यह वाक्य भूतकाल में है अगर एक खड़ी बोली बोलने वाला व्यक्ति बोल रहा है। वही भोजपुरी बोलने वाले के लिए यही वाक्य भविष्य काल में है। गौर से देखें तो भोजपुरी व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं कि फुलौरी के बिना चटनी बन सकती है, जबकि खड़ी बोली वाला व्यक्ति यह मान कर कि चटनी बन चुकी है, थोड़ा आश्चर्यचकित हो मानो सिर्फ रेसिपी पूछ रहा है।
एक और बात, भोजपुरी बोलने वाला खाने वाली चटनी की बात ही नहीं कर रहा । और फूलौरी शब्द में फूल समान प्रेमिका की व्यंजना हुई है। जबकि खड़ी बोली वाला इसको अभिधात्मक रूप में बोल रहा है। भोजपुरिया जनता फुलौरी और चटनी के बंहाने कुछ और ही बोल रही है, वहीं गाजियाबाद वाला व्यक्ति शायद समोसे के साथ वाली हरी चटनी और मोमो के साथ वाली लाल चटनी की बात सोच रहा है।
और तो और, पूरे भारत के लोग यह सोच भी नहीं सकते, कि यह वाक्य किसी अंग्रेज़ी गाने का मुखड़ा हो सकता है, ऐसा काम सिर्फ भोजपुरिया जनता ही कर सकती है। लंबार्गीनी और मर्सिडीज कार खरीद के लड़की का प्यार पाने की कोशिश कौन से बड़ी बात है, लड़की के बाप से थप्पड़ खा के भी खुद पर हसते हुए गाना गा कर रिंकी का प्यार पाने वाला ही असली भोजपुरी हो सकता है।
बाक़ी जो है ऊ त हइए है।
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