Wednesday, December 29, 2021

काले के गर्भ भी छुपा प्रकाश

सांप और रस्सी में फर्क पता न चलना अंधेरे का पहला लक्षण है। सहयोगी से भय और आक्रांता से मित्रवत व्यवहार व्यक्ति के अंधकार में होने का द्योतक है। अंधेरे में हर रंग एक सा दिखता है। निर्णय की क्षमता मंद पड़ जाती है। क्या हरा और क्या लाल, सारे रंग बराबर। अंधकार की एक और खासियत यह है कि वो हर रंग पर छा जाता है और उसपर कोई रंग नहीं चढ़ता। काला रंग अंधेरे का है और अंधेरे में कुछ नजर नहीं आता। इस अंधेरे का कमाल यह है कि एक लंबे समय तक अंधेरे की मोटी चादर के नीचे दबे रहने के बाद हरे भरे पेड़ भी काला कोयला बन जाते हैं। काले घुप अंधेरे में चलती ठंढी हवा भी सुकून की जगह सनसनी पैदा करती है। सूखे गिरे रंगीन पत्ते जो दिन की रोशनी में जंगल का सौंदर्य बढ़ाते नजर आते हैं, अंधेरे के साम्राज्य में अपनी सामान्य खड़खड़ाहट से भयभीत ही करते हैं। अंधेरा हर गुण को ढक देता है और हर अवगुण को उभारने का प्रयास करता है। रात के काले अंधेरे में कदाचित सद्चरित आत्मा भी कलुषित शक्तियों के सामने अपने आप को विवश पाती हैं। 
लेकिन काले का यह साम्राज्य तब तक ही रहता है जब तक ज्ञान का कोई दीपक अपना प्रकाश ना फैलाने लगे। प्रकाश के आते ही ना केवल सांप और रस्सी का भ्रम दूर हो जाता है बल्कि सांप से बचने और उस बेजुबान बचाने तक का काम करने की संभावना बन जाती है। रोशनी की छटा में हर रंग का सौंदर्य इंद्रधनुष बन कर दिखने लगता है । यहां तक कि काले रंग का तिल भी किसी नवयौवना के सौंदर्य को बढ़ाने लगता है और काले रंग का काजल टीका नवजात को नजर से बचाने लगता है। धूप पड़ने पर काली मिट्टी सफेद कपास देकर मानव मात्र को परिधान प्रदान करते लगती है। काले का साम्राज्य भयावह जरूर होता है लेकिन यह धनात्मक शक्तियों को एक जुट होने का एक अवसर प्रदान करता है। मां की कोख का अंधेरा एक जीवन को निर्मित करता है और उसी प्रकार अंधकार युग की गर्भ से पुनर्जागरण का जन्म होता है।

 काले अंधकार के सामने समर्पण करने की जगह अपने अंदर उस प्रकाश पुंज को जगाएं फिर देखिए कि कैसे काला कोयला भी जलकर रोशनी और ऊर्जा प्रदान करने लगता है। 

No comments: