माननीय राष्ट्रपति के आवास को घेरना , आग लगा देना और मुंह अंधेरे देश से पलायन करता श्रीलंका का शीर्ष नेतृत्व दिखाता है कि अर्थव्यवस्था संबंधित कुछ भूलों की कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। पैसा हाथ का मैल नहीं , समाज की नीव का पत्थर है। मानव सभ्यता की विशालकाय अट्टालिका अर्थव्यवस्था की नीव के भरोसे ही खड़ा रहता है। आवश्यक है कि अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में हर कोई अपना योगदान दे। यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। अपना कर ईमानदारी से भरें, पेट्रोलियम जैसे उत्पाद , जिनके लिए हम पूर्णतः आयत पर निर्भर है, का मितव्यव्यिता से प्रयोग करें। सरकार की गलत आर्थिक नीतियों का विरोध करें, रचनात्मक आलोचना करें। मेरा क्या मुझे क्या वाली मानसिकता से बचें। अर्थव्यवस्था हम सब के जीवन को सर्वाधिक प्रभावित कर सकने वाली शक्ति है। इसकी महत्ता को समझने और समझाने का इसे बेहतर वक्त नहीं हो सकता। श्रीलंका की परिस्थिति से मिल रहे सबक अमूल्य हैं।
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Sunday, July 10, 2022
श्रीलंका के सबक
श्रीलंका के हालत याद दिलाते हैं कि अर्थव्यवस्था ही मूल व्यवस्था है अन्य सभी व्यवस्था और सामाजिक संरचनाएं किसी न किसी रूप में मौलिक व्यवस्था अर्थव्यवस्था को ही प्रतिबिंबित करते हैं। सामाजिक ढांचा हो या राजनैतिक परंपराएं या धार्मिक मान्यताएं सबके मूल में अर्थव्यवस्था ही है। मानव रोटी कपड़ा मकान की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद ही वो गतिविधियां कर पाता है जिसके वजह से वह प्राणीजगत के अन्य जीवों से अपने आप को अलग कर पाता है। और समस्त मानव जगत को मूलभूत आवश्यकताओं (जिसका दायरा आज रोटी कपड़ा मकान से कहीं ज्यादा विस्तृत हो चुका है) की पूर्ति अर्थव्यवस्था ही करता है। जब अर्थ व्यवस्था ध्वस्त होती है तो मानव वापस अपनी मूल भूत जरूरतों के लिए अपनी सभ्यता, नैतिक मूल्य सब बिसर जाता है।
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