Monday, February 27, 2023

सर सर सर

हिंदी में सर को सिर भी कहते हैं। अंग्रेजी में लिखते तो सिर ( sir) हैं लेकिन पढ़ते सर हैं। वैसे हिंदी में सर का मतलब हेड होता है इंग्लिश में सर का मतलब हेड नहीं होता। लेकिन किसी संस्था के हेड को वहां के सारे लोग सर सर ही कहते हैं। स्कूल में था तो हिंदी शिक्षक को लोग हिंदी सर कहते थे, पता नहीं हिंदी सर वाले नाम में लगने वाला सर हिंदी वाला था या अंग्रेजी वाला। अंग्रेजी वाला नहीं होना चाहिए क्योंकि हिंदी वाले शिक्षक का नाम अंग्रेजी में लिया जाय यह बात सर से उपर निकल जाती है। लेकिन अगर हिंदी वाला सर माने तो उनका नाम का मतलब हिंदी माथा या हिंदी सिर हो जाता है। जो सही नहीं लगता। वैसे हिंदी सर हिंदी विभाग के हेड थे, तो उनको हिंदी सर कहना सरासर गलत भी नहीं था।

सरासर गलत तो होता है किसी वरीय पदाधिकारी के तुगलकी गलत फरमान को भी आकाशवाणी तुल्य ईश्वरी आदेश सुन कर कनीय पदाधिकारियों की सर सर सर की गूंज वाली सरसराहट। जैसे अगर आदेश हो जाय कि नहर खोद कर गंगा की धार को कानपुर से मोड़ कर वापस गंगोत्री पहुंचाना है तो भी सर के आदेश के बाद जो सर सर सर का समवेत स्वर गूंजायमान होता है उसपर विहंगो के प्रातःकालीन कलरव को भी शरम आ जाय। बेशरम ही सही लेकिन सर सर की ध्वनि का असर जबरदस्त होता है।सर सर सुन कर बड़े पदाधिकारी का सीना जहां एक तरफ चाटुकारिता पाकर छप्पन इंच का हो जाता है वहीं उनके तलवे सहलाने वाली जुबान भी ऐसे लपलपाने लगती है मानो सामने किसी ने छप्पन भोग के व्यंजन बना के रख दिया हो। किसी खास विभाग की यह खासियत नहीं है, पूरे सरकारी महकमे में ही यह व्याप्त है। यह संयोग नहीं है कि सरकार शब्द ही सर से ही शुरू होता है। बिना सर के सरकार सिर्फ कार रह जाती है। कार भी नहीं,बेकार ही कहिए। वोही कार में सिर्फ सर लग जाय तो सरकार बन जाती है और सरपट भागने लगती है।

कोई सरपंच हो , सरदार हो या हो कोई सरगना उसकी सारी सरगर्मी सर शब्द से ही आती है। सरगम में भी सर नहीं हो तो बस गम रह जाता है । दुनिया का पूरा सरकस भी सर के ही बदौलत है। सरसरी निगाह से देखें तो इस सरजमीं पर सर के बिना सब कुछ बेअसर ही है। तो क्या समझे सर!!



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