हमेशा जीतती हो,
इसीलिए हमेशा जीतने के गुमान
ने तुम्हें बना दिया है इतना घमंडी।
कि हमेशा जीत ने बना दिया
है तुम्हें कड़वी
कि लोग तुम्हें कड़वी सच्चाई कहते हैं।
कि लगातार जीतने की वजह से
तुम में न बाकी रही कोई शर्म।
कि लोग तुम्हें नंगा सच बुलाने लगे हैं।
सच्चाई , सच तो ये है
सर्वकालिक सर्वत्र विजेता
होने के बाद भी
कोई तुम्हारा सामना नहीं करना चाहता
कोई तुमसे नजरें नहीं मिलाना चाहता।
कोई तुम्हें देखना नहीं चाहता
कोई तुम्हें सुनना नहीं चाहता।
लेकिन क्या फर्क पड़ता है तुमको
तुम तो आखिर में जीत ही जाओगी।
सत्यमेव जयते के जय घोष में
दब जायेंगी वो सब आवाजें
जो बताती हैं सच का सच
कि कितनी बेरुखी, कड़वी और नंगी हो तुम।
2 comments:
Well written
लाजवाब....👍
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