अंग्रेज चले तो गये पर कुछ ऐसी चीजें पीछे छोड़ गये जिससे वो रहें न रहें उनका काम होता रहे। अब भला अंग्रेजों का काम क्या था? भारतीयों का मनोबल गिरा कर रखना, उन्हें हमेशा यह याद दिलाना कि उनका कुछ नहीं हो सकता। उनका इतिहास भले ही स्वर्णिम रहा हो, पर भविष्य अंधकारमय है। भला यही करके तो उन्होंने भारतीयों पर ऐसे शासन भी किया। और हमपर उनकी ग़ुलामी का ऐसा असर देखिये, कि इतना करने के बावजूद हमारे काफी लोगों को लगता है किया कि हम पर राज कर उन्होंने हम पर एहसान ही किया।
अंग्रेजों के इस बेइज़्ज़त कर राज करने के गूढ़ फॉर्मूले को कोई एक शब्द अपने में समेटे हुए है तो वो शब्द है अंकल। अंकल दो शब्दों से मिलकर बना है, अन और कल। मतलब जिसका कोई कल न हो। जिसकी उमर हो चली हो। जो बुड्ढा हो चुका हो। बस किसी को अंकल कह दो, उसे यह संदेश चला जाता है कि चचा आपका वक़्त पूरा हो चुका है। आपका गेम ओवर। यह एक शब्द अंकल सामने वाले के आत्मविश्वास को जितने बुरे तरीके से घायल करता है , उतने बुरे तरीके से तो भंसाली की फिल्में इतिहास को घायल नहीं करती। उतने बुरे तरीके से तो आईपीएल ने क्रिकेट का बंटाधार नहीं किया। उतने बुरे तरीके से तो महेश भट्ट की फ़िल्म सड़क ने फ़िल्म टैक्सी ड्राइवर का कबाड़ा नहीं किया था।
अंग्रेजों के इस बेइज़्ज़त कर राज करने के गूढ़ फॉर्मूले को कोई एक शब्द अपने में समेटे हुए है तो वो शब्द है अंकल। अंकल दो शब्दों से मिलकर बना है, अन और कल। मतलब जिसका कोई कल न हो। जिसकी उमर हो चली हो। जो बुड्ढा हो चुका हो। बस किसी को अंकल कह दो, उसे यह संदेश चला जाता है कि चचा आपका वक़्त पूरा हो चुका है। आपका गेम ओवर। यह एक शब्द अंकल सामने वाले के आत्मविश्वास को जितने बुरे तरीके से घायल करता है , उतने बुरे तरीके से तो भंसाली की फिल्में इतिहास को घायल नहीं करती। उतने बुरे तरीके से तो आईपीएल ने क्रिकेट का बंटाधार नहीं किया। उतने बुरे तरीके से तो महेश भट्ट की फ़िल्म सड़क ने फ़िल्म टैक्सी ड्राइवर का कबाड़ा नहीं किया था।
अंकल शब्द का पैनापन उसके द्वारा की गई बेइज़्ज़ती तक ही सीमित रहता तो कोई बात नहीं। लोग बेइज़्ज़ती का बदला ले सकते है, मगर उस चीज़ का बदला कैसे लें, जिसे सम्मान की दुशाला ओढा कर आपके ओर फेंक दिया गया है। भाई , आपको अंकल कहा, आपका सम्मान किया। कोई कमअक्ल थोड़े ही कहा है। सुनने में भले ही अंकल और कमअक्ल एक जैसे लगें, लेकिन हमने तो आपको अंकल कहा है, अब आपको कमअक्ल सुनाई दे रहा है तो शायद आपके सुनने की ताकत कम हो रही है । बढ़ती उमर का तकाजा है।
यह लो। सफाई देने के चक्कर में आपको अंकल कहने वालों ने आपको एक और तमगा दे डाला। न केवल आपकी उमर हो चली है, आपकी अकल भी कम है और आप ऊंचा भी सुनने लगे हो। अब आप ही कहो यह अंकल शब्द गाली नही तो क्या है। गाली भी कोई साधारण गाली नही, साधारण गाली देने वाले को वही गाली वापस से देकर अपनी फ़ज़ीहत थोड़ी कम की जा सकती है। कमीने।
तू कमीना।
तेरी माँ।।
तेरी भी माँ।
साधारण गालियों का साधारण हिसाब। अब अंकल कोई साधारण गाली तो है नहीं, जिसने आपको अंकल कहा, उसे वापस अंकल नहीं कह सकते। दादू नहीं कह सकते। बस एक ही बात कह सकते है। हां बेटा। कुछ कह रहे थे आप।
आपके जवाब ने यह सिद्ध कर दिया कि आपका आईफोन, आपकी महंगी जीन्स और आपका हेयर डाई सब मिलकर भी आपकी उमर छुपा ना सके। आपने मान लिया कि आपका वक़्त गुज़र चुका है। अंकल शब्द सुनना कुछ वैसा ही है जैसे परशुराम द्वारा राम का धनुष तोड़ते देखना। एक तो आपका धनुष गया , ऊपर से यह भी पता चला कि आपके मॉडल का दूसरा नया वर्सन मार्केट में आ चुका है। अब आपकी वही औकात है जो आईफोन एक्स से सामने नोकिया 3310 की है। अच्छा होगा कि अब आप अपने जंग लगे फरसे को उठाओ और पतली गली से निकल लो।
पर अंकल शब्द को इतना भी दिल से लगाने की जरूरत नहीं है। अंकल शब्द आपको वो संदेश देता है जो गीता में श्रीकृष्ण ने दिया था। वही कि समय सबसे बलवान है। आप कितने भी बड़े सूरमा हों, आपका आज अंकल और कल आपका पितामह बनना तय है। अंकल कह कर नई पीढ़ी ने आपको समय रहते चेताया है कि आप बुढ़ापे के शरशय्या से ज्यादा दूर नहीं हो। बाकी आप खुद समझदार हो, आप चाहो तो अंकल कह आपकी बेइज्जती करने वाले अभिमन्यु का प्रतिकार कर बदला ले सकते हो । लेकिन इतिहास आपको अभिमन्यु वध के लिये माफ नही करेगा। समझदारी इसी में है कि चचा, अंकल, अंकल जी जैसे शब्दबाण अपने सीने में लगने दें। उफ़ तक ना करें। बेइज़्ज़ती किसी तरीके से आपकी कम नहीं हो सकती। दर्द तो वक्त के साथ बढ़ता ही जायेगा। अंकल शब्द सुन चेहरे पर मुस्कान की हल्की रेखा आने दें। कम से कम शहादत तो हाथ लगेगी। भागते भूत की लंगोटी भली। हारे को हरिनाम। जय श्री राम।
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