Wednesday, July 11, 2018

अश्वत्थामा हतो: का चीत्कार

‌कुरुक्षेत्र में महाभारत के युध्द को शुरू हुए चौदह दिन बीत चुके थे। कौरवों की सेना का नेतृत्व अब गुरु द्रोण कर रहे थे। पितामह भीष्म के शरशय्या पर जाने के बाद पांडवों ने युद्ध को आसानी से जीत लेने का जो स्वप्न देखा था, गुरु द्रोण के रहते वो एक दिवास्वप्न से अधिक कुछ नही था। अर्जुन की गांडीव गुरु द्रोण के बाणों के सामने ऐसे निस्तेज थी जैसे सूर्य के सामने दीपक। ऋषि भरद्वाज के पुत्र और परशुराम के शिष्य द्रोण की रणनीति तथा उनकी रचित सेनाओं की अभेद्य व्यूह रचना का पांडव सेनापति धृष्टद्युम्न के पास कोई तोड़ ना था। पांडवों के पास ऐसी कोई विद्या न थी जिससे वह अपने ही गुरु द्रोण को परास्त कर सकें। युध्द कला में पारंगत वो क्रोधित ब्राह्मण महाभारत के युद्ध को मानो एक ही दिन में समाप्त करने का प्रण ले चुका था।
गुरु द्रोण को सीधे नीतिपरक युध्द में हराना असंभव था। परंतु युद्ध सिर्फ अस्त्र शस्त्र और रणकौशल से रणभूमि में नहीं लड़ा जाता। युद्ध लड़ा जाता है बुद्धि और कूटनीति से। युद्ध लड़ा जाता है छल से। पांडवों ने द्रोण को मारने के लिये छल का सहारा लेने का निर्णय लिया। गुरु द्रोण के मन में अपने पुत्र अश्वत्थामा के लिये जो अत्यधिक प्रेम की दुर्बलता थी, उसी दुर्बलता पर वार करने का निर्णय लिया गया। दुष्प्रचार, अर्धसत्य, और कुटिलता में सनी योजना के तहत धर्मराज युद्धिष्ठिर के द्वारा द्रोण को उनके पुत्र के मारे जाने की असत्य सूचना दी गयी । पुत्रवियोग में शोकाकुल और धरती पर पड़े निःशस्त्र पिता को पीछे से वार कर धृष्टद्युम्न द्वारा मार डाला गया।



‌मार्च के महीने में हज़ारों किसान नासिक से मुम्बई नंगे पांव पैदल चल कर पहुंचे। पूरी मीडिया में किसानों के फटे पांवों की बिवावियाँ दिखा दिखा कर खूब सहानुभूति बटोरी गई। जब वे किसान मुम्बई पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनकी सारी मांगे तो पहले ही मानी जा चुकी हैं। अभी सारे भारत में ऐसे माहौल बनाया जा रहा है कि दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्यााचार बढ़ गए हैं। एक बहुत बड़े वर्ग को यह बार बार बताया जा रहा है कि उनका आरक्षण छीन लिया जाएगा और संविधान बदल कर मनुस्मृति लागू कर दी जाएगी। और यह बातें एक खास बुद्धिजीवियों द्वारा निरंतर अखबार, टीवी और मोबाइल के माध्यम से परोसी जा रही है। एक भय और अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। कुछ पत्रकार असुरक्षित महसूस होने का दावा कर रहे हैं, कुछ धर्मगुरु लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए प्रार्थना सभाएं आयोजित कर रहे हैं। हर तरफ़ से अश्वत्थामा हतो: सरीखे चीत्कार सुनाई पड़ रहे हैं।
अगर वास्तव में लोकतंत्र खतरे में होता तो यह सारे लोग इतनी खुल कर अपनी बात न रख पाते। अगर आरक्षण वाक़ई छीना जाने वाला होता, तो उसके लिये सरकार किसी शुभ मुहूर्त का इंतज़ार न कर रही होती। दुष्प्रचार और असत्य आज युद्ध के सबसे बड़े शस्त्र हैं। पहले पूरी दुनिया को बताया जाता है कि इराक में जैविक और रासायनिक हथियारों का जखीरा है। जब पूरे विश्व का इसका विश्वास हो जाता है, तो अमरीकी सेनाएँ बग़दाद में घुस सद्दाम हुसैन का तख्त पलट देती है और सद्दाम को फांसी दे दी जाती है। जैविक और रासायनिक हथियार ना वहां कभी थे और ना कभी मिले। वहां पर तेल भरपूर मात्रा में अवश्य था जिसके लिए वास्तविकता में यह युद्ध लड़ा गया था । आये दिन खबरें आती हैं कि महिला को डायन बात कर मार डाला गया। अधिकतर मामलों में अकेली वृद्ध विधवा महिलाओ की संपत्ति हड़पने का यह एक पुराना तरीका है।
‌द्रोण वध की कथा पुरानी अवश्य है लेकिन आज के समय में प्रासंगिक उतनी ही है जितनी पहले थी। जब भी किसी द्रोण को सीधे युध्द में हराना कठिन प्रतीत होता है, उसे हराने के लिए असत्य और दुष्प्रचार का सहारा लिया जाता है। असत्य फैलाने के लिए पहले किसी निर्दोष अश्वस्थामा हाथी को मारा जाता है और फिर उसकी मौत की खबर को असत्य और अर्धसत्य की चाशनी में लपेट कर फैलाया जाता है। द्रोण को उसके पुत्र की मृत्यु का समाचार ऐसे सुनाया गया था जैसे उनके हितैषी उनके दुख में शामिल होना चाहते हों। लक्ष्य तो था गुरु द्रोण को मानसिक रूप से अक्षम करना ताकि वो युद्धभूमि में सही निर्णय न ले सकें और भावुक हो शस्त्र त्याग दें। और उनका वध करना आसान हो जाये।
आसिफा हो या वेमुला, यह सब उस अश्वस्थामा हाथी ही तरह हैं जिन्हें खास राजनीतिक उद्देश्य से मारा गया है और उनकी मृत्यु का अर्धसत्य आपको सुना कर आपको भावुक और निर्बल किया जा रहा है। किसी भी उत्तेजक और भावुक समाचार को सुन तुरंत निर्णय न लें चाहे आपको वो सूचना उस व्यक्ति से मिल रही हो जिसे आप धर्मराज मानते हैं। झूठ फैलाने के लिए धर्मराजों का ही सहारा लिया जाता है। किसी दुष्प्रचार का शिकार होने से बचें। सूचनाओं को सत्य की कसौटी पर कस कर ही आत्मसात करें। जिस दिन आपसे सत्य पहचानने और उचित निर्णय लेने मे भूल हुई, किसी धृष्टद्युम्न की तलवार आपकी गर्दन पर वार करने के लिए उठ चुकी होगी।

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