Saturday, September 12, 2020

झूठ और सच

सच हारता नहीं, यह सच है
पर सच छुप जाता है, जहां शोर है
झूठ हारता है अवश्य, यह सच है
पर झूठ बिकता, चहुं ओर है।

सच की जीत मांगती खून, यह सच है।
मरता अभिमन्यु सच के संघर्ष में
वास्तविकता यह एक कठोर है
झूठ दिखता प्रिय, देवता तुल्य
कर्ण के कवच मांग ले, झूठ वह आदमखोर है।




झूठ एक अपंग बिना पांवों के, यह सच है
झूठ फैलता दुनिया में, मानो बादल घनघोर है
सच दिखने में कौवा,झूठ दिखने में मोर है
कड़वा सच  का निवाला ,मीठा झूठ का कौर है।
सच ठिठुरता नग्न बालक, झूठ सफेदपोश चोर है।

झूठ हारता है अवश्य, यह सच है
पर झूठ बिकता, चहुं ओर है।


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