Sunday, October 2, 2022

देश का लाल : लाल बहादुर

सन 1965 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान को लगा कि सन बासठ की हार और पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद भारत को हराना आसान होगा। अयूब अतिआत्मविश्वास में बोल गए कि हमारी सेनाएं टहलते हुए दिल्ली तक पहुंच जाएंगी। जाहिर है कि उन्होंने पांच फीट दो इंच ऊंचे भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आकलन उनकी शारीरिक बनावट पर किया था। आगे जो हुआ वो सर्वविदित है, शास्त्री जी ने ना केवल देश का नेतृत्व किया बल्कि पाकिस्तानी जनरल अयूब खान की दिल्ली तक टहल कर पहुंच जाने की सारी योजना मुंगेरीलाल के सपने साबित हुई। युद्धोपरांत रामलीला मैदान में अपने भाषण में एक विजयी वीर की भांति शास्त्री जी ने कहा: अयूब खान ने कहा था कि वो टहलते हुए दिल्ली तक आएंगे, वो तो नहीं आ पाए, इसीलिए हम टहल कर लाहौर पहुंच गए। जनता ने बहरा कर देने वाली करतल ध्वनि से अपने विजेता प्रधानमंत्री का अभिवादन किया।

यह एक संयोग ही है कि 2 अक्टूबर को ही जन्मे महात्मा गांधी जहां सत्य अहिंसा के लिए जाने जाते हैं, दो अक्टूबर को जन्मे शास्त्री जी जो एक गांधीवादी नेता थे, भारत के इतिहास में एक युद्ध विजेता की तरह याद किए जाएंगे। शास्त्री जी ने एक बार राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा था कि अगर कोई देश न्यूक्लियर हथियार या तलवार की नोंक पर हमें डराने का प्रयास करेगा तो हम इतना बता दें कि हम झुकने वालों में से नहीं है। इनको मेरा इतना ही जवाब होगा कि हथियारों का जवाब हथियारों से दिया जायेगा। नौ साल बाद भारत ने पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण किया तो उसका पहला सार्वजनिक संकेत शास्त्री जी ने पहले ही दे दिया था।

कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से शास्त्री जी को उनकी 118वी जयंती पर कोटि कोटि नमन।

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