एकता कपूर के पास पैसा है, राइटर्स की जमात है ,मेकअप आर्टिस्ट की फौज है, VFX करने वाले टेक्नीशियन हैं, तो मैडम नागिन और गंदी बात का सीजन पर सीजन निकाल रही हैं। सलमान खान के पास स्टारडम है, बॉलीवुड का सारा रिजेक्टेड कचरा है तो उसको रिसाइकल करके बिगबॉस बना बना के पैसे कमा रहे हैं। टीवीएफ वालों के पास आइडिया है , कंटेंट है और इंटेंट है इसीलिए वो पंचायत बना रहे हैं । चाहे एकता कपूर और सलमान खान वाला कोई औकात नहीं है उनके पास।
पंचायत का दूसरा सीजन देख के लगा जैसे मेनस्ट्रीम प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स मानो उस पूरा गांव के जैसे है जहां सबके पास शौचालय है लेकिन सब शौकिया खुले में कर रहे हैं । सीना तान के खुले में कर रहे हैं। और कुछ लोग हैं बिनोद जैसे , जो चाहते हैं कि कुछ भी हो बाहर हगने का सिस्टम बंद होना चाहिए। चाहे उसके लिए नंगी क्रांति तक क्यों नहीं करनी पड़े।
बाकी प्रधान जी मतलब रघुबीर यादव जी तो अभिनय के खेल के मंझे हुए खिलाड़ी हैं , और सचिव जी उर्फ जीतू भैया भी अब जाना पहचाना नाम हैं लेकिन इन सबके बीच बाजी मारी है सहायक सचिव और उप प्रधान जी ने। जासूस वही तो जासूस ना लगे और एक्टर वही जो एक्टिंग करता हुआ न दिखे। लगे कि बस कर रहा है, जी रहा है अपने किरदार को। सहायक सचिव उर्फ चंदन रॉय अपने रोल में घुस गया है। उसको देख के आप भी कहिएगा कि आपमें बहुत प्रतिभा है सर। पंचायत में गाना सब भी सही है, मुझे सिचुएशन के मुताबिक ही लगा। जहां जरूरत पड़ी बैकग्राउंड म्यूजिक भी बढ़िए दिया है।
बाकी बचा मैन ऑफ द मैच। तो वो ट्रॉफी बहुत महीन अंतर से ही सही लेकिन उप प्रधान जी यानि हमारे फैसल मालिक को जाता है। आखिरी एपिसोड में फैसल पूरी सीरीज को अपने कंधे पर उठा लेते हैं और उस ऊंचाई पर ले जाते हैं जहां पंचायत को जाना ही चाहिए। अगर पंचायत का अगला सीजन आएगा तो लोग यह जानने में ज्यादा इंटरेस्टेड होंगे कि प्रह्लाद चचा कैसे हैं न कि सचिव जी का कैट क्लियर हुआ कि नहीं।
बाकी सब कुछ अपनी जगह ठीक है। ठीक क्या बहुते बम पिलाट बना के धर दिया है अरुणाभ और दीपक जी ने। वैसे जब विद्यार्थी नब्बे से ज्यादए नंबर लाने लगता है तब टीचर खराब हैंडराइटिंग का भी नंबर काटने लगता है। उसी हिसाब से कुछ गलती अगर निकालनी ही है तो हम कहेंगे कि भाषा का टोन बलिया वाला नहीं है । यह टोन है पूर्णिया खगड़िया और बेगूसराय वाला। बाकी किसको पता फरक पड़ता है । सलमान खान और प्रियंका चोपड़ा का फेक एक्सेंट और कपिल शर्मा शो पर नकली लड़की बने लोगों को जब झेल ले रहे हैं तो इधर तो बस थोड़ा टोन ही गड़बड़ है। वैसे भी लड़का लड़की बन के नाचे तो फकौली वाले माफ करने वाले नहीं हैं तो फकौली बाजार में कपिल शर्मा नहीं चलने वाले।
मौका लगे तो पंचायत का नबका सीजन देख मारिये, बहुत लोग तो अखंड कीर्तन की तरह एके बार में देख गए हैं जिसको अंग्रेजी में बिंज वाचिंग भी कहते हैं। और आप भी पंचायत का अखंड कीर्तन शुरू कर दीजिए। बिरयानी, पिज्जा और सुशी और मोमो खा के अगर पक गए हैं तो प्रधान जी के बगीचे का लौकी खा के देखिए, मजा नहीं आया तो आप बनराकस ही हैं। आपका कुछ नहीं हो सकता।
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