Wednesday, September 17, 2025

विश्वकर्मा दिवस पर विशेष


इंजीनियरिंग सिर्फ़ पुलों और मशीनों की नहीं, ज़िन्दगी की जुगाड़ों की भी भाषा है।

बचपन से ही, हम सबों में एक इंजीनियर छिपा होता है। चाहे रेनॉल्ड्स वाली बॉल पेन, जिसने लिखना बंद कर दिया हो, उसकी निब को हथेलियों के बीच रगड़ कर चलाने की जुगत लगाना हो — या उसी कलम के ढक्कन को रबड़ के छल्ले से गुलेल बनाना हो। उसी कलम से टेप रिकॉर्डर में फँसी ऑडियो कैसेट को निकालना हो।

वो हमारे अंदर का इंजीनियर ही था, जो चाहे हाथ-पैर, चेहरा और कपड़े सबमें ग्रीस की कालिख भले ही लगा ले, पर साइकिल की उतरी हुई चेन खुद ही चढ़ाना चाहता था। बड़े होने पर अपनी स्कूटर को टेढ़ा करके स्टार्ट करने की जुगत करता अधेड़ पड़ोसी अंकल भी इंजीनियर ही तो हैं।

उसी बालकनी में खड़ा अंकल का बेटा, जो बेडशीट और चादर को जोड़ उसमें गांठें लगाता है ताकि दोस्तों के साथ रात का शो देखने के लिए बालकनी से उतर सके — यह भी तो इंजीनियरिंग ही है। होली के समय किस गुब्बारे में कितना पानी भरा जाए, किस एंगल से फेंका जाए कि सीधे ‘गया-करने’ वाले अंकल को लगे, ऐसी जुगत लगाने वाले भी इंजीनियर ही हैं।

बुढ़ापे में अपने टूटे चश्मे को ठीक करता वृद्ध, और उसके बगल में बैठे उसकी फटे कुर्ते को रफ़ू कर पहनने लायक बनाती उसकी जीवनसंगिनी — ये दोनों भी तो इंजीनियर का ही काम कर रहे हैं।

इंजीनियर का असली काम यही है: सीमित साधनों में सैद्धांतिक ज्ञान का प्रयोग करके, कम ख़र्च में जीवन को सरल बनाना।
हाँ, इंजीनियर का अपना जीवन भले आसान न हो, पर आपके जीवन को आसान बनाने के लिए वह हमेशा तत्पर रहता है।

उन सभी को सलाम, जो अपने हुनर से दुनिया को बेहतर बनाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएँ और इंजीनियर्स डे की हार्दिक बधाई!


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