भारत में ज्ञान बांटने का काम सदैव बेरोकटोक चलता रहा है। आप चाय की टपरी पर बैठ जाएं, आपको रूस यूक्रेन की समस्या का कारण, परिणाम, भविष्य सबका सटीक विवेचन मिल जाएगा। रेलवे में स्लीपर क्लास में आधे घंटे में आगामी गुजरात चुनाव, हिमाचल चुनाव, 2024 चुनाव यहां तक कि 2029 चुनाव परिणाम का आकलन, राज्यवार स्थिति, जातिगत समीकरण सब जानकारी प्राप्त हो जायेगी। किसी स्पोर्ट्स बार में बैठ जाएं आपको पता चल जायेगा कि कोहली की बैटिंग में क्या समस्या चल रही है और धोनी के रहने के बावजूद रैना को सीएसके ने क्यों नहीं खरीदा। बुमराह पंत यहां तक कि अर्जुन तेंदुलकर का कैरियर किधर जायेगा,सब पता चल जायेगा।
आप जीवन के गूढ़ प्रश्नों को लेकर परेशान हैं , जीवन मृत्यु पाप पुण्य इहलोक परलोक सबके जवाब गोवा वाले बीच पर तीन पैग डाउन के बाद आपके अपने दोस्तों से ही मिल जायेगा। किस लड़की को आपके जीवन में होना चाहिए था लेकिन आपने उसको कहने में विलंब किया आपसे ज्यादा आपके दोस्त लोग बताएंगे। सिर्फ बताएंगे ही नहीं आपके फोन में स्टोर किए हुए हर क्रश, एक्स, क्रश बट बिच, एक्स बिच, फैंटेसी को रात दो बजे फोन भी कर देंगे।
लोब्बोलुआब यह कि भारत ऐसे ही विश्व गुरु नहीं बना। ज्ञान बांटना यहां शगल नहीं धर्म माना जाता है। और भारतीय कितने धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, यह बात किसी से छुपी नहीं है। जिसको जब मौका मिलता है आपको ज्ञान बांट के निकल लेता है। पूर्ण निस्वार्थ भाव से। भारतीय सिर्फ ज्ञान देना जानते हैं, ज्ञान लेना तो स्वार्थ का कार्य है। लेकिन बहुधा ज्ञान बांटने वाला इतना ज्यादा ज्ञान दे जाता है कि संभालना मुश्किल हो जाता है। कभी कभी तो आप इतना ज्यादा ज्ञान मुफ्त में पा लेते हैं कि इसको पचाना मुश्किल हो जाता है। फिर शुरू होती है ज्ञान की अपच और ज्ञान आगे बांट ना पाने के कारण ज्ञान जनित कब्ज। ऐसी कब्ज कि कोई ज्ञानम चूर्ण या ज्ञान सफा आपकी कब्ज दूर नहीं कर पाता। इसके लिए आवश्यक है कि आप सिर्फ ज्ञान लें नहीं दें भी।
समस्या सिर्फ ज्ञान लेने वालों की नहीं है,अगर आप सिर्फ ज्ञान बांटने वालों में से हैं तो समस्या और भी कठिन है। पीठ पीछे लोग आपको ज्ञानडू तक कहने लगते हैं। और धीरे धीरे आपको दरकिनार करने लगते हैं, फिर नियमित रूप से ज्ञान उत्सर्जन ना कर पाने के कारण धीरे धीरे आप ज्ञान जनित कब्ज के चंगुल में फंसते जाते हैं।
तो अगर आपको मुफ्त में प्राप्त ज्ञान के एक्स्ट्रा बोझ से बचना है और ज्ञानडू भी आप कहलाना नहीं चाहते तो एक उपाय है। ज्ञान सहकारिता कॉन्ट्रैक्ट। उपाय है सरल किंतु अत्यंत प्रभावी। करना यह है कि आप किसी को पकड़ो कि भाई मैं अपना ज्ञान तुमको दूंगा और बदले में तुम अपना ज्ञान मुझे देना। इस तरह ज्ञान न बांट पाने की कब्ज से तुम भी बच जाओगे और मैं भी। हम ज्ञान बांट भी लेंगे और ज्ञानडू जैसे विशेषणों से बच जाएंगे। यह ज्ञान सहकारिता कॉन्ट्रैक्ट या नॉलेज शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट एक तरह से ज्ञान के लिए सप्लाई चेन मैनेजमेंट की तरह है। आप चाहें तो ज्ञान बांटने के लिए नेटवर्क मार्केटिंग वाले मॉडल का इस्तेमाल कर सकते हैं। कि मैंने तीन लोगों को ज्ञान बांटा तुम आगे तीन लोगों को बांटो। इस तरह से ज्ञान फैलता भी जायेगा और हमेशा ज्ञान देने और लेने वालों के बीच का संतुलन बना रहेगा और भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का यज्ञ अबाधित चलता रहेगा।
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