Monday, January 17, 2022

दो दूधिया बच्चे

गुनगुनी धूप में खेलते
बकरी के दो दूधिया बच्चे।

रात भर सोए रहे अपनी मां के पास
दुग्ध धारा रही प्रवाहित 
गर्माहट वाले प्रेम का पोषण मिला खास
अब संक्रति की सुबह जब चरने को निकली मां
शिशु द्वय अब भी न लेने देते मां को श्वास।
मां के पीछे उछलते कूदते जुड़वां 
भले कदम हैं कच्चे
गुनगुनी धूप में खेलते
बकरी के दो दूधिया बच्चे।
यह निश्छल रंग है मां का
प्रेम का या मां के दूध का,
जिससे हैं सराबोर बच्चे 
और उनका तिनका तिनका
बाबा नागार्जुन वाला दूधिया वात्सल्य
मानो है हर तरफ छलका
छटकती रोशनी है बताती कि
है चारों तरफ जुड़वां ऊन के गोलों के चर्चे
गुनगुनी धूप में खेलते
बकरी के दो दूधिया बच्चे।

भूखी मां ने खा लिए गुलाब के दो पौधे
बच्चों ने मचाया उत्पात, गमले पड़े औंधे
शोर करता आया माली , जब देखा श्वेत वसना जुड़वे
बस दे पाया गुलाबी सी झिड़की,
उतर गई त्योरियां क्रोध रह गए आधे
जैसे दुनिया हो गलत, मां बच्चे लगे सच्चे
गुनगुनी धूप में खेलते
बकरी के दो दूधिया बच्चे।
गुनगुनी धूप में खेलते
बकरी के दो दूधिया बच्चे।




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