Sunday, July 31, 2022

नए कोंपल की जरूरत

कोई पेड़ कितना जिएगा, उसकी आयु कितनी बची है यह इस बात पर उतना निर्भर नहीं करता कि तना कितना मजबूत है। या उसकी जड़ें कितनी गहरी हैं। तना कितना भी मजबूत हो , तनों पर फूल नहीं खिलते। तनों से फल नहीं लगते। फूल खिलते हैं नई पतली टहनियों पर, फूल खिलते हैं नई कोंपलों से। भले जड़ कितनी भी गहरी क्यों ना हो, प्रकाश संश्लेषण का काम नहीं कर सकती जिससे वृक्ष को नई ऊर्जा मिलती है। 

किसी वृक्ष की जीवन आयु इस बार पर निर्भर करती है कि उसमें नए पत्ते आ रहे हैं या नहीं। क्योंकि विकास और वृद्धि नई कोंपलों से ही हो सकती है। भविष्य की संभावनाओं से भरे नए बीज, नई हरी टहनियों से लगे नए फलों के अंदर ही संरक्षित हो सकते हैं।
कोई भी विचारधारा, संस्था तब तक हो जीवन्त बनी रहती है जब तक युवा उसकी ओर आकर्षित हो उसमें शामिल होते रहते हैं। यह युवा ही संस्था में प्राण वायु का संचार करते हैं, विचारधारा के बीजों को संरक्षित करते हैं और दूर दूर तक नई पौध का आधार बनते हैं। हरे पत्तों के बिना मजबूत से मजबूत तना भी ठूंठ बन जाता है और हरे पत्तों के बिना गहरी जड़ें भी बिना श्वास के सूख जाती हैं। 

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