ऐसे लोग सामान्यता आपको एक भोली सी शकल बना कर आपसे मिल कर एक बड़ा ही मासूम सवाल पूछते हैं। यह मासूम सवाल कुछ भी हो सकता है, जैसे भाई साब एक मिनट के लिए पेन देंगे क्या? एक कलम होगा क्या आपके पास। देखिए पैने लगा भूल गए।जरा पेन दीजिएगा एक फॉर्म भरना है। मेरा पेन ही नहीं चल रहा है, जरा पेन दीजिए। तुरत वापस कर देंगे।
इस प्रकार के लोग आपसे तब पेन मांगेंगे जब आप या तो अपने फॉर्म को भरने में व्यस्त हैं या कैशियर के साथ अपने सिग्नेचर मिसमैच को लेकर डिस्किस कर रहे हैं या सुंदर सी कैशियर मैडम का इंतजार कर रहे हैं जो अपने बच्चे के लिए स्वेटर बुनने में व्यस्त हैं। पेन मांगने वाले इन्ही मौकों की ताक में रहते हैं ताकि आपका ध्यान कहीं और लगा रहे और आपको उनकी शकल याद ना रहे।
यकीन मानिए आपसे पेन लेने के बाद ना वो दीनता पूर्ण आवाज आपको सुनाई पड़ेगी और ना ही वो भोली शकल आपको दिखेगी। आप को जब तक अपने पेन की फिर से जरूरत पड़ेगी या याद आयेगी, वो सुहानी सूरत आपसे कहीं दूर जा चुकी होगी । आप भी सोचेंगे कि पेन मांगने वाले को भुगतान काउंटर खा गया या नकद रोकड़ी वाला निगल गया। जो भी हो, यह सब व्यर्थ की बातें हैं। आपका पेन आपसे हमेशा हमेशा के लिए दूर हो चुका होता है।
अगर आपको लगता है कि पेन मांग कर गायब हो जाने वाले लोगों के शिकार सिर्फ आप हैं क्योंकि आप एक सच्चे सहृदय व्यक्ति हैं जिनका मानवता पर से विश्वास अभी तक नहीं उठा । और इसी का फायदा उठा कर आपको आपके प्यारे पेन से वंचित कर दिया गया है तो आप एक बहुत बड़े मुगालते में हैं। भाई साब यह पेन मांगने वाले सिक्योरिटी वालों तक से पेन मांग कर गायब हो जाते हैं और उनके हाथ की दुनाली धरी की धरी रह जाती है। बेचारे अपनी जान पर खेल कर बैंक में लाखों की नकदी को तो डाकुओं से बचा लेते हैं लेकिन अपने पेन को बचा पाने में वो असमर्थ ही रहते हैं।
पेन मांगने वालों का प्रभाव आपको बैंक में हर जगह दिखेगा। मैनेजर के केबिन के बाहर लिखा प्रवेश निषेध का बोर्ड इनके आतंक का प्रतीक स्तंभ है। नकदी और लाकर के बाहर एके56 लेकर खड़ी सिक्योरिटी सिर्फ इसीलिए खड़ी रहती है कि कोई कलम के स्टाइल में बैंक की नकदी मांग कर गायब ना हो जाए।
इन्ही के कारण तलवार से भी शक्तिशाली माने जाने वाली कलम बैंक में गंदे मटमैले दंगे बंधी निकासी फॉर्म वाली गड्डी के पास झूलती रहती है। मानो अपनी किसी जवान लड़की को उसके बाप ने घर पर नजरबंद कर रखा हो कि कोई उसको फुसला कर भगा ना ले जाय । बताओ गलती पेन मांगने वालों की और ताउम्र सजायाफ्ता हो जाती है बेचारी पेन।
इन पेन मांगने वालों का तरीका इतना शातिर है कि स्पेशल 26 वाली टीम भी इनके सामने पानी भरती नजर आती है। लेकिन इनके विक्टिम लोगों के पास अपने जख्म सहलाने और दुबारा पेन खरीदने के सिवा कोई चारा नहीं। इनके पीड़ित पूरे देश खासकर उत्तर भारत में पाए जाते हैं जो आपको बात बात पर पेनचोर पेनचोर कहकर अपनी भड़ास निकालते सुने जा सकते हैं। आप भी अगर पेन मांगकर गायब हो जाने वालों के शिकार हुए हों तो साला पेनचोर जोर जोर से कह कर अपना दर्द कम करने का प्रयास कर सकते हैं। करके देखिए, शायद दर्द कम हो जाय या कोई हमदर्द ही मिल जाए तो अपना पेन ( दर्द वाला) आप उसके साथ बांट सकते हैं। वो कहते हैं ना कि सुख बांटने से बढ़ता है और पेन बांटने से घटता है।
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