स चाङ्गविषयश्श्रीमान्यत्राङ्गं प्रमुमोच ह।
वाल्मीकि रामायण के उक्त श्लोक में अंग प्रदेश का वर्णन उस सुंदर भूभाग के रूप में वर्णित है जहां महादेव की तीसरी आंख से भस्म होने के बाद कामदेव के अंग बिखर गए थे। वर्तमान भागलपुर की मिट्टी में ही कामदेव के अंश हैं। प्राचीन भारत से लें तो मगध सम्राट बिन्दुसार की पत्नी शुभाद्रंगी अंग महाजनपद की राजधानी चंपा की थी। बिन्दुसार और शुभाद्रंगी के पुत्र महान अशोक को कौन नहीं जानता। तो इस प्रकार वर्तमान भागलपुर सम्राट अशोक की ननिहाल है। यह एक संयोग ही है कि दूसरे प्रसिद्ध अशोक , हमारे दादामुनी अशोक कुमार का जन्म भी भागलपुर में हुआ था।
भागलपुर सिर्फ महान हस्तियों की जन्मभूमि नहीं रहा है, महान समाज सुधारक , आधुनिक भारत के पिता राजा राम मोहन राय भागलपुर समाहरणालय में कार्यालय अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे। देवदास, पारो और चंद्रमुखी की असफल किंतु महान प्रेमकथा रचने वाले शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने देवदास की रचना भागलपुर में ही की थी क्योंकि यहां पर उनका अधिकतर बचपन अपने मामा के यहां गुजरा था। यह वोही देवदास उपन्यास है जिसपर 20 से ज्यादा बार फिल्म बन चुकी है। कुंदन लाल सहगल से लेकर दिलीप साब , शाहरुख और अभय देओल की देव डी के देवदास का चरित्र भागलपुर में ही लिखा गया।
देवदास की क्यों, फिल्म गंगाजल का काल्पनिक शहर शिकारपुर वास्तव में भागलपुर ही है। फिल्म का एक चरित्र ऐसे ही नहीं कहता कि शिकारपुर को इतना भी बैकवर्ड मत समझिए!! बैकवर्ड होने की कोई बात ही नहीं है, भारत की शायद सबसे सम्मानित फिल्म पाथेर पांचाली जिस उपन्यास पाथेर पांचाली पर आधारित है उसकी रचना भी विभूति भूषण बंद्यपाध्याय ने उस समय की थी जब वे भागलपुर एस्टेट में सहायक प्रबंधक के रूप में कार्यरत थे।
करतनी चावल, कतरनी चूड़ा , जर्दालू आम ,भागलपुरी सिल्क, विक्रमशिला भग्नावशेष, मंदार हिल्स, जनजातीय गौरव और कला, कहलगांव के पाल कालीन मंदिर ऐसे अनगिनत पहलू हैं जिनपर भागलपुर के लिए लंबे लंबे आख्यान दिए जा सकते हैं। लेकिन वो सब फिर कभी!! लेकिन अंगराज कर्ण की भांति भागलपुर भी उनके दुर्भाग्य का दंश ढो रही है कि सर्वगुण संपन्न होने के बावजूद ना कभी अंगराज को उनका यथोचित स्थान मिला । भागलपुर अपने गौरव शाली इतिहास और संभाव्य भविष्य के बीच वर्तमान में संघर्ष करता दिख रहा है। भागलपुर नाम भाग्यद्दत्त पुरम का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है सौभाग्य का शहर। वर्तमान भागलपुर अपने नाम की तरह विडंबना की एक जीवंत मिसाल भर है।
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