Wednesday, December 29, 2021

काले के गर्भ भी छुपा प्रकाश

सांप और रस्सी में फर्क पता न चलना अंधेरे का पहला लक्षण है। सहयोगी से भय और आक्रांता से मित्रवत व्यवहार व्यक्ति के अंधकार में होने का द्योतक है। अंधेरे में हर रंग एक सा दिखता है। निर्णय की क्षमता मंद पड़ जाती है। क्या हरा और क्या लाल, सारे रंग बराबर। अंधकार की एक और खासियत यह है कि वो हर रंग पर छा जाता है और उसपर कोई रंग नहीं चढ़ता। काला रंग अंधेरे का है और अंधेरे में कुछ नजर नहीं आता। इस अंधेरे का कमाल यह है कि एक लंबे समय तक अंधेरे की मोटी चादर के नीचे दबे रहने के बाद हरे भरे पेड़ भी काला कोयला बन जाते हैं। काले घुप अंधेरे में चलती ठंढी हवा भी सुकून की जगह सनसनी पैदा करती है। सूखे गिरे रंगीन पत्ते जो दिन की रोशनी में जंगल का सौंदर्य बढ़ाते नजर आते हैं, अंधेरे के साम्राज्य में अपनी सामान्य खड़खड़ाहट से भयभीत ही करते हैं। अंधेरा हर गुण को ढक देता है और हर अवगुण को उभारने का प्रयास करता है। रात के काले अंधेरे में कदाचित सद्चरित आत्मा भी कलुषित शक्तियों के सामने अपने आप को विवश पाती हैं। 
लेकिन काले का यह साम्राज्य तब तक ही रहता है जब तक ज्ञान का कोई दीपक अपना प्रकाश ना फैलाने लगे। प्रकाश के आते ही ना केवल सांप और रस्सी का भ्रम दूर हो जाता है बल्कि सांप से बचने और उस बेजुबान बचाने तक का काम करने की संभावना बन जाती है। रोशनी की छटा में हर रंग का सौंदर्य इंद्रधनुष बन कर दिखने लगता है । यहां तक कि काले रंग का तिल भी किसी नवयौवना के सौंदर्य को बढ़ाने लगता है और काले रंग का काजल टीका नवजात को नजर से बचाने लगता है। धूप पड़ने पर काली मिट्टी सफेद कपास देकर मानव मात्र को परिधान प्रदान करते लगती है। काले का साम्राज्य भयावह जरूर होता है लेकिन यह धनात्मक शक्तियों को एक जुट होने का एक अवसर प्रदान करता है। मां की कोख का अंधेरा एक जीवन को निर्मित करता है और उसी प्रकार अंधकार युग की गर्भ से पुनर्जागरण का जन्म होता है।

 काले अंधकार के सामने समर्पण करने की जगह अपने अंदर उस प्रकाश पुंज को जगाएं फिर देखिए कि कैसे काला कोयला भी जलकर रोशनी और ऊर्जा प्रदान करने लगता है। 

Saturday, December 25, 2021

पान : देश का सांस्कृतिक नक्शा

देश का नक्शा सिर्फ वो नहीं है जो कागज़ पर उकेरा जाय। सबसे बढ़िया नक्शा तो पान के एक पत्ते पर उकेरा जाता है। पान का पत्ता मगही वाला हो तो मगध क्षेत्र को दिखाता है। उसमें पड़ने वाला कत्था हिमाचल के जंगलों को दिखाती है। चूना राजस्थान का प्रतिनिधित्व करता है। उसकी गुलकंद महाराष्ट्र से आती है। लौंग और इलायची केरल की पहाड़ियों से आती है। केसर कश्मीर से आती है। सुपारी तटीय ओडिशा, आंध्र का स्वाद लेकर आती है। सुगंधित जर्दा अवध क्षेत्र को इंगित करता है। पान में पड़ने वाला किमाम गुजरात से आता है। तो पान को मोड़ने की कला बनारस को दिखाती है । पान की डंठल पर लगा चूना मानो अंडमान की तरह मुख्य नक्शे से थोड़ा अलग होकर भी नक्शे का अभिन्न अंग बन जाता है। और पान को खाने के बाद तो लाली छाती है वो मेघालय और मणिपुर की किसी नवयुवती के धूप पड़ने से हुए सुर्ख रुखसार को दिखाती है।


भारत के नक्शे को पान के एक बीड़े के बेहतर मीठे अंदाज में और कोई बयां नहीं कर सकता। कागजी नक्शा या तो राजनीतिक होता है या भौतिक। लेकिन भारत के सांस्कृतिक नक्शे को पान के एक पत्ते पर ही उकेरा जा सकता है। पूरे भारत का स्वाद सबसे आसानी से आपको एक पान ही दे सकता है। 

Friday, December 24, 2021

मेरे गांव की यह सड़क

मेरे गांव को शहर से जोड़ती 
मेरे गांव की यह सड़क।

सुबह को गाडियां 
सिर्फ जाती है शहर की ओर 
भर कर दूध , सब्जी, फल,
शाम में लौटेगी खाली गाडियां,
ले कागज़ के चंद टुकड़े 
कुछ तुड़े मुड़े कुछ कड़क।

पूरे घाटे का सौदा करवाती
मेरे गांव की यह सड़क।
कहते हैं गांव वाले कि
जाते हैं शहर
सपनों की तलाश में,
लेकिन जानते हैं लेकिन नींद 
तो लौट गांव में ही आएगी,
क्योंकि शहर में आंख लगने पर
मिलती मालिक की झिड़क।

ऊंघते झूमतों को वापस घर लाती
मेरे गांव की यह सड़क।

ले जाती हर सुबह
मेरे गांव से युवा ऊर्जा
से भरे चेहरे 
लबालब शरीर मेहनत और स्पन्द से।
शाम में वापस लेकर आती
लौटते भरे धूल से सने बदन
स्वेद से भीगी हर रग
थकी हर हरकत थकी हर धड़क।

थकाने के खेल में कभी न थकती
मेरे गांव की यह सड़क।

मेरे गांव को शहर से जोड़ती 
मेरे गांव की यह सड़क।





Thursday, December 16, 2021

फोन और रिश्ते

रिश्ते पहले होते थे
पुराने मोबाइल फोन की तरह,
जल्दी टूटते नहीं थे।
हाथों से गिर जाए तो
भले ही खुल जाता था,
मोबाइल का कवर
और बिखर जाती थी बैटरी,
निकल जाता था सिम
लेकिन एक क्षण में
वापस से जुड़ भी जाता था।
और फिर से काम करने लगता था फोन
जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
जैसे कुछ टूटा ही ना हो।

आज के फोन अगर 
हाथों से गिर जाए
तो तुरंत आ जाती है दरार,
कुछ भी दिखना बंद हो जाता है,
भले ही अंदर बैटरी हो दुरुस्त,
और ना कोई शिकायत न हो सिम में। 
लेकिन अब टूटे फोन का कोई इलाज नहीं,
उसको जोड़ने का कोई उपाय नहीं।
अब नहीं हो पाएगी इससे कोई बात,
कह कर छुड़ा लेते हैं दामन सब।
सब ले लेते हैं एक नया फोन।
एक चोट नहीं सह पाता 
एक बार गिरने के बाद 
उठता नहीं नया फोन।

पुराना फोन नहीं था उतना बातूनी
नहीं रख पाता था याद,
 पचास से ज्यादा लोगों के नाम
ना ही याद रख पाता था ।
पंद्रह से ज्यादा पुराने संदेश।
पिछली यादों और ढेर सारे दोस्तों
का बोझा नहीं था उसके सर।
जीता था वर्तमान में भुलाकर पिछली बातें।
इसलिए शायद भूल जाता था
अपनी चोट को,
अपने गिरने को भुला कर,
वापस से बातें करने लगता था।

नया फोन है बहुत बातूनी,
बना सकता है हजारों दोस्त,
याद रखता है नए पुराने सारे संदेश,
अपने अतीत से बाहर नहीं आ पाता।
हर पुरानी रंजिश याद रहती है इसे।
किसी बड़े से तहखाने में छुपाए रखता है,
सारे गम सारे राज सारे दर्द,
इसीलिए नहीं सह पाता
गिरने का दर्द।
बिना टूटे बिखर जाता है,
बिना बिखरे टूट जाता है,
कुव्वत नहीं बची एक दरार तक सहने की 
नए फोन में।

पुराना फोन करता जब किसी से बातें
 तो करता पूरे दिल से बातें ,
जब अपने पालतू सांप से खेलता
तो पूरा ध्यान अपने सांप पर ही रखता,
नया फोन एक साथ ही कर सकता है 
बातें करना और गेम खेलना।
समझ नहीं आता कि बातें हो रही हैं
या गेम चल रहा है।
पुराना फोन था साधारण
बेवकूफ सा
जो अंदर वो ही बाहर।
नया फोन रख सकता है
एक साथ दो दो सिम ।
बिना सिम के भी चल लेता है! 
पता नहीं चलता फोन देख कर,
कि कौन सा वाला नंबर 
बात कर रहा है।
पुराना फोन हमेशा एक ही
नंबर रखता था अंदर,
दुहराव नहीं था उसके अंदर,
इसीलिए शायद मजबूत था
अंदर से।
झेल सकता था झटके 
चोट और बेतहाशा खरोचों को।

नया फोन शायद
 जानता भी नहीं खुद को
इसीलिए नहीं समेट पाता ।
एक हल्की सी दरार,
और पड़ा पाता है खुद को
कचरे के अंबार में,
जहां उसके साथ पड़े होते हैं
कई और नए फोन।
कुछ तो ऐसे जिनमें दरार तक नहीं,
पर जिन्हें नकार दिया गया
क्योंकि उनसे भी नया फोन 
आ गया था बाजार में।

और पुराने फोन तो चल लेते थे
रबर से बंध कर भी
टूटे शीशे के साथ
घिसे कीपैड के साथ
और मुंह फुलाए फूफा 
जैसे बैटरी के साथ भी।
नए रिश्ते हैं नए फोन सरीखे
डिस्प्ले बड़ा लेकिन बैटरी बैकअप कम है
महंगे हों भले पर कीमती कम है।

शायद पुराना फोन बताता है 
हमें कि हमेशा अच्छी नहीं होती,
ज्यादा बेहतरी और बेहिसाब उपयोगिता।
कुछ चीज़ें पुरानी ही अच्छी हैं,
कम बेहतर होकर ही लाजवाब हैं,
कम उपयोगी होकर भी ज्यादा अजीज हैं।








the real glorious moment

This photo is generally considered the epitome of valor and bravery of Indian armed forces. An enemy officer signing at the extact same dotted lines with his bowed head where our army officer is directing him to sign. An absolute surrender by the enemy without any preconditions.
This is a perfect moment capturing our glory but this was no the first time an army had surrendered. There are many many instances in world history where armies had surrendered meekly. But what happened after this surrender has no precedence in history.

All 95000 surrendered soldiers were kept as guests. Defeated armies were given priority in distributing the limited resources available to the victorious Indian soldiers. Pakistani armies slept under the tents with a bed while our jawans slept under the sky. Not a single soldier was touched or harmed and they were returned to the safety of their homes with honor. They were not used as kidnapped people to extract any leverage during political negotiations held after the war. If indian army wanted to take any revenge from the captured Pakistanis, they didn't have to even lift their finger. All they had to do was to vacate the place and mukti vahini would have reciprocated the same treatment Bangladeshi people had received in operation searchlight.

The display of ethics and human values  post this moment is unparalleled in history. The real glory moments came after this pic. This only shows the deep-rooted civilization which separates us from rest of the world. Jai Hind.

Sunday, December 12, 2021

हरि अनंत हरि कथा अनंता

हिंदी में एक कहावत है सब्ज बाग दिखाना। इसका मतलब होता है धोखा देने के इरादे किसी को बडे बड़े वादे करना। वैसे अगर इस मुहावरे के शब्दार्थ देखें तो इसका अर्थ हुआ किसी को हरे बाग दिखाना। सब्ज़ का अर्थ होता है हरा। इस हिसाब से सब्जी हरी ही होती है। फिर तो 'हरी सब्जी ' कहना गलत है क्योंकि इसमें दोहराव का दोष है। 

फिर सोचा कि इतने दिनों से हरी सब्जी का लोग प्रयोग करते हैं किसी ने इस दोष की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया। वास्तव में इसमें दोहराव का दोष नहीं है। हरी सब्जी में हरी शब्द का अर्थ रंग के संदर्भ में नहीं है। यहां हरी शब्द का अर्थ है ताजा। हरी शब्द का ताजे के अर्थ में इस्तेमाल एक और मुहावरे में होता है। घाव हरे हो जाना। इसका अर्थ भी यहां रंग ना होकर ताजा से ही है। मतलब 'हरी सब्जी' कहना बिलकुल सही है। यह तो शब्द हरी का एक अर्थ विन्यास है। अगर हरी में प्रयुक्त दीर्घ ई की मात्रा हृस्व में बदल जाय तो हरि बन जाता है।
 हरि शब्द के अर्थों का फैलाव हरी शब्द से कहीं ज्यादा है। हरि का अर्थ ईश्वर से है और कहा भी गया है "हरि अनंत हरि कथा अनंता"। वैसे हरि शब्द का अर्थ अगर रंग के रूप में भी हो सकता है । वहां  इसका अर्थ पीलापन लिए हरे रंग की तरफ होता है। बादामी और भूरे रंग को भी हरि कहा जाता है। 

हरि और हरी शब्द में एक और संबंध है। हरि शब्द का संस्कृत में द्विवचन हरी होता है।यद्यपि हिंदी में द्विवचन का विलोप हो चुका है इसीलिए हरी / हरि का यह प्रयोग हिंदी में दुर्लभ है। हरि शब्द घोड़ा, बंदर ,सिंह, मेंढक, तोता , गीदड़,  हंस, सांप किसी भी जानवर के  लिए प्रयुक्त हो सकता है। तो संस्कृत में हरी का अर्थ ऊपर लिखे किसी भी जंतु के जोड़े के लिए प्रयुक्त हो सकता है। 

हरि शब्द का एक और विशेषार्थ देखिए। हरिखंड का अर्थ जहां मोरपंख होता है , हरिगंध का अर्थ मोर की गंध न होकर चंदन का पेड़ होता है। हरिकेश शब्द का अर्थ हरे बालों वाला ना होकर भूरे बालों वाला होता है। 
हिंदी शब्द सागर और इसकी गहराइयों का अंदाजा इतनी जल्दी से नहीं लगाया जा सकता। सिर्फ हरी / हरि शब्द से जब इतने अर्थ निकल सकते हैं तो हिंदी का खजाना कितना अकूत है इसका अंदाज जल्दबाजी में नहीं बल्कि आराम से ही लगाया जा सकता है। 

महाकवि जायसी ने लिखा है, 
सूखा हिया हार भा भारी,
हरि हरि प्रान तजहिं सब नारी।
जायसी ने यहां हरि हरि शब्द का प्रयोग धीरे धीरे के रूप में है। हरि का अर्थ और शब्द इतिहास जानने के लिए यह एक छोटी सी बानगी भर था। 

हरि बोल। 

Saturday, December 11, 2021

न्यूज चैनल्स से कुछ शिकायतें

हमारे समाचार चैनल किसी टॉपिक को इतने डीटेल में कवर करते हैं कि आईएएस की तैयारी करवाने वाला टीचर भी न करवा पाया आजतक। अब जैसे कटरीना की शादी को ही लें। दुल्हन के कपड़े, बारात के खाने से लेकर सलाद के लिए मूली और प्याज किस दुकान से आए सब बता दिया। इतनी जानकारी दे दी कि यूपीएससी के पेपर का निबंध तक लिख डालें दर्शक। 
होना भी चाहिए आखिर एक समाचार चैनल एक अच्छे टीचर की तरह होता है। अच्छा टीचर तो वोही है जो जरूरी टॉपिक को अच्छे से पढ़ाए और जो जरूरी नहीं है उसको छोड़ दे। तो भईया ऐसा है कि यह जरूरी और गैर जरूरी हमारे समाचार चैनल से बेहतर कोई नहीं समझता। अब जैसे देखो संसद का सत्र चल रहा है ,कौन कौन से बिल पेश हुए, पास हुए तो क्या होगा, बिलकुल गैरजरूरी टॉपिक है। विषय ऐसा होना चाहिए जो छात्र आनंद से पढ़े और सुने। इसीलिए तो हमारे न्यूजचैनल पंजाब की ड्रग्स समस्या की जगह आपको पंजाब की हनीप्रीत के बारे में बताते हैं।
लेकिन मुझे कुछ शिकायत भी है। अच्छा टीचर न केवल टॉपिक पढ़ाता है, रिवाइज भी करवाता है। तुम न्यूज चैनल वाले लोग, यार पढ़ाते समय तो अच्छे से पढ़ा देते हो, रिवाइज करवाना भूल जाते। अब बताओ, राज कुंद्रा के गिरफ्तार होने पर तुमने कितना डीटेल में बताया था कि कैसे शिल्पा भाभी पछाड़ खा कर रो रही हैं, राज बाबू के ऐप का यह नाम है, उसके वेबसाइट का यह नाम है। राज भईया ने शिल्पा भाभी को क्या गिफ्ट दिया था अपने बच्चे के मुंडन पर। अब जब राज भैया बाहर आ गए तो तुम वो टॉपिक बिल्कुल भी ना बता रहे। बच्चे जानना चाहते हैं कि राज भैया अब क्या कर रहे हैं। घर पर खाली बैठे शिल्पा भाभी की रोटियां तो तोड़ ना रहे होंगे। कुछ तो नया कर रहे होंगे। दिक्कत यह है कि युवा पीढ़ी ने सारे ऐप सारे वेबसाइट खंगाल डाले, राज भैया का कोई नया काम न दिख रहा। तो उस टॉपिक को रिवाइज करने की जरूरत है।

‌कुछ टॉपिक आज आधा पढ़ा के छोड़ देते हो। जैसे तैमूर के बारे में तो सब बताया। क्या नाश्ता करता है, कब पॉटी जाता है, क्या नाश्ता करने पर पॉटी किस कलर का करता है, लेकिन उसके भाई ने कौन सा गुनाह कर दिया कि उसका नाम तक न ले रहे। आखिर वो भी तो सैफीना के घर का बच्चा है। कल को सैफीना पर शॉर्ट नोट लिखने को पूछ लिए तो बस मुंह ताकते रह जाएंगे बच्चे। कुछ सोचो उस बारे में। यह तो वोही हाल हो गया पटना के फिजिक्स टीचर का, मैकेनिक्स ही साल भर पढ़ाते थे और ऑप्टिक्स और मॉडर्न पढ़ाना ही छोड़ देते थे। 

‌और हां, अच्छे टीचर की तरह डाउट क्लियरिंग सेशन भी रखा करो बीच बीच में। डीटेल में पढ़ाने के बावजूद भी बच्चों को बहुत सारे डाउट रह ही जाते हैं। जैसे बच्चे जानना चाहते हैं कि रिया चक्रवर्ती जो काला जादू जानती थी वो उसने किससे सीखा था ? इंद्राणी मुखर्जी वाला काला जादू रिया वाले काले जादू से कैसे अलग है? अपने आशाराम बाबा की जादुई टार्च और राम रहीम की जादुई गुफा का जादू और काला जादू में क्या संबंध है। अब तुमने यह तो बता दिया कि एलियन गाय का दूध पीते हैं लेकिन बच्चों के मन में डाउट रह है कि उधर भी पेटा समर्थक वीगन सेलिब्रिटी एलियन भी हैं क्या जो विराट कोहली की तरह गाय का नहीं बल्कि सोया मिल्क पीते हैं। कम से कम कोई न कोई एक एलियन तो होगा जो अपने फिगर को मेंटेन करने के लिए टू परसेंट दूध पीता होगा। ऐसा कैसे चलेगा एलियन की न्यूज सुनाने वाली दीदी। कभी गड्ढे वाले प्रिंस से दुबारा मिलवाओ, अब तक तो काफी बड़ा हो गया होगा, शायद उसका बच्चा हो गया हो गड्ढे में गिरने लायक। उसका इंटरव्यू करो कि क्या वो अपने बाप के नक्शे कदम पर चलने को तैयार है। 
बाकी तो सब ठीक है लेकिन थोड़ा नोट्स भी मिल जाता तो कॉम्प्लेक्स टॉपिक समझना आसान हो जाता। अब आप हर न्यूज को ब्रेकिंग न्यूज, हर पत्रकार को वरिष्ठ पत्रकार और हर आतंकवादी को एरिया कमांडर और हर राजनीतिक को चाणक्य और हर चाल को मास्टरस्ट्रोक बता देते हो तो कभी कभी कन्फ्यूजन हो जाता है । हम गलती से वरिष्ठ पत्रकार की जगह वरिष्ठ चाणक्य और वरिष्ठ मास्टरस्ट्रोक लिख लेते हैं। थोड़ा शॉर्ट नोट्स भी मिल जाता तो कांसेप्ट क्लियर हो जाता।

बाकी और लिखता लेकिन अमीश देवगन सर का आर पार शो देखने का टाइम हो रहा है। एलियन की कसम, बचपन में wwe में अंडरटेकर और हल्क होगन की फाइट देखने में उतना मजा नहीं आता था जितने अमीश सर के क्लास में डिबेट देखने में आता है। पॉलिटी के सारे टॉपिक तो अमीश सर भी कवर करा देते हैं लेकिन यूपीएससी हमेशा की तरह अपनी गुंडई से बाज नहीं आता और हमेशा आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न पूछता रहता है। 

Friday, December 10, 2021

जनरल रावत की शहादत

बच्चे की जान लोगे क्या?
अब क्या जान दे दूं?
जान से बढ़कर थोड़े ना है!
जान लगा दूंगा इसके लिए।
जान है तो जहान है।
थोड़ा शांत रहो।किसकी जान निकली जा रही है?
कुछ भी करो पर जान बचा लो।
जान बची तो लाखों पाए।
जान देकर भी कर्ज ना चुका पाऊंगा।

यह मुहावरों की अधूरी सूची सिर्फ इस लिए ताकि आप जान की कीमत का एक अंदाजा लगा सकें। और शायद बिपिन रावत और उनके साथी सैनिकों के बलिदान की कीमत समझ पाएं।
#NeverForget

Wednesday, December 8, 2021

dogs deserve better

We have always read that Dogs are man's best friend but we never read that men are dog's best friend. 

So if dog fulfills all duties of being a friend but human don't, dog-human relationship should not be termed as friendship. It is simply humans taking advantage of a trusting creature but hardly giving back anything. It is a viscous cocktail of exploitation, slavery, patronization and emotional blackmail. We humans just present a classic case of euphemism when we name dog-human relationship as friendship. Dogs deserve better.

Sunday, December 5, 2021

Security suggestions for VicKat wedding

Suggestions to Katrina and Vickey kaushal for foolproof security and less guests for their wedding..

Trump : Build a wall around the venue and strike a deal with the guests so that they pay for it.

Tikait : aane jaane wale saare raaston per  tent laga do.. udhar hi Langer DJ dance ka program rakh do.. shaadi se jyada maza isi mein hain. Shaadi mein kon aayega phir.

School teachers : Wedding library mein kar do.. waise bhi koi library nahin jaata.

BCCI : Wedding bio bubble mein karwao.. hotstar ko broadcasting rights bech kar millions kamao.. paise aur security dono..
Kejriwal : Guests ko announce kar do ki wedding venue per pani ki supply Yamuna ke pure water supply se ho rahi hai.. 

Nitsh ji: Take my police to search the venue and guests for bottles..

Shiv Sena: Declare that wedding is only allowed for Marathi manush and invite no Marathi manus.

BJP: Adopt our election slogan that shaadi mein koi aur nahin aayega.. aayega to modi hi..

Congress: Order Bofors and Rafael for the security. By the time security arrives, both bride and groom will be old and ugly.. no one will be interested in the wedding anyway.

Omicron virus: Ha ha . nice try..

A Dead horse and MBA

An uneducated person when discovers that he is riding a dead horse, 
the best strategy he follows is to dismount. 

MBA graduate, however, often try other strategies because they are highly educated..
These include...
1. Buying a stronger whip.
2. Changing riders.
3. Saying things like, "This is the way we always have ridden this horse".
4. Appointing a committee to study the horse.
5. Arranging to visit other sites to see how they ride dead horses.
6. Increasing the standards to ride dead horses.
7. Appointing a tiger team to revive the dead horse.
8. Creating a training session to increase our riding ability.
9. Comparing the state of dead horses in today's environment.
10. Change the requirements declaring that, "This horse is not dead".
11. Hire contractors to ride the dead horse.
12. Harnessing several dead horses together for increased speed.
13. Declaring that, "No horse is too dead to beat."
14. Providing additional funding to increase the horse's performance.
15. Do a Cost Analysis Study to see if contractors can ride it cheaper.
16. Purchase a product to make dead horses run faster.
17. Declare the horse is now "better, faster and cheaper."
18. Form a quality circle to find uses for dead horses.
19. Revisit the performance requirements for horses.
20. Say this horse was procured with cost as an independent variable.
21. Promote the dead horse to a supervisory position.
22. Setting up weekly review meeting to see if dead horse is gradually coming back to life.

23. Setting up a war room for aggressive whipping and its proper feedback.

24. Switching to agile mode of whipping instead of waterfall mode of whipping.

25. Telling the dead horse about the incentives if he starts running

26. Annoucing up an IPO to sell the dead horse. 

27. Declaring the horse will come to life if AI, Blockchain and machine learning techniques are used.
28. Allowing the dead horse to work from home so that it can have a better work life balance.
29. Asking dead horse to attend team building activities held by HR team so that he can be motivated.

Which one have you used?

#InspiredPost

Saturday, December 4, 2021

टकराना और प्यार

फिल्मों में दिखाते हैं कि एक कुंवारा लड़का और एक कुंवारी लड़की टकरा जाते हैं। लड़की के हाथ से किताबें, फूल, कागज गिर कर बिखर जाते हैं। लड़का समेटने में उसकी मदद करता है और दोनो एक दूसरे की आंखों में देखते हैं। पीछे वायलिन बजने लगता है और एक मिनट में प्यार हो जाता है। ~ यह है काल्पनिक दुनिया का प्यार।
असल जिंदगी में घर पर अगर पति पत्नी टकरा जाएं और बीवी के हाथ से ऊन का गोला, आटे का बर्तन, फोन या कचरे का डब्बा ही गिर कर बिखर जाय, तो पति अपनी पत्नी की क्या,  किसी की मदद के लायक नहीं रहता। पति की आंखें बंद हो जाती हैं लेकिन अपने कानों को कौन बंद सकता है। आगे पीछे ऊपर नीचे हर तरफ से वीर रस और वीभत्स रस के शब्द बाणों की बारिश होने लगती है जिसमें करुण रस में पहले से डूबा पति जलसमाधि ले लेता है। यह सब एक मिनट में हो जाता है। ~ यह है वास्तविक जीवन की हकीकत।

जोखिम जाने बिना निवेश जुए के बराबर

उदारीकरण की नीति को संसद में पेश करते समय डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि दुनिया की कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ चुका है। हालिया समय को देखें तो डिजिटल मुद्रा कुछ ऐसी ही संकल्पना लगती है। आने वाले समय में जीवन के हरेक पक्ष में डिजिटल का समावेश होना ही है, लेकिन क्या डिजिटल मुद्रा का मतलब क्रिप्टो करेंसी से ही है। क्रिप्टो करेंसी और इसमें बढ़ते निवेश और लोगों की उत्सुकता ने इस प्रश्न को और भी गंभीर बना दिया है।

मुद्रा के दो मुख्य कार्य हैं, पहला विनिमय का माध्यम और मूल्य का संचयन। जब तक किसी देश की केंद्रीय बैंकिंग संस्था किसी भी मुद्रा को लीगल टेंडर का दर्जा नहीं से देती, वो उपरोक्त दोनों मानकों पर खरी नहीं उतरती। 

भारतीय मध्यवर्ग जो चिटफंड में अपने पैसे के डूबने और यस बैंक में अपने पैसे फंसे होने पर सरकार का मुंह ताकती है, और यहां तक कि शेयर मार्केट के नीचे जाने पर भी सरकार से यह आशा रखती है कि सरकार कुछ करके सेंसेक्स को ऊपर ले जाए, क्रिप्टो करेंसी से जुड़े जोखिम को लेने को तैयार नहीं दिखता।

जोखिम लेना तो दूर अधिकतर लोग जोखिम को समझने की स्थिति में नहीं हैं। आर्थिक साक्षरता और तकनीकी ज्ञान के अभाव का ही प्रमाण है कि हमारे देश में बैंक से जुड़े इतने ठगी के मामले आते हैं। रही बात क्रिप्टो में बढ़ रहे निवेश को लेकर, तो यह कुछ ऐसा ही है जैसे छत्तीसगढ़ से एक स्कूली बालक के गाने 'बचपन का प्यार' रातों रात सबकी जुबान पर चढ़ गया। इसका अर्थ कतई नहीं है कि इसके गाने को सुनने वाले संगीत के जानकर थे या उस बालक में गाने की कोई नैसर्गिक प्रतिभा थी। यहां तक कि कुछ मीम कोइंस, जैसे कि डॉग कॉइंस, की सफलता यह दिखाती है कि वर्तमान में क्रिप्टो की सफलता का कोई मजबूत आधार नहीं है बल्कि यह भीड़ की बेकाबू भावनाओं के उबाल पर आधारित है जिसका ठोस आधार नहीं है।

हां यह बात अलग है कि हम इस डिजिटल युग में क्रिप्टो मुद्रा से आंख मूंद कर नहीं रह सकते। इसका उपाय यह है भारतीय सरकार अपनी एक डिजिटल मुद्रा जारी कर सकती है और इसके पीछे की ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित सप्लाई चेन, बैंकिंग , प्रशासन सब पर कार्य किया जा सकता है। प्रधानमंत्री वैसे भी औद्योगिक क्रांति 4.0 में भारतीयों के नेतृत्व को अपने विजन का हिस्सा मानते हैं, तो ब्लॉक चेन और उसपर आधारित मुद्रा को नज़रंदाज़ करना बड़ी भूल होगी।

यह सच है कि भविष्य डिजिटल है लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि आधी अधूरी तैयारी के साथ इस मैदान में उतरा जाय क्योंकि इससे जुड़े खतरों और जोखिम को लेने के लिए ना हमारा समाज तैयार दिखता है और ना ही अर्थव्यवस्था। मुहम्मद बिन तुगलक ने तांबे की मुद्रा चलाई तो हर सुनार की दुकान टकसाल बन गई थी। अगर क्रिप्टो करेंसी को निर्बाध छूट दे दी गई तो कमजोर अर्थव्यवस्था , कम जोखिम लेने की क्षमता, आतंकवाद , ब्लैक अर्थव्यवस्था से जूझते देश के सामने कई नई समस्याएं आ सकती हैं। खास कर प्राइवेट करेंसी जहां पारदर्शिता का बिलकुल अभाव है, इन समस्याओं को कई गुना बढ़ा सकती है।


वर्तमान में प्राइवेट क्रिप्टो मुद्रा ड्रग्स का व्यापार करने वालों, फिरौती मांगने और दूसरे अवैध व्यापार करने वालों के लिए वरदान से कम नहीं है। क्योंकि इसमें पैसे भेजने वाले और पैसे पाने वाले दोनो की पहचान गुप्त रहती है। इसपर न कराधान हो सकता है और ना ही करवंचना पर कोई दंड देना संभव है। जिस प्रकार तुगलक काल में हर सुनार की दुकान एक टकसाल बन गया था, उसी प्रकार प्रकार के हालात आज दिखते हैं जहां हजारों क्रिप्टो करेंसी बाजार में आ चुकी है। एक सुझाव यह भी दिया जा रहा है कि क्रिप्टो करेंसी को मुद्रा का नहीं तो कम से कम कमोडिटी का दर्जा दे दिया जाय जिससे इसकी ट्रेडिंग की जा सके। यह सुझाव भी इस मामले में सही नहीं दिखता क्योंकि हर कमोडिटी के मूल्य निर्धारण के लिए हमारे पास जितने पैमाने हैं उनमें से किसी का भी प्रयोग कर हम इनका वास्तविक मूल्य निर्धारण नहीं कर सकते। अगर इसका कोई वास्तविक मूल्य निर्धारित नहीं किया जा सकता तो क्रिप्टो की ट्रेडिग और जुए में कोई खास अंतर नहीं है।

सच्चाई यह भी है कि पूरे विश्व की सरकार इसको लेकर असमंजस में हैं। एकाध छोटे देशों को छोड़कर किसी ने भी इनको मान्यता नहीं दी है। भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को, जहां मानवता का एक पांचवा हिस्सा निवास करता है और जो भूख और गरीबी से अपनी लड़ाई जारी रखे हुए है, कोई भी कदम सोच समझ कर ही उठाना चाहिए। व्यक्तिगत निवेशकों को भी यह समझना चाहिए कि निवेश और जुआ अलग अलग चीजें हैं। जोखिम को समझे बिना समझे किया गया निवेश जुए के ही बराबर है और जुआ खेल हो सकता है कमाई का का आधार नहीं।

Thursday, December 2, 2021

आप कतार में हैं

इंतजार करिए कि
 आप कतार में हैं।
करिए अपनी बारी का इंतजार
आप कतार में हैं।
हैं सख्त बड़े कानून उसके
आप जिस कतार में हैं
बस सीधा चलते जाना है 
उनके पीछे जो आपसे आगे
खड़े कतार में हैं।

मचाएगी शोर आपके
 पीछे वाली भीड़,
सर पर उठाएंगे आसमान
 आपके आगे वाले,
अगर तोड़ कर आगे जाने की कोशिश,
समवेत स्वर में आपको
 याद दिलाया जायेगा,
अरे भई, हम भी कतार में हैं
आप कतार में हैं।

झेलनी होगी पीछे वालों के ताने
थोड़ा तेज चलो भाई,
सामने वाले सुनाएंगे झल्ला कर
थोड़ा सब्र करो भाई,
गर एक कदम भी चले
कतार की रफ्तार से अलग ,
याद दिलाएगी दुनिया 
समेट लो अपने डैने कि
आप कतार में हैं।
ना आगे वाले को पता
ना पीछे वाले को पता,
कि क्यों खड़े हैं कतार में।
अकेले में वे बताएंगे कि
देखी भीड़ तो सोचा कि
कुछ अच्छा ही होगा।
तभी तो लगी है भीड़
और लंबी लगी कतार है।
बिन पतवार की नाव जैसे 
जाती उधर ही जिधर की बयार है।
लगा हूं जिसके लिए कतार में
 क्या मिल जायेगी खुशी मिल जाने पर
या हम भुलावे के संसार में हैं,
आप कतार में हैं।

अलग सा सुनसान रास्ता
ना भीड़ और न शोर
उधर न कोई कतार है,
ना आगे कोई जिसके
 पीछे चलना हो,
ना पीछे कोई जिसके आगे 
निकलने से डरना हो,
अलग है और बीहड़ है यह रास्ता
सपाट नहीं बिल्कुल ।
कौन जाने, एक कदम सड़क पर 
अगला कदम दरार में है।
भले इस रास्ते पर मेहनत और
किस्मत तकरार में हैं,
पर अनजान रास्तों में चलते
मुकाबला होता खुद से,
दिल सुकून और करार में हैं।
अकेली राह, अकेला सफर
पर कम से कम यह इत्मीनान कि
अब मेरी मेहनत, मंजिल और मंशा
 एक कतार में हैं।