अपने आस पास देखिए, बहुत सारी ऐसी घड़ियां दिख जाएंगी। इनसे बात करिए तो उनका टिक टिक करना भी सुन लेंगे। उनसे पूछिए कि आजकल गाने कौन से सुन रहे हैं, तो वो बताएंगे कि कुमार शानू और अलका याग्निक के बाद उनको कोई पसंद ही नहीं आया। क्रिकेट के बारे में पूछिए तो आपको पता चलेगा कि भाई साब की सुई अब तक जावेद मियांदाद और इमरान खान पर अटकी हुई है। फिल्म में भाई साब अब भी साजन और सनम बेवफा की तारीफ में कसीदे पढ़ते रहते हैं। पूछिए कि अपने परिवार के बारे में कुछ बताइए तो भाई साब अपने दादा जी की जमींदारी के किस्से बांचने लग जायेंगे । समझ लीजिए, कि भाई साब अटकी हुई घड़ी हैं , बस टिक टिक कर रहे है, आगे नहीं बढ़ रहे।
बस टिक टिक करना और आगे ना बढ़ना, रुकने से पहले वाला पायदान है। ऐसे टिक टिक वाली घड़ियां हमेशा गलत समय बताती हैं, हालांकि वो घड़ियां खुद गलत रहती हैं । ऐसी टिक टिक करने वाले घड़ियां जो समय के साथ आगे नहीं बढ़ती, अपने आप को बदल नहीं पाती, अक्सर बदल दी जाती हैं।
बीच बीच में खुद को भी देखिए कि कहीं आप भी पीछे तो अटके नहीं हुए हैं। या तो अपनी बैटरी बदलिए, या खुद में चाबी भरिए, या अपनी स्प्रिंग बदलिए, और समय के साथ आगे बढिए । नई चीज़ें सीखिए, नए शौक पालिए, नई आदतें डालिए, किसी नई जगह घूम आइए, कोई नई किताब पढ़ डालिए, नए दोस्त बनाइए वरना किसी कबाड़ी की दुकान का एक अंधेरा कोना आपका इंतजार कर रहा है।
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