Thursday, September 28, 2023

आज की ताजा खबर

मुद्दतों से ना सुना पूरा सच , ना सच्ची खबर
बेइंतहा अब हमारा इंतजार औ सबर हो गए।

सीमा हैदर हैं आज की भी ताजा खबर
बाकी खबर बासी और बेअसर हो गए।

बेखबर हो गई आवाम,
खबरदार करने वाले जब से बेकदर हो गए।

दफन हो गई असली खबर ,
जब से खबरनवीस खुद खबर हो गए।

इश्तेहारों के बीच घुट रही कहीं खबर
अखबार अब खबरों के कबर हो गए।

बन ठन कर सजी है झूठ की मंडी 
बस सच बोलने वाले दर बदर हो गए।

Wednesday, September 27, 2023

भूतों से डर नहीं लगता साहब!!!

बचपन में सुनी गई कहानियों को याद करता हूं तो बरबस ही याद आता है कि भूतों से बड़ा डर लगा करता था। ऐसा लगता था दुनिया में हर जगह भूत ही भूत हैं। पलंग के नीचे अंधेरे में, स्कूल की बंद पड़ी लाइब्रेरी में, रास्ते में पड़ने वाले पीपल पर, कब्रिस्तान में, श्मशान में, टूटी पड़ी चौकीदार की खोली में। मतलब हर तरफ भूत ही भूत। 

बड़ा होने पर पता लगा कि भूत तो बेचारे बड़े क्यूट से होते हैं। आज तक किसी को परेशान नहीं किया, किसी को मारा पीटा नहीं, किसी के पैसे नहीं छीने, किसी की गर्लफ्रेंड नहीं पटा ली। अगर किसी को परेशान किया भी बस इतना ही कि पीछे से हू  हू की आवाज निकाल दी, गुमनाम है कोई टाइप गाना सुना दिया। जिसको सुनाया उसको जिंदा छोड़ दिया ताकि वो बाकी सबको भूत की कहानियां अपने बुढ़ापे तक सुना सके।भूत बेचारे इतने शरीफ कि आपने हनुमान चालीसा पढ़ी नहीं कि बेचारे समझ जाते हैं कि आप उनका स्वागत नहीं करने वाले और वो चुपचाप से निकल लेते हैं। अब पता चल रहा है कि भूत से ज्यादा परेशान करता है भूतिया। जिस किसी से पूछ लो , वो ही भूतिया लोगों से परेशान है।

 कोई दोस्त नए शहर में गया हो, उसको फोन करो तो कहेगा कि क्या कहूं दोस्त, बाकी सब तो ठीक है लेकिन इस शहर वाले बड़े भूतिया किस्म के लोग हैं। किसी की नई शादी हुई हो तो वो आपको बताएंगे कि उसके ससुराल वाले कितने भूतिया टाइप के लोग हैं। कोई नई फिल्म जिसका बड़ा नाम सुनकर आपने हजार रुपए की टिकट और बारह सौ का पॉप कॉर्न खरीदा, पता चला कि फिल्म का डायरेक्टर भूतिया निकला। 


सड़क पर नई कार लेकर निकलना मुश्किल हो गया है, पता नहीं कौन सा भूतिया रॉन्ग साइड से ओवरटेक करने के चक्कर में बड़ा सा स्क्रैच मार दे। गाड़ी ठीक करवाने के लिए इंश्योरेंस क्लेम करने जाओ तो पता चलेगा कि स्क्रैच मारने वाले से बड़ा भूतिया आदमी तो इंश्योरेंस कंपनी का क्लेम सेटेल करने वाला एजेंट है। लब्बोलुआब यह कि दुनिया में भूतिया लोगों को ही साम्राज्य है। महान अशोक और सिकंदर दी ग्रेट और चंगेज खान का साम्राज्य इन भूतिया लोगों के साम्राज्य के आगे चाय कम पानी है।


भूतिया साम्राज्य से बच पाना असम्भव है। उसकी पहुंच आपके घर के अंदर तक है। आप अपने आरामदायक सोफे पर डेढ़ लाख रुपए के हाई डेफिनिशन टीवी को खोल कर बैठते हो कि बाहर के भूतिया लोगों से कुछ चैन मिले तो पता चला टीवी पर बिग बॉस आ रहा है। अब बिग बॉस देख कर बता पाना मुश्किल है कि इसमें सबसे बड़ा भूतिया कौन है। उसके पार्टिसिपेंट सेलिब्रिटी , उसका होस्ट या उसको देखने वाले आप। टीवी बंद कर आप अपना नया आईफोन 15 देखने लगते हो तो पता चलता है कि उसमें बैक बटन ही नहीं है। फिर आपको अहसास होता है कि इन भूतियों ने एप्पल जैसी बड़ी कंपनी पर भी कब्जा जमा लिया है। एंड्रॉयड वाले आपका डाटा चुरा चुरा कर आपको भूतिया बनाने में कोई कसर तो पहले से नहीं छोड़ रहे थे।

फिर आप सोचते सोचते सोचने लग जाते हो कि जिस तरह से मुझे सारी दुनिया भूतिया लगती है, कहीं दुनिया की नजर में मैं भी तो भूतिया नहीं हूं। फिर आप सोचते हो कि आखिर मेरे में ऐसा क्या खास है जो मैं इन भूतिया लोगों को भूतिया ना दिखूं । भाई, बड़ा से बड़ा क्रिकेटर जो फाइनल में जीरो पर आउट हो जाता है, बड़ा से बड़ा निर्देशक जो छह सौ करोड़ लगा के एक फ्लॉप फिल्म बनाता है और पूरी दुनिया जो आईफोन के पीछे पागल है, भूतिया हो सकती है ,तो मेरे में ऐसी कौन सी अलग बात है कि मैं भूतिया ना लगूं।

फिर सोचते सोचते आप यूक्लिड ज्यामिति और आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत तक पहु्च जाते हो। फिर आपको पता चलता है कि भूतिया होना कोई निरपेक्ष अवस्था नहीं है, बल्कि भूतिया होना या भूतिया दिखना एक सापेक्ष अवस्था है। जिस प्रकार यूक्लिड की ज्यामिति में किसी भी बिंदु की अवस्थिति का मापन एक निश्चित बिंदु ओरिजिन जिसे (0,0) से निर्धारित करते हैं, से किया जाता है, उसी प्रकार जब आप पूरी दुनिया को भूतिया समझते हो तो आप वास्तव में अपने फ्रेम ऑफ रिफ्रेंस के ओरिजिन से दूसरों के भूतियापा का मापन कर रहे होते हो, ठीक उसी समय दूसरा व्यक्ति अपने फ्रेम ऑफ रिफ्रेंस के ओरिजिन से आपके भूतियापा का मापन कर रहा होता है। अपने फ्रेम ऑफ रेफरेंस और केवल आपके फ्रेम ऑफ रेफरेंस में आपका भूतियापा हमेशा शून्य रहता है, बाकी के सभी फ्रेम ऑफ रेफरेंस से आपका भूतियापा का माप कुछ न कुछ रहता ही है।  अब आप महसूस करते हो कि बिग बॉस के सारे पार्टिसिपेंट वास्तव में भूतिया नहीं हैं, बल्कि भूतिया बनने का नाटक कर रहे हैं ताकि आपको भूतिया बना सकें। उनके फ्रेम ऑफ रेफरेंस में आपका भूतियापा का माप बहुत ही ज्यादा है। आखिर आपके भूतियापे से ही उनका घर चल रहा है और वो सेलिब्रिटी बने घूम रहे हैं।


वैसे भूत और भूतिया लोगों के बारे में इतना पढ़ जाने के बाद भी आपको लग रहा होगा कि यह आलेख तो भूतिया लोगों के बारे में है ही नहीं, बल्कि किसी और टाइप के लोगों के बारे में है। शायद आपको भी लगने लगा होगा कि यहां भी भूतियापा ने पीछा नहीं छोड़ा। मैंने तो शुरू में ही कह दिया था कि इनका साम्राज्य सर्वत्र और सर्वव्यापी है, आप ही नहीं माने। एक भूतिया सी फिल्म का डायलॉग याद आ रहा है कि भूतों से डर नहीं लगता साहब, भूतिया लोगों से लगता है। 


Saturday, September 23, 2023

अंतर्मुखी का अंतर्मन

चीज़ें पहली बार समझ नहीं आती मुझे। औरों से ज्यादा वक्त लेता हूं समझने में, कुछ ज्यादा ही वक्त ले लेता हूं खुलने में।शायद इसीलिए पीछे रह जाता हूं दौड़ में।

नए दोस्त जल्दी नहीं बना पाता, पुरानी दोस्ती भुला नहीं पाता। इसलिए थोड़ा खिंचा सा रह जाता हूं अतीत में बंधकर उसकी यादों के धागों से।शायद इसीलिए पीछे रह जाता हूं दौड़ में।

वर्तमान में खोया रहता हूं और भविष्य की ओर नहीं ताक पाता। आत्मविश्लेषण कुछ ज्यादा कर बैठता हूं, आत्मसम्वाद में जाया कर देता कुछ ज्यादा वक्त। दुनिया को अपना बनाने की जगह अपनी दुनिया में बना रहना भाता है मुझे। शायद इसीलिए पीछे रह जाता हूं दौड़ में।

बोलने से पहले सोचता हूं, कुछ बोलने के बाद उसको दुहराता रहता हूं अपने आप से जैसे कोई खराब घड़ी की सुई अटक सी गई हो। जो देख रही हो बाकी सुइयों को टिक टिक करते हुए, और फिर सोचती हो कि कितना भी टिक टिक करले, पहुंचती तो कहीं नहीं सुइयां। शायद इसीलिए पीछे रह जाता हूं दौड़ में।

किसी से मिलने में कतराता हूं, कोई मिल जाए तो घबराता हूं। सबसे मिल कर रहना चाहता हूं पर किसी से मिलना नहीं चाहता हूं। रहना चाहता हूं अलग, भीड़ से, शोर से और शायद दौड़ से। किसी दौड़ में शामिल होने से पहले हजार बार सोचता हूं कि क्या होगा हासिल इस दौड़ को जीत कर भी। इसीलिए पीछे रह जाता हूं दौड़ में।



Wednesday, September 20, 2023

कहें तो कहें क्या

ट्रुडो भईया ,

पूरा कन्फ्यूजिया दिए हो!! करें तो करें क्या, और बोलें तो बोलें क्या!! ना तुम दिवाली पर हमको भुक भाक करने वाला झालर बेचते हो, और ना हम लोग तुम्हारा बनाया फोन यूज करते हैं , जिसको खरीदना बंद कर दें। आईपीएल में ना तुम्हारे खिलाड़ी खेलने आते हैं जिसको बैन कर दें और ना कामरान अकमल की तरह तुम्हारी अंग्रेजी खराब है जिसका मजाक उड़ा सकें। बांग्लादेश की तरह तुमको आजादी भी नहीं दिलवाए हैं कि उसका ताना मार सके। एक खिलाड़ी कुमार थे जिसको वर्तमान हालात में शायद बॉयकॉट कर देते लेकिन समय रहते ऊ भी पाला बदल लिए। और तो और तुम्हारा आदमी सब इधर आकर नकली आधार भी तो नहीं बनाता है। 

दिमाग भनभना गया है। ठीक वैसे जैसे हमारे बल्लेबाज श्रीलंका और बंगलादेश के खिलाफ राजकोट और इंदौर में 360 रन बनाने के बाद मेलबॉर्न में 36 पर निपट लेते हैं। हमारे बॉयकॉट वाले सभी हथियार का जखीरा सब बेकार लग रहा है। कोई जोक भी नहीं सूझ रहा , आंख भी छोटा नहीं है तुम लोगों का कि बंद आंख वाला चाइनीज जोक तुम पर चिपका देते। सारा प्रैक्टिस पाकिस्तान, चाइना, बांग्लादेश सब पर किए हुए हैं और सिलेबस से बाहर क्वेश्चन आ गया कनाडा पर। क्या करें? कोई फिल्म भी बनाते तो साला जेतना भी स्क्रिप्ट है सब गदर और लगान जैसा ही है, उधर भी तुम्हारा कोई जिक्र तक नहीं है। तुम्हारा मजाक भी कैसे उड़ाएं।

 बस इतना कह सकते हैं कि इंडिया घूमते समय जो तुम शेरवानी और रंगीन कुर्ता पहन पहन के दिखाते हो ना, ऊ सब पालिका बाजार में फुटपाथ पर गोल लोहे वाले आलने पर हैंगर में झूलते हुए 350 रुपया में मिल जाता है। थोड़ा मोल मोलाई करो तो दुकानदार 650 रुपया में दू सेट दे देता है कि आप बोहनी कर रहे हो इसीलिए आपको दे रहे हैं नहीं तो 400 से कम में नहीं देते हैं।

बाकी देखते हैं, अगर ज्यादा दिन ऐसे ही करते रहे तो कुछ जोक वोक सोचना पड़ेगा तुम्हारे लिए भी। उससे पहले सुधर जाओ, वोही ठीक रहेगा। 

एक सामान्य भारतीय!! 
( जिसको वीजा नहीं चाहिए) 

Sunday, September 17, 2023

पोल खोल की पोल खोल

बारिश के दिनों में अकसर सुनता पढ़ता हूं कि तेज बारिश ने नगर निगम की पोल खोल दी। तब समझ नहीं आता कि यह पोल होती क्या है, कहां होती है जो बार बार खुल जाती है। 

पोल चीज ही ऐसी है कि कभी भी किसी की भी खुल सकती है। कितनी भी बार खुल सकती है। कुछ लोगों की पोल साल में एक बार खुलती है जैसे हमारी क्रिकेट टीम की icc टूर्नामेंट के फाइनल में । कुछ लोगों की पोल हमेशा खुलती रहती है। जैसे नेताओं की पोल।सत्ता में रहने वाले नेताओं की पोल अखबार वाले खोलते हैं अगर। और जब विपक्ष में रहे तो सत्ता वाले पोल खोल देते हैं। कभी पार्टी छोड़ गुस्साया नेता कर पोल खोल देता है और कभी होटल में छुपा कैमरा पोल खोल देता है। लेकिन पोल बिना बंधे कैसे खुल जाती है , यह बात भौतिकी के मूल सिद्धांतों को चुनौती देती रहती है। 

और अगर पोल खुलती है तो कोई ना कोई बांधता जरूर होगा ताकि दुबारा खुल सके। पोल बांधने वाला जरूर व्यक्ति बहुत व्यस्त रहता होगा क्योंकि हमेशा दुनिया भर में किसी न किसी की पोल खुलती ही रहती है। जो चीज इतनी खुलती है तो उसको बांधने वाला भी कोई तो होगा। जरा गौर फरमाएं तो आधी दुनिया का काम ही पोल बांधने का है।
किसी की पोल ना खुले इसके लिए बहुत मेहनत लगती है। मेकअप करने और करवाने का पूरा उद्योग ही पोल ना खुलवाने पर आधारित है। चेहरे पर पड़ रही झुर्रियां, कील मुहांसे , दाग , सांवलापन जैसी चीजें जो आपके अक्षत यौवना होने की पोल खोल सकता है , मेकअप के द्वारा ढक दिए जाते हैं। उजड़े चमन सर को अमेजन वर्षा वनों से भी सघन केश राशि से सुसज्जित दिखाने वाले विग भी पोल बांधने वाले बृहत उद्योग का ही एक हिस्सा हैं।

स्तरहीन पटकथा, बकवास अभिनय, और बेढंग नृत्य , इन सबकी पोल खोलने से रोकने के लिए VFX और कंप्यूटर ग्राफिक्स का एक फलता फूलता उद्योग है। गर्दभ राग को भी राग मल्हार बना देने के लिए साउंड मिक्सिंग का सारा प्रपंच रचा जाता है। सारी पीआर इंडस्ट्री सेलिब्रिटी के उदार होने की पोल बांधने का ही तो काम करती हैं। 

सूची अनंत है। अपने आस पास देखिए, दस लोग पोल बांधते नजर आ जायेंगे। । यहां तक कि पोल खोलने वालों की पोल खुल जाती है कि उन्होंने फलां की पोल खोली तो अलां की पोल क्यों नहीं खोली। यह अलां और फलां के बीच ही पोल खोलने वालों को पोल बंधी होती है। लेकिन जिस तरह से हार जन्म लेने वाले की मृत्यु तय है, उसी प्रकार से हर बंधी पोल का खुलना तय है। शाश्वत सत्य है।

 पोलिंग सीजन आ रहा है, पोल खुलने और बंधने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। बस नजरें जमाए रखिए और आनंद लेते रहिए। जीवन की दौड़ में पोल पोजीसन पाने का यही तरीका है। 

Tuesday, September 5, 2023

सच का सच

ऐ सच्चाई!! क्योंकि तुम 
हमेशा जीतती हो,
इसीलिए हमेशा जीतने के गुमान
ने तुम्हें बना दिया है इतना घमंडी।

कि हमेशा जीत ने बना दिया 
है तुम्हें कड़वी
कि लोग तुम्हें कड़वी सच्चाई कहते हैं।

कि लगातार जीतने की वजह से
तुम में न बाकी रही कोई शर्म।
कि लोग तुम्हें नंगा सच बुलाने लगे हैं।

सच्चाई , सच तो ये है 
सर्वकालिक सर्वत्र विजेता 
होने के बाद भी
कोई तुम्हारा सामना नहीं करना चाहता
कोई तुमसे नजरें नहीं मिलाना चाहता।

कोई तुम्हें देखना नहीं चाहता
कोई तुम्हें सुनना नहीं चाहता।
लेकिन क्या फर्क पड़ता है तुमको
तुम तो आखिर में जीत ही जाओगी।

सत्यमेव जयते के जय घोष में
दब जायेंगी वो सब आवाजें 
जो बताती हैं सच का सच
कि कितनी बेरुखी, कड़वी और नंगी हो तुम।

Saturday, September 2, 2023

फवाद चौधरी जी आदित्य एल 1 के बाद

हमारी मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में सूरज को लेकर एक प्वाइंट ऑफ व्यू है। सूरज हमें रोज दिख जाता है। उसके उगने और डूबने का समय आसानी से अखबार में मिल जाता है। तो हमें उतने पापड़ बेलने की जरूरत नहीं है। 

हमें पता है कि सूरज बहुत गरम है और वहां इंसानों के बसने के लिए बहुत दिक्कत है। चूंकि वहां गर्मी बहुत है इसीलिए उधर रहने पर एसी का बिल बहुत आएगा। हमारी तंगेहाल तंजीम अभी इतना ज्यादा एसी का बिल चुकाने के लिए राजी नहीं है। 

जहां तक हमें पता चला है कि सूरज से हमें कोई लोन वोन मिलने की भी गुंजाइश कम ही है। जो जितना पैसा लगा कर हम अपने सायंसदानों को सूरज पर भेजेंगे, उससे सस्ते में हमारे वजीर ए आला सऊदी और दुबई जा सकते हैं और वहां से लाख दो लाख कर्जा उधार ला सकते हैं। 

हिन्दुस्तान की आवाम को पैसे खर्चने का शौक है तो वो भेजे अपने सैटेलाइट सूरज पर या उड़ाए अपने पैसे गदर 2 देख कर। हमें ना सूरज पसंद है और ना गदर 2। 

और हिंदुस्तान यह याद रखे कि हम एक शेर मुल्क हैं, और आटा चावल की कमी के कारण भूखे शेर हैं। भूखा शेर कितना खतरनाक होता है, हिंदुस्तान की आवाम और वजीरे आजम को यह पता होना चाहिए। 

हिन्दुस्तान पहले अपने यहां टॉयलेट बनाए । हमसे सीखे। हमने खाना कम कर दिया है, हमने टॉयलेट की जरूरत ही नहीं पड़ती। 

हिन्दुस्तान के साइंटिस्ट भले ही आदित्य L1 और चंद्रयान उड़ा लें, लेकिन हमारा एक एक बच्चा मौका मिलने पर बिना किसी खास तामील के पूरा एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और स्कूल तक उड़ा सकते हैं। हम हैंडपंप से भले थोड़ा डरें, L1 और चंद्रयान से बिल्कुल भी खौफजदा नहीं हैं।