Wednesday, July 11, 2018

अन्ना आप लौट जाओ।

अन्ना आप लौट जाओ।

इस शुक्रवार अगर ज़ायेद खान और अमीषा पटेल की कोई फ़िल्म रिलीज होती तो उसमें ज्यादा लोग दिलचस्पी दिखाते जितना आज आप के अनशन में दिखा रहे हैं। अन्ना ना सिर्फ ठगे गये बल्कि उनकी जीवन भर की कमायी गई विश्वसनीयता चंदे के रूप में उनसे छीन ली गई। अन्ना आप रालेगांव सिद्धि लौट जायें अपनी बची खुची इज़्ज़त लेकर। आपका शिकार किया जा चुका है, अभी जो आपके आसपास खड़े हैं वो सिर्फ और सिर्फ गिद्ध और चील हैं जो आपकी बाकी बची साख भी नोच खाएंगे। वो फिर से होते देखना दुखद होगा।

अन्ना आप लौट जाओ।

जहां तक जनता का सवाल है उनकी किस्मत में ईमानदार राजनीति के नाम पर वी पी सिंह और केजरीवाल जैसे नेता ही लिखे हैं। आप वो पेड़ का ठूंठ हो जिसके सीधे पुराने तने की सिल्ली काटकर लोगों ने अपने कुर्सी के पाये और अपने राजमहल के चौखट बना लिये। इसबार लोग आपकी जड़ उखाड़ कर सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बना लेंगे।

अन्ना आप लौट जाओ।

यह लड़ाई का मैदान नही है जहाँ आपने गोलियां सामने से चलती देखी है, यह रामलीला मैदान है, जहां पुतले जलाकर तालियां बजाने वाली भीड़ जमा होती है। आप पर तीर भी वही लोग चलाएंगे जो आपको सजा संवार कर खड़ा करेंगे। आप एक बार ठगे जाओ तो सामने वाले की गलती, दुबारा ठगे जाओ तो आपकी गलती। आप अपने अनशन के यज्ञ के हवनकुंड में खुद को झोंकने से पहले एक बार यह भी देख लो कि उस हवनकुंड में कोई अपने खिचड़ी का पतीला तो नहीं चढ़ा रहा। आपकी टोपी पहन कर कोई सबको टोपी न पहना जाये। इसबार शायद वो न हो, जनता भेड़िया आया की आवाज़ सुन पर इसबार शायद ना आये।

अन्ना आप लौट जाओ।

आप सच्चे हो, इसमें शायद ही किसी को संदेह हो। पर आपकी राजनीतिक सूझबूझ में बहुत कमी है। आपको दूसरा गांधी कहने वाले आपको यह नहीं बताते होंगे, कि पहले वाले गांधी जितने बड़े महात्मा थे, उतने ही बड़े राजनीतिक भी थे। आप गांधी बनने के चक्कर में मत पड़ो, आप अन्ना ही बने रहो। दिल्ली की मिट्टी और पानी में ही राजनीति है। यह मिट्टी पानी आपके लिए नही बनी है। आपके लिये एक गाना है, कि तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर जाग जरा।

अन्ना आप लौट जाओ ।

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