Wednesday, July 11, 2018

फुटबॉल और क्रिकेट

बाइस खिलाड़ी एक गेंद के पीछे भाग रहे हैं तो उसे फुटबॉल कहते हैं। दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल। लेकिन फुटबॉल के संचालक संस्थाओं में रचनात्मक लोगों की सख्त कमी है, वरना आज आपको सिर्फ फुटबॉल नही बहुत तरह के फुटबॉल मैच सुनने को मिलते।

क्रिकेट को देख लीजिये, रचनात्मक्ताओं की पराकाष्ठा है क्रिकेट संचालकों और दर्शकों में। बाईस खिलाड़ी सफेद कपड़ों में खेलें तो उसको कहते है टेस्ट क्रिकेट। खिलाड़ियो को रंगीन पाजामे पहना दो तो बन जायेगा एकदिवसीय क्रिकेट। चीयरगर्ल्स का डांस भी हो रहा हो तो बन जायेगा टीट्वेंटी क्रिकेट। बुड्ढे और रिटायर्ड लोग खेल रहे हों तो वो कहलाता है वेटरन्स क्रिकेट। गेंद गुलाबी हो तो पिंक बॉल क्रिकेट। टेनिस वालों की गेंद चुरा कर खेलो तो टेनिस बाल क्रिकेट। स्टेडियम के ऊपर छत लगी हो तो इनडोर क्रिकेट और अगर छत न तो तो नार्मल क्रिकेट। सुबह से शाम खेलो तो डे क्रिकेट, दोपहर से रात तक खेलो तो डे नाइट क्रिकेट। 24 साल के लड़के अपनी उम्र 19 बता कर खेलें तो अंडर 19 क्रिकेट। लड़कियों को खिलाओ तो वीमेंस क्रिकेट, फ्लॉप फिल्मी कलाकार खेलें तो सेलिब्रिटी क्रिकेट। 2 देश खेलें तो बायलेटेराल क्रिकेट , 3 खेलें तो ट्राईएंगुलर क्रिकेट।

अगर 8 देश खेलें तो यह विश्व कप भी हो सकता है, टीट्वेंटी विश्वकप भी हो सकता है और चैंपियंस ट्रॉफी भी हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर है कि कौन सा वाला आखिरी छह महीने में नही हुआ। अगर 6 महीने पहले विश्वकप हुआ हो और वही आठ देश फिर से खेल रहे हो तो उसको विश्वकप नही कहते , उसे चैंपियंस ट्रॉफी कहते हैं। और अगर विश्वकप और चैंपियंस ट्रॉफी दोनों 6 महीने पहले ही खत्म हुई हो और उन 8 देशों को फिर से खेलना हो तो आप उसे नॉक आउट क्रिकेट भी कहते हैं।

बिना आँखों वाले लोग खेल रहे हों तो ब्लाइंड क्रिकेट, आँखों वाले खेल रहे हों तो नैन मटक्का क्रिकेट। अगर खिलाड़ी सिर्फ पैसे के लिए खेल रहे हों तो उसे आईपीएल क्रिकेट कहेंगे। अगर खिलाडी सिर्फ सम्मान के लिए खेल रहे हों आप उसको काउंटी क्रिकेट कहते हैं । अगर खेलने पर खिलाड़ियों को न पैसा मिले और न सम्मान तो समझ लीजिये कि खिलाड़ी बांग्लादेश प्रीमीयर लीग क्रिकेट खेल रहे हैं। अगर खिलाड़ी किसी भी प्रकार के क्रिकेट में अगर पाकिस्तानी आ जाएं तो उसको फिक्स्ड क्रिकेट कहते हैं।

8 देशो में सिर्फ चार भूरी चमड़ी वाले देश वाले खेलने को राजी हों तो आप उसको एशिया कप क्रिकेट कहते हैं, और सिर्फ दो गोरे देश खेलें तो एशेज क्रिकेट। ट्विटर वाली जनता जो किसी चीज़ पर 5 मिनट से ज्यादा ध्यान नही लगा पाती उनके लिए टी-10 क्रिकेट है तो हरेक फ़िल्म के सिर्फ हॉट सीन को फारवर्ड कर कर के देखने वाले उतावले लोगों के लिए है सुपर सिक्सर क्रिकेट। मैदान की जगह गली में खेल रहे हो तो गली क्रिकेट और बिना बल्ले, गेंद के क्रिकेट खेलना हो तो आपके लिये बुक क्रिकेट है।

इतना भी काफी नही है , मेरा अनुमान है आगे हमें और भी तरह की क्रिकेट देखने को मिलेंगे। लड़के लड़कियों की कपड़े पहन के खेलें तो उसको कपिल शर्मा क्रिकेट कहेंगे। बिना वैक्सीन्ग किये मूछों वाली लड़कियों के क्रिकेट को फेमिनिस्ट क्रिकेट कहेंगे। धारा 377 का विरोध करके टीवी न्यूज पर आने वाली जनता अगर अपना क्रिकेट शुरू करें तो उसको एल जी बी टी क्रिकेट कहेंगे। हालांकि अभी यह साफ नही है कि अगर दोनों टीमें बल्ला लेकर मैदान पर उतरेंगी तो बिना गेंद के सिर्फ बल्ले से क्रिकेट कैसे खेली जाएगी।

और हमारा फुटबॉल सिर्फ फुटबॉल ही है। उसे क्रिकेट से सीखने की सख्त जरूरत है।

No comments: