Friday, September 4, 2020

मंदी का रामबाण है पर्यटन

 वर्तमान कोरोना संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1930 की वैश्विक महामंदी के बाद सबसे गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया है। हाल में प्रकाशित जीडीपी के आंकड़े यह दिखाते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह इसकी चपेट में है। इस विषम समस्या का बौद्धिक विश्लेषण और आंकड़ों के मकड़जाल में उलझने से कोई लाभ नहीं , इसके बजाय सम्यक यह होगा कि हम इस के उपायों पर ज्यादा मंथन करें।

बहुत सुन चुके दास्तान ए दर्द!
अब तो बता कि इस मर्ज की दवा क्या है??
कोरोना संकट से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है पर्यटन और आथित्य क्षेत्र। वैश्विक अर्थव्यवस्था में औसतन
दस प्रतिशत नौकरियां पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी हुई है| मोटे तौर पर भारत में करीब 12% रोजगार तथा 2.5 लाख करोड़ की आय प्रत्यक्षतः या परोक्ष रूप से पर्यटन क्षेत्र से आती है। यह क्षेत्र वर्तमान वर्ष में करीब 1.1 करोड़ विदेशी सैलानियों तथा 60 लाख अप्रवासी भारतीय सैलानियों से वंचित रहने वाला है। चूंकि यह क्षेत्र अधिकाँशतः अनौपचारिक क्षेत्र में आता है इसीलिए वास्तविक संख्या इस से ज्यादा ही है |



मंदी का रामबाण है पर्यटन
पांच करोड़ भारतीयों की रोजी रोटी चलाने वाला यह क्षेत्र आज अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। लेकिन इस क्षेत्र को उबारना इसलिए आवश्यक नहीं है क्योंकि यह क्षेत्र दया का पात्र है, अपितु इसीलिए आवश्यक है क्योंकि हमारी आर्थिक खुशहाली तक वापसी का मार्ग भी इसी क्षेत्र से गुजरता है। पहला कारण तो यह कि यह रोजगार की असीम संभावनाओं वाला श्रम गहन क्षेत्र है। दूसरा कारण यह कि इस क्षेत्र में किया गया निवेश आय बढ़ाने में मल्टीप्लायर फैक्टर की तरह कार्य करता है। एक छोटे से होटल के खुलने से वहां एक टैक्सी ड्राइवर, बेल बॉय, रिसेप्शनिस्ट, एक मैकेनिक, सफाई कर्मचारी, रसोइया,बैरा, इलेक्ट्रीशियन, इंटरनल डेकोरेटर, सब्जी वाला, दूध वाला, यहां तक कि आस पास एक ट्रैफिक हवलदार तक को रोजगार मिलता है और उसकी आय का सृजन होता है। तीसरा कारण है पर्यटन क्षेत्र का लिंग और क्षेत्र आधारित समावेशी चरित्र। पर्यटन और आथित्य क्षेत्र में महिलाएं नैसर्गिक रूप से दक्ष होती हैं , और तथाकथित ' अविकसित ' क्षेत्रों से अधिक नैसर्गिक सौंदर्य शायद ही कहीं और मिले । महिलाओं के स्वाबलंबन और सशक्तिकरण तथा सुदूर क्षेत्रों के विकास का सबसे आसान मार्ग पर्यटन और आथित्य क्षेत्र ही प्रदान करता है। चौथा कारक यह है कि देश में हर प्रकार के पर्यटन यथा ऐतिहासिक, नैसर्गिक,धार्मिक,ग्राम्य,कृषि पर्यटन आदि की विपुल अक्षय संभावनाएं हैं |
वैकल्पिक पर्यटन का दौर
यह स्वाभाविक ही है कि कोरोना के कारण पर्यटन क्षेत्र के भी व्यवसाय पद्धतियों पर प्रभाव पड़ा है। वैश्विक स्तर पर छोटी होती जा रही आपूर्ति श्रृंखला पर्यटन क्षेत्र पर भी पड़ा है। 2019 और पहले की तरह अब हमारा पर्यटन क्षेत्र ना विदेशी सैलानियों के भरोसे रह सकता है और ना ही हमारे लोग विदेशी जगहों पर घूमने जा सकते हैं। पर्यटन क्षेत्र के उद्धार का मार्ग में ‘लोकल के लिए वोकल’ मंत्र में छुपा है। वह बीते ज़माने की बात हुई जब बड़े बड़े शहरों में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती थी। आज कोरोना काल में लोग शहर और भीड़ दोनो से दूर भागते हैं। भारत में ग्राम्य पर्यटन, कृषि पर्यटन जैसे वैकल्पिक पर्यटन क्षेत्र की असीम संभावनाओं के दोहन की आवश्यकता है। वर्तमान समय में स्वस्थ जीवन शैली, प्राकृतिक चिकित्सा और इम्यूनिटी को बढ़ाने वाली औषधियों के तरफ लोक रुझान अपने ऐतिहासिक और अप्रत्याशित स्तर पर है| ऐसे में ‘आपदा को अवसर’ में बदलने में मेडिकल टूरिज्म , ग्राम्य टूरिज्म तथा कृषि टूरिज्म की तिकड़ी हमारे लिए स्वर्ण खदान से कम नहीं है।
इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों में तीव्रता लाने की आवश्यकता है। हमारे प्रयासों में हुए विलम्ब के कारण पर्यटन क्षेत्र में लगा हमारा कुशल और प्रशिक्षित मानव संसाधन जैसे टूरिस्ट गाइड या हस्तशिल्पी प्रश्रय के अभाव में अन्य व्यवसायों की तरफ मुड़ सकता है जहां से उनका वापस पर्यटन क्षेत्र में लौटना संभव नहीं होगा। इस स्थाई नुक्सान की भरपाई आसान नहीं होगी |

गो आउट एंड सी आवर कंट्री
प्रयास सरकार की तरफ से नीतिगत और कार्यकारी स्तर पर होने चाहिए। एक दो वर्षों के लिए पर्यटन क्षेत्र कर राहत और सहायता पैकेज के साथ साथ कुछ नवोन्मेषी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उदाहरणतया, जिस प्रकार राम मंदिर शिलान्यास के समय पांच सौ लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को पालन करते हुए जमा होने की अनुमति मिली, उसी प्रकार सरकारी विभागों तथा कॉरपोरेट्स को ओपन एयर मीटिंग्स और सेमिनार करने की अनुमति दी जा सकती है। इससे मांग की कमी से जूझते हमारे पांच सितारा होटल्स और रिसॉर्ट्स को जीवनदान मिल सकेगा | स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं को कम से कम एक स्थानीय टूर आयोजित करने के दिशा निर्देश दिए जा सकते हैं। अनलॉकडाउन नियमों के तरह हरेक राज्य के क्वारांटाइन नियमों में एकरूपता, श्रमिक एक्सप्रेस की तर्ज पर चुनिंदा विशेष पर्यटक ट्रेन चलाने पर विचार होना चाहिए। सरकार द्वारा टूरिज्म टास्क फोर्स का गठन और अनेक तीर्थ स्थलों को उड़ान योजना के अन्तर्गत शामिल करना एक स्वागत योग्य कदम है।
स्वाभाविक है व्यापक जनभागिता के बिना यह प्रयास अधूरे ही रहेंगे। आर्थिक संकट और मांग की कमी से गुजरते अमरीका में नारा था 'गो आउट एंड शॉप'| हमारा नारा होना चाहिए " गो आउट एंड सी आवर कंट्री " | पर्यटन क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का वह कमाऊ पूत, वह स्टार खिलाडी है जिसे अभी अपनी सफलता का उत्कर्ष देखना है लेकिन यह कमाऊ पूत और स्टार खिलाडी चोटिल हो गया है | इसको सम्बल देकर हम अपने स्वर्णिम और उज्जवल भविष्य का ही पोषण करेंगे |

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