मुद्दतों से ना सुना पूरा सच , ना सच्ची खबर
बेइंतहा अब हमारा इंतजार औ सबर हो गए।
सीमा हैदर हैं आज की भी ताजा खबर
बाकी खबर बासी और बेअसर हो गए।
बेखबर हो गई आवाम,
खबरदार करने वाले जब से बेकदर हो गए।
दफन हो गई असली खबर ,
जब से खबरनवीस खुद खबर हो गए।
इश्तेहारों के बीच घुट रही कहीं खबर
अखबार अब खबरों के कबर हो गए।
बन ठन कर सजी है झूठ की मंडी
बस सच बोलने वाले दर बदर हो गए।
No comments:
Post a Comment