Saturday, August 22, 2020

परसाई जी के प्रति

किसी बच्चे या बड़े से पूछिए हिंदी साहित्यकारों में किसको जानते हो पसंद करते हो, लोग सूर तुलसी निराला प्रसाद प्रेमचंद दिनकर बाबा नागार्जुन अज्ञेय मोहन राकेश,  बहुत हुआ तो हरिवंश राय बच्चन तक आकर रुक जाएंगे। शायद ही कोई हरिशंकर परसाई का नाम ले। 

यह एक बहुत बड़ी विडम्बना है। अगर साहित्य समाज का आइना है तो व्यंग्य से ज्यादा आइना समाज को कोई और साहित्य नहीं दिखा ‌सकता। अच्छा साहित्य लिखने के लिए संवेदना, वाक्चातुर्य, शब्द कौशल और एक जागृत मस्तिष्क चाहिए। इन सभी के साथ आप साहित्य लिख सकते हैं, लेकिन व्यंग्य साहित्य लिखने के लिए उपरोक्त गुणों के अलावा आपमें एक योद्धा का साहस होना चाहिए, एक बच्चे की चुहल होनी चाहिए और एक ऋषि समान ज्ञान होना चाहिए ।
‌ व्यंग्य सबसे कठिन विधा है। यह निर्बल का सबलों के प्रति हथियार है। तलवार गले काट सकती है , विचारधारा का प्रभाव समाप्त नहीं कर सकती। सत्याग्रह एक सामूहिक अस्त्र है, अकेला सत्याग्रही शायद ही सबल आततायी को परास्त कर सके। अगर करे भी तो समय बहुत लगता है। व्यंग्य के जरिए एक अकेला समस्त शक्तिमान सत्ता को परास्त कर सकता है, उसकी शोषक विचारधारा को निर्मूल कर सकता है।
‌सिर्फ सबल ही क्यों? व्यंग्य और हास्य किसी के भी दिल को जीतने का सबसे कारगर हथियार है। लेकिन यह उतना आसान भी नहीं । जितना कारगर हथियार होता है, उसको चलाने वाले को उतना ही सिद्ध हस्त होना आवश्यक है।  ऐसे ही कालजयी सिद्धहस्त थे श्री हरिशंकर परसाई।


‌उनकी जयंती पर उनको शत शत नमन। उनकी जयंती पर उनकी एक छोटी सी व्यंग्य रचना पढ़िए।
‌----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पुलिस मंत्री का पुतला


एक राज्य में एक शहर के लोगों पर पुलिस-जुल्म हुआ तो लोगों ने तय किया कि पुलिस-मंत्री का पुतला जलाएँगे।

पुतला बड़ा कद्दावर और भयानक चेहरेवाला बनाया गया।

पर दफा 144 लग गई और पुतला पुलिस ने जब्त कर लिया।

अब पुलिस के सामने यह समस्या आ गई कि पुतले का क्या किया जाए। पुलिसवालों ने बड़े अफसरों से पूछा, ‘साहब, यह पुतला जगह रोके कब तक पड़ा रहेगा? इसे जला दें या नष्ट कर दें?’

अफसरों ने कहा, ‘गजब करते हो। मंत्री का पुतला है। उसे हम कैसे जलाएँगे? नौकरी खोना है क्या?’

इतने में रामलीला का मौसम आ गया। एक बड़े पुलिस अफसर को ‘ब्रेनवेव’ आ गई। उसने रामलीलावालों को बुलाकर कहा, ‘तुम्हें दशहरे पर जलाने के लिए रावण का पुतला चाहिए न? इसे ले जाओ। इसमें सिर्फ नौ सिर कम हैं, सो लगा लेना।’

No comments: