गंगा जमुनी तहजीब का मतलब मुझे समझ में नहीं आता। कारण यह कि प्रयागराज में यमुना आकर गंगा में मिल जाती है और अपना स्वतंत्र अस्तित्व खो देती है और गंगा कहलाने लगती है। गंगा जमुनी तहजीब का मतलब यह कि प्रयाग के आगे सिर्फ गंगा रहेगी, यमुना नहीं। होना तो यह चाहिए कि कोई ऐसा नाम कहा जाय, जहां दोनो का सहअस्तित्व हो ना कि एक को अपने अंदर समेटने और समाहित करने के लिए दूसरा आतुर हो।
मानव का सौन्दर्य दो अलग अलग आंखों , दो अलग अलग हाथों से ही है। दो आंखों को मिला कर एक बड़ी आंख और दो हाथों को जोड़ कर एक लंबा हाथ ना ही सुन्दर होगा और ना उपयोगी।
अगली बार कोई गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई दे तो पूछिएगा कि आपको जमुना के स्वतंत्र अस्तित्व से इतनी समस्या क्यों है? आप गंगा कावेरी संस्कृति की बात क्यों नहीं करते। उनके तनिक से इशक की कलई खुल जाएगी।
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