कहावत कहती है कि एक चुप सौ को हराता है । कहते हैं कि कुत्ता मनुष्य सबसे अच्छा दोस्त है । संत कवि तिरुवल्लुवर ने कहा था कि वीणा मधुर है और वंशी मधुर है, ऐसा वही कहते हैं जिसने नवजात की किलकारी नहीं सुनी । चलचित्रों में चार्ली चैपलिन का कार्य सर्वोत्तम की श्रेणी में रखा जाता है । अंग्रेजी गायक रोनन कीटिंग के एक गाने की पंक्ति में प्रेमी कहता है कि जब तुम कुछ नहीं कहती तो सब कुछ कह जाती हो।
ऊपर के सारे उद्धरण एक ही दिशा में इंगित करते हैं। शायद चीज़ें बेहतर होती हैं जब आपकी भाषा मौखिक न हो । यह बात गौर करने लायक है कि पूरे जगत में मनुष्य ने ही मौखिक और लिखित भाषा का विकास किया है । और समस्त प्राणी जगत में मनुष्य ही एक प्राणी है जो झूठ बोल सकता है । क्या सच और झूठ की उत्पत्ति भाषा की उत्पत्ति के बाद हुई? क्या बिना भाषा के विकास झूठ बोलना संभव था ? बच्चे भगवान का रूप कहे जाते हैं क्योंकि वह झूठ नहीं बोलते या उन्होंने पूरी तरह भाषा की विद्वता प्राप्त नहीं की होती है । आखिर बच्चों और बड़ों में क्या फर्क आ जाता है कि भगवान का रूप कहे जाने वाले बच्चे बड़े होकर भगवान नहीं कहलाते । क्या भगवान भगवान इसीलिए कहलाते हैं कि वह मंदिरों, मस्जिदों और गिरजाघरों में वह कभी कुछ नहीं बोलते । शायद यही कारण है ईश्वर की लाठी में आवाज़ नहीं होने की बात कही गयी है ।
ऊपर के सारे उद्धरण एक ही दिशा में इंगित करते हैं। शायद चीज़ें बेहतर होती हैं जब आपकी भाषा मौखिक न हो । यह बात गौर करने लायक है कि पूरे जगत में मनुष्य ने ही मौखिक और लिखित भाषा का विकास किया है । और समस्त प्राणी जगत में मनुष्य ही एक प्राणी है जो झूठ बोल सकता है । क्या सच और झूठ की उत्पत्ति भाषा की उत्पत्ति के बाद हुई? क्या बिना भाषा के विकास झूठ बोलना संभव था ? बच्चे भगवान का रूप कहे जाते हैं क्योंकि वह झूठ नहीं बोलते या उन्होंने पूरी तरह भाषा की विद्वता प्राप्त नहीं की होती है । आखिर बच्चों और बड़ों में क्या फर्क आ जाता है कि भगवान का रूप कहे जाने वाले बच्चे बड़े होकर भगवान नहीं कहलाते । क्या भगवान भगवान इसीलिए कहलाते हैं कि वह मंदिरों, मस्जिदों और गिरजाघरों में वह कभी कुछ नहीं बोलते । शायद यही कारण है ईश्वर की लाठी में आवाज़ नहीं होने की बात कही गयी है ।
शायद भाषा ही वह वर्जित फल है जिसको चखने के बाद हम इंसान ईश्वर के घर से निकाल दिए गए। हमारे पुरखों ने जरूर इस चीज़ को महसूस किया होगा कि उनकी सारी समस्याओं की जड़ यह भाषा ही है । इसीलिए बचपन से ही सुनते आये कि सोच समझ कर बोला करो । बोलने से पहले यह सोचो कि सुन ने वालों को बुरा तो नहीं लगेगा । सत्य वचन बोलो , असत्य मत बोलो । सत्य बोलने की भी पूर्ण आज़ादी शायद नहीं दी गयी है । सत्य बोलो लेकिन अप्रिय सत्य मत बोलो। बोलने की मात्रा भी निर्धारित की गयी है । ज्यादा मत बोलो । वैसे यह कभी नहीं बताया गया कि कितना बोलना उचित है और कितना बोलना अनुचित । बोलने में थोड़ी कमी रह जाए तो आपको जल्द ही सुनने को मिलेगा कि आप तो कुछ बोलते ही नहीं । कुछ बोलो भी ऊपर वाले ने जुबान नहीं दी क्या ?
विडम्बना देखिये कि भाषा का आविष्कार मनुष्य ने एक दूसरे को समझने के लिए किया लेकिन मनुष्य स्वयं आज तक तक भाषा का समुचित इस्तेमाल करना नहीं समझ पाया । यह कुछ ऐसा ही है जैसा कि कहानियों में किसी वैज्ञानिक का अपना ही बनाया रोबोट उसके नियंत्रण बाहर हो उसके विनाश का कारण बने या भगवान शिव का भक्त भस्मासुर बन जाये ।
एक तर्क यह भी दिया जाता है भाषा ही मानव सभ्यता का आधार है । परंतु यह कैसी सभ्यता है जिसके इतिहास का हर एक पन्ना युद्धों की गाथा है । अगर भाषा नहीं होती तो शायद कोई युद्ध भी नहीं होते। बिना भाषा के क्या किसी का अपमान करना संभव है? क्या शेर अपने से निर्बल जीवों का अपमान करते हैं? घृणा , अपमान , धर्म , मिथ्या जो मानव की समस्त समस्याओं की जड़ हैं , क्या उसके मूल में भाषा नहीं है? प्यार जताने के लिये भाषा की जरूरत नहीं है, हाँ बिना भाषा के आप द्वेष नहीं फैला सकते । काम क्रोध लोभ मोह मदऔर मत्सर्य मानव की कमजोरियां बताई गयी हैं, जिनपर अगर वश कर लिया जाए तो पृथ्वी स्वर्ग बन जाये । परंतु यह सारे अवगुण शेर, हाथी , स्वान सब में विद्यमान नहीं हैं? क्या शेर काम महसूस नहीं करते, या क्रोधित नहीं होते। हाथियों में भी भोजन देख लोभ होता है, अपने बच्चों के लिए मोह तो सर्व सुलभ प्राकृतिक गुण है
लब्बोलुआब ये कि इन सारे सार्वभौमिक अवगुणों के होने के बाद भी समस्त प्राणिमात्र में मनुष्य की समस्याएं सबसे जटिल हैं । इसका अर्थ है कि हममें शायद कोई और अवगुण भी है जो ईश्वर प्रदत्त नहीं है । कोई अवगुण है जो सिर्फ मनुष्यों में है और जिसका विकास शायद मनुष्य ने ही किया है । क्या वह चीज़ भाषा है ?
अगर आपको आलेख पसंद आया तो आप अपना प्यार लाएक और शेयर बटन दबा कर प्रदर्शित कर सकते हैं । उसके लिए भाषा की जरूरत नहीं । हाँ मुझे गाली देने लिए आप अपनी भाषा का इस्तेमाल कमैंट्स सेक्शन में कर सकते हैं । :)
चिर आपका ,
शेखर सुमन
No comments:
Post a Comment