Saturday, September 2, 2023

फवाद चौधरी जी आदित्य एल 1 के बाद

हमारी मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में सूरज को लेकर एक प्वाइंट ऑफ व्यू है। सूरज हमें रोज दिख जाता है। उसके उगने और डूबने का समय आसानी से अखबार में मिल जाता है। तो हमें उतने पापड़ बेलने की जरूरत नहीं है। 

हमें पता है कि सूरज बहुत गरम है और वहां इंसानों के बसने के लिए बहुत दिक्कत है। चूंकि वहां गर्मी बहुत है इसीलिए उधर रहने पर एसी का बिल बहुत आएगा। हमारी तंगेहाल तंजीम अभी इतना ज्यादा एसी का बिल चुकाने के लिए राजी नहीं है। 

जहां तक हमें पता चला है कि सूरज से हमें कोई लोन वोन मिलने की भी गुंजाइश कम ही है। जो जितना पैसा लगा कर हम अपने सायंसदानों को सूरज पर भेजेंगे, उससे सस्ते में हमारे वजीर ए आला सऊदी और दुबई जा सकते हैं और वहां से लाख दो लाख कर्जा उधार ला सकते हैं। 

हिन्दुस्तान की आवाम को पैसे खर्चने का शौक है तो वो भेजे अपने सैटेलाइट सूरज पर या उड़ाए अपने पैसे गदर 2 देख कर। हमें ना सूरज पसंद है और ना गदर 2। 

और हिंदुस्तान यह याद रखे कि हम एक शेर मुल्क हैं, और आटा चावल की कमी के कारण भूखे शेर हैं। भूखा शेर कितना खतरनाक होता है, हिंदुस्तान की आवाम और वजीरे आजम को यह पता होना चाहिए। 

हिन्दुस्तान पहले अपने यहां टॉयलेट बनाए । हमसे सीखे। हमने खाना कम कर दिया है, हमने टॉयलेट की जरूरत ही नहीं पड़ती। 

हिन्दुस्तान के साइंटिस्ट भले ही आदित्य L1 और चंद्रयान उड़ा लें, लेकिन हमारा एक एक बच्चा मौका मिलने पर बिना किसी खास तामील के पूरा एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और स्कूल तक उड़ा सकते हैं। हम हैंडपंप से भले थोड़ा डरें, L1 और चंद्रयान से बिल्कुल भी खौफजदा नहीं हैं।

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