पचास टका दे दें.. साला मन में इ तो होगा की किसी का उद्धार कर दिए !!

नाई : इ नीतिशो कुमार को इ सब साधू को पकड़ के साला जेल में सडाना चाहिए.. तब इ सब का चाल सुधरेगा !! डकैते न है इ सब? खुलेआम लूट !!

ग्राहक : अरे सबका हिस्सा फिक्स है .. कुच्छो नहीं होगा ..  ऊपर से नीचे तक खाली धांधली है !!
नाई : बैठिये न.. दू ठो  आदमी के बाद आपही का नंबर है.. बना देंगे ढाढ़ी..

ग्राहक : नाय नाय .. आज शनीच्चर  को हम  ढाढ़ी ठाढ़ी नय बनायेगे.. ऊ तो इधर ऐसे ही बकरी खोजने आ गए थे.. देखे हो ऊजरा रंग का पाठा और करिया बकरी इधर कहीं ?

नाई : हमको यही सब काम है.. गाहक छोड़ के आपका बकरी जोगेंगे ? देखिये किसी के बाड़ी में घुस गया होगा तो फिर दंड भरियेगा..

ग्राहक : ठीक है.. आते हैं  बुध ब्रेहस्पत को  .. आराम से बनवायेगे ढाढ़ी..  सोसराल भी जाना है अगला हफ्ता ..

नाई (ग्राहक के जाने के बाद  ) : इ सब को न कोय काम है नहीं .. बस डेली का यही रूटीन  है .. भोरे भोरे आना और भाषण दे के निकल लेना ..  आपका बाल  भी बना दें क्या?

मैं : नाय नाय .. आज रहने दीजिये.. अभी छोटे है बाल.. दू  हफ्ता बादे बनवायेंगे .. इ लीजिये अपना पैसा काटिए .

नाई : अभी तो दूकान खोल्बे किये हैं .. नमरी का खुदरा कहाँ से आएगा.. दुपहर में आके दे दीजियेगा.. गाँव समाजे के हैं.. कहाँ जाएयेगा..



And here I logoff from Desi facebook with a nice looking face !!

© Shekhar Suman

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