टेंपू की पिछली सीट पर बैठे पुरुष को कब कह दिया जाय कि "भैया आप आगे आ जाओ, लेडीच बैठ जाएगी वहां", महादेव भी नहीं बता सकते।
राही मनवा आगे वाली सीट की चिंता क्यों सताती है, ड्राइवर ही अपना साथी है।
पिछली सीट तो है एक छांव ढलती, आती है जाती है,
ड्राइवर ही अपना साथी है।
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