दूसरा बदलना है आईसीसी के वाहिद अफसरों को। अजी हमारे माकूल ना पिच दे रहे हैं और ना हमारे माकूल तमाशाई। नामाकूल पिच पर हमारी नंबर वन टीम खेल भी ले, लेकिन नामाकूल टीम के खिलाफ कैसे खेलें। जब हमारी सारी प्रैक्टिस जिम्बाब्वे के खिलाफ थी और आपने जिम्बाब्वे को बुलाया ही नहीं खेलने के लिए। यह तो सरासर हमारे जिमबाबर भाई की odi रैंकिंग छीनने की साजिश भर है।
इसके बाद जरूरी है बदलना हमारे टीम के लास्ट ओवर फेंकने वाले को। नवाज कितने आखिरी ओवर फेंकेगा जी। आखिर फिनिशर का रोल वो अकेला कब तक निभाए। धोनी हो या माइकल बेवन, नवाज से बेहतर फिनिशर पाकिस्तानी क्रिकेट नहीं बल्कि पूरी दुनिया की क्रिकेट की तारीख में मिलना मुश्किल है जी। आखिर हमारी क्रिकेट टीम एक फैमिली है, एक चाचा हैं, एक इंजी भाई के भतीजे हैं, एक दामाद हैं जिनको रिवर्स स्विंग तभी मिलती है जब सामने वाली टीम तीन सौ रन मार के गेंद का हुलिया बिगाड़ दे। कप्तान बॉबी बादशाह हमारे शाहीन को पहले ही बॉलिंग पर ले आता है तो बेचारे शाहीन की क्या गलती। हारिश और शादाब अपना कोटा पूरा कर लें, शाहीन से पहले। बस मिलने लगेगी शाहीन को रिवर्स स्विंग। हारिश तो हमारा हीरो है जी, 150 पर बॉल डालता है, और दूसरों के 300 करवाता है।
लास्ट में बस एक म्यूजिक थेरेपिस्ट चाहिए। अफगान जलेबी वाला गाना सुन के टीम के कई लड़कों को घबराहट के दौरे पड़ने लगे हैं। दिल दिल पाकिस्तान सुना के जैसे तैसे इनको सम्हाला है जी। म्यूजिक से याद आया, हमारे पीसीबी चीफ की कुर्सी के।लिए जो म्यूजिकल चेयर वाला गेम चल रहा है, उसको भी थोड़ा बंद करना पड़ेगा जी। लोग हमारी क्रिकेट से ज्यादा पीसीबी वाली गेम ज्यादा देखते हैं। बाकी तो बॉयज ऑलवेज प्लेड वेल। एक और मैच हैदराबाद में रखवा दो जी। हैदराबाद की बिरयानी और पाया दा शोरबा एक और बार जी भर के खाना है, कराची की फ्लाइट पकड़ने से पहले।
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