काशी में भगवान विश्वनाथ सनातन काल से से अपने दिव्य रूप में मौजूद हैं। लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण से उस दिव्य रूप को एक भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। इससे हम जैसे असंख्य स्थूलदर्शी प्राणियों को बाबा विश्वनाथ के दर्शन हो पा रहे हैं। कार्य अभी निर्माणाधीन है, आशा है अगली बार काशी प्रवास में दिव्यता और भव्यता का मणिकांचन योगअपने पूर्ण रूप में देखने को मिलेगा।मंदिर प्रांगण में माता अहिल्या बाई और आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित कर उनको यथोचित सम्मान देना भी सराहनीय प्रयास लगा। हर हर महादेव।
What I think? I will let you know here.. Listen to the voices from my heart
Saturday, February 19, 2022
एक दिवसीय काशी प्रवास
ईश्वर का दिव्य रूप तो सर्वत्र विद्यमान है लेकिन ईश्वर का यह रूप सूक्ष्म है। इसके दर्शन के लिए परम ज्ञान की आवश्कता होती है। जैसे भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य रूप कुरुक्षेत्र से पहले सिर्फ विदुर और भीष्म को परिलक्षित था। अर्जुन को ईश्वर का वो रूप दिख सके इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को अपना भव्य विराट रूप दिखाया। एक तरफ जहां दिव्यता सूक्ष्म होती है और उसको आत्मसात कर सकने वाले लोगों की संख्या सीमित होती है। प्रसार के इसी संकुचन का निवारण भव्यता में है। भव्यता नग्न आखों से भी देख जाती है इसीलिए इसका प्रसार बड़े वर्ग तक हो पाता है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment