ब्रांडिंग क्या होती है इसको आसानी से समझने के लिए आपको वॉट्सएप फॉरवर्ड की दुनिया में जाना पड़ेगा। मान लीजिए आपके पास कोई सस्ती सी शायरी है, जो ज्यादा से ज्यादा किसी ट्रक के पीछे नंबर प्लेट के उपर और हॉर्न ओके प्लीज के बीच में जगह बना सकती है, लेकिन आप चाहते हो कि आपकी शायरी आज का शुभ विचार बन जाय। गुड मॉर्निंग मेसेज के रूप में हर सुबह चलने वाले लाखों संदेशों के साथ लाखों फोन में जगह बना ले। औकात कम, उम्मीद ज्यादा !! कैसे करोगे आप?
दूसरा उदाहरण लेते हैं। आपके अंदर का सस्ता ओशो जाग चुका है । किसी ट्रैफिक सिग्नल पर रोते बच्चों को 10 रुपए देने के बाद एक तरफ आप दानवीर कर्ण की तरह महसूस कर रहे हो तो दूसरी तरफ भगवान कृष्ण की तरह जिन्हें गीतोपदेश सुनाने के लिए एक रोता बिलखता अर्जुन चाहिए जो आपके सस्ते दर्शन का दर्शन पाकर आपको दार्शनिक मान बैठे। क्या करेंगे आप?
या कॉरोना महामारी से बिगड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए राहुल गांधी और रघुराम राजन का इंटरव्यू सुन आपके दिमाग में भी सोना से आलू और आलू से सोना जैसी कोई तकनीक आ गई है। आप चाहते हैं कि लोग आपकी बात को ऐसे ध्यान लगा कर सुने जैसे भारत मोदी जी के 8 बजे वाले संबोधन को सुनता है। कोई रास्ता है?
एक रास्ता तो यह है कि आप हार मानकर बैठ जाएं और ज़ाकिर हुसैन के स्टैंडअप कॉमेडी के नायक की तरह यह मान लें कि चू तो मैं हूं ही, या दूसरा तरीका है कि आप स्थिति के सामने परास्त ना हों। इफ यूं कैंट मेक इट, फेक इट वाले सिद्धांत पर भरोसा करें। ऊपर बताई गई सभी स्थितियों में आपके पास एक वस्तु है जिसे आप बेचना चाहते हैं। बेचने के लिए चाहिए ब्रांड , आपके प्रोडक्ट की एंट्री होनी चाहिए ग्रांड, और यह सब चाहिए फटाफट।
उपाय है ब्रांडिंग। आप अपनी सस्ती शायरी को एक ग्राफिक बनाओ, पीछे पहाड़ पंछी नदी जानवर जो डालना है डालो। नीचे लिखो गुलज़ार। थोड़ा ज्यादा वक़्त हो तो फोटो में गुलज़ार साब की चश्मे के हैंडल को दांतो में दबाए एक फोटो भी लगा दो।
आपके विश्वकल्याण और अर्थव्यवस्था के सुधार वाले सोना आलू वाले आइडिया को अगर बेचना है तो कुछ अलग करना पड़ेगा। गुलज़ार साब की फोटो की जगह जैक मा की फोटो लगाइए। लेकिन यह कॉविड19 के चक्कर में आजकल लोग चाइनीज का भरोसा कम करते हैं। कोई बात नहीं, अपने रतन टाटा कब काम आएंगे । अपना विचार लिखिए और नीचे नाम डालिए रतन टाटा का। बस हो गया।
आपके सस्ते दर्शन को बेचने के लिए आपकी मदद करेंगे कलाम साब। उनकी एक फोटो निकालिए, ध्यान रखिएगा कि कहीं कलाम साब की फोटो की जगह सलमान खान की तेरे नाम फिल्म वाली फोटो ना लगा दें। गूगल का आजकल भरोसा नहीं। बस आपका दर्शन भी तैयार है पूरी दुनिया पर छा जाने के लिए।
अपना वाट्सएप उठाइए, अपने सारे ग्रुप पर भेज डालिए, अपने स्टेटस पर डाल दीजिए, फेसबुक इंस्टाग्राम सब पर डालिए। लोग आपकी शायरी को गुलज़ार का मान, आपके दर्शन को कलाम का समझ कर और आपके अर्थव्यवस्था वाला आइडिया को रतन टाटा का आइडिया मान कर सर आंखों पर बिठाएंगे।
आपका विचार पूरी दुनिया में फैल जाएगा। आपका नाम भले ना आए, यह खुशी तो आपके हिस्से आएगी कि नाम भले दूसरों का हो, शब्द तो हमारे हैं। कभी गलती से आपके शब्द गुलज़ार, रतन टाटा और गुलज़ार के पास पहुंच भी गए, तो वह भी कंफ्यूज हो जाएंगे कि ऐसा मैंने कब कहा। अगर उन्होंने यह कहा भी कि भैया यह बकवास मैंने ना पेली है, तो सुनेगा कौन। उनके पास ना आपके तरह ब्रांडिंग वाली तकनीक है ना उनको वाट्सएप चलाना आता है। इसीलिए बेफिक्र होकर बोलिए। बोल कि लब आजाद हैं तेरे और सस्ता है तेरा मोबाइल डाटा ।
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