Wednesday, July 11, 2018

बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

छिना सर से पितृस्नेह का छाता,
क्या कहें हम पर क्या क्या बीता।
दुनिया की कड़ी धूप में खड़े,
हमारे चेहरे क्या, रूह तक लाल हो गये।
बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

ठीक से रो तक नहीं पाये,
आप सो गये और फिर हम सो तक नहीं पाये।
दुनिया भले कहे कि हम हैं खुशहाल,
सब कुछ रहते भी बड़े कंगाल हो गये।
बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

सब कुछ दिया ना सिखायी दुनियादारी,
आप गये छोड़ देकर सारी जिम्मेदारी।
अनाथों को दुनियावालों ने ऐसा दिखाया रूप,
आपके बच्चे दुनियादारी में बेमिसाल हो गये।
बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

दर्द कम न हुआ, हाँ हो गयी अब आदत
आंसू सूखे, पर सीने में अब भी है थरथराहट
आप दिखते वैसे ही मुस्कुराते अपनी तस्वीर में,
आपके बच्चों के होना शुरू सफ़ेद बाल हो गये
बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

वहाँ से वापस आती सिर्फ याद गये आप बिछड़कर जहाँ,
आपसे मिलूंगा शायद ऊपर, दिल कहता है हाँ
क्या दे सकते हैं हमारा सब कुछ, आपकी बस एक झलक पाने को,
ईश्वर पूछे , तो कहूँ हाँ बिना सोचे,
यह तो निहायत ही आसान सवाल हो गये।
बाबूजी , आपके गये चार साल हो गये।

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