अशोक की तलवार नहीं, ईशान किशन का बल्ला हूं मैं,
विष्णुगुप्त का अर्थशास्त्र नहीं ,शुभम का टॉपर वाला हल्ला हूं मैं,
चाणक्य की नीति नहीं, प्रशांत की चुनाव नीति हूं मैं,
कर्ण का अमोघ तीर नहीं, श्रेयषी का निशाने पर सटीक प्रहार हूं मैं,
दिनकर की ओजस्वी कविता नहीं, अरुण कमल की नई कविता की हुंकार हूं मैं,
राष्ट्रपति भवन का पहला राष्ट्रपति नहीं, मनोज और पंकज जैसा फनकार हूं मैं,
ऐतिहासिक कथाओं का राजा नहीं, भविष्य का संभावनापूर्ण राजकुमार हूं मैं,
इतिहास के पन्नो में पीला पड़ा सूखा फूल नहीं, नए कलियों की सुगंध का उभार हूं मैं,
बिहार हूं मैं।
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