आपका इतिहास, आपका भूत, आपकी पीठ पर बैठा बैताल है। आपको कहानियां सुनाता रहता है। आपको सुननी पड़ती है, सुननी भी चाहिये। कहानियां अच्छी सुनाता है, काफी सीख देता है। समस्या यह है कि बैताल आपकी कुछ नहीं सुनता। आपने अपनी कोई बात उसको समझाने की कोशिश की नहीं कि अगले ही पल आप अपने बैताल के पीछे भागने लगते है। घूम फिर कर बैताल वापस आपको वहीं ले आता है जहाँ आपने शुरुआत की थी। सारा किया धरा बराबर, फिर से बैताल की वही कहानियां।
अपने बैताल रूपी भूत को अपने पीठ पर ढोना आपकी मजबूरी है, उसकी कहानियां सुनना भी आनंददायक है। बस उसकी कहानियां सुने, उससे वार्तालाप न करें। उसको बदलने की कोशिश ना करें, वरना आपका निकट भविष्य अपने भूत का पीछा करने में ही बीतेगा। आपका बैताल आपकी गाडी में लगा पीछे देखने वाला शीशा है, जरूरी है बीच बीच में उसे देखना, पर सिर्फ उसे देख कर आप गाडी नहीं चला सकते।
अपने बैताल भूत की सुनें, उसकी सीख को अपनाएं और उसे ऐसा कोई मौका न दें जिससे वह आपको वापस वहां ले जाये, जहाँ वह हमेशा उल्टा दिखता आप पर हँसता है। वहां जाकर आपको महसूस होता है कि यह बैताल न केवल मुझे उल्टा दिख रहा है बल्कि मेरी नादानियों पर हँस भी रहा है। विक्रम का कर्त्तव्य है कि बैताल को सिर्फ अपने पीठ पर हावी होने दे न कि बुद्धि और सोच पर।
अपने बैताल से समझौता करें, उससे लड़कर उसको समझाने और बदलने की सारी कोशिश आपके भविष्य का बलिदान है, और कुछ नहीं।
अपने बैताल रूपी भूत को अपने पीठ पर ढोना आपकी मजबूरी है, उसकी कहानियां सुनना भी आनंददायक है। बस उसकी कहानियां सुने, उससे वार्तालाप न करें। उसको बदलने की कोशिश ना करें, वरना आपका निकट भविष्य अपने भूत का पीछा करने में ही बीतेगा। आपका बैताल आपकी गाडी में लगा पीछे देखने वाला शीशा है, जरूरी है बीच बीच में उसे देखना, पर सिर्फ उसे देख कर आप गाडी नहीं चला सकते।
अपने बैताल भूत की सुनें, उसकी सीख को अपनाएं और उसे ऐसा कोई मौका न दें जिससे वह आपको वापस वहां ले जाये, जहाँ वह हमेशा उल्टा दिखता आप पर हँसता है। वहां जाकर आपको महसूस होता है कि यह बैताल न केवल मुझे उल्टा दिख रहा है बल्कि मेरी नादानियों पर हँस भी रहा है। विक्रम का कर्त्तव्य है कि बैताल को सिर्फ अपने पीठ पर हावी होने दे न कि बुद्धि और सोच पर।
अपने बैताल से समझौता करें, उससे लड़कर उसको समझाने और बदलने की सारी कोशिश आपके भविष्य का बलिदान है, और कुछ नहीं।
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