Monday, April 27, 2020

चीन की एक बच्चे की नीति

एक युवा फोटोग्राफर अपनी तस्वीरों के लिए थीम की तलाश कर रहा होता है। वह फैसला करता है कि वह कचरे के ढेर और शहर की गन्दगी की तस्वीरें लेगा। एक पुराने पुल के नीचे ली गई तस्वीरों को ध्यान से देखने पर उसे कुछ दिखता है। काले प्लास्टिक में लिपटा हुआ एक मृत भ्रूण पड़ा हुआ है। प्लास्टिक पर लिखा हुआ है " मेडिकल वेस्ट"। यह कहानी सुनाते सुनाते वह चुप हो जाता है और एक अजीब सी शांति चुप्पी सी छा जाती है। फिर वह कहता है, आप इस बच्चे को ध्यान से देखो, यह मुस्कुरा रहा है। मरने के बाद भी और कचरे पर फेंक दिए जाने के बावजूद भी क्यों मुस्कुरा रहा है? क्योंकि वह जानता है कि मरने के बाद कम से कम उस इस दुनिया में तो नहीं आना पड़ा। कचरे में पड़ा हुआ उसका मुस्कुराता मृत शरीर यह बताता है कि वह हम मानवों की दुनिया से बेहतर जगह पर है।

वर्ष 2019 में बनी डॉक्यूमेंटरी वन चाइल्ड नेशन जो चीन की एक बच्चे की नीति , उसके अमानवीय क्रियान्वयन और उसके अकल्पनीय दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालने वाला एक मार्मिक लेकिन तथ्यपरक दस्तावेज है। डॉक्यूमेंटरी देखने पर आपको पता चलेगा की प्रकृति के खिलाफ किये गए अपराधों की चीन में एक लम्बी परंपरा रही है। 4 पेस्ट पॉलिसी हो या ग्रेट स्टेप फॉरवर्ड या वन चाइल्ड पॉलिसी , चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने जितने अमानवीय कदम उठाए हैं, उसके कीमत शायद पूरी मानवता मिल कर भी ना चुका सके। यह डॉक्यूमेंट्री आपको इसका स्पष्ट इशारा करती है कि चीन कुछ भी करने में सक्षम है। भौतिक समृद्धि और राजनीतिक प्रभुत्व के लिए कोई कदम अनैतिक नहीं और नीति अमानवीय नहीं। प्रकृति के प्रति अपराधों की पराकाष्ठा तब पता चलती है जब एक बूढ़ी नर्स जिसमें50,000 से अधिक बलात गर्भपात कराए होते हैं, अपने पापों के बोझ के तले दबी हुई, अपना अंतिम समय निस्संतान दंपत्तियों के इलाज में बिताती है। बूढ़ी नर्स बताती है कि नियम ना मानने वाले लोगों के घर ढहा देने का आदेश दे दिया जाता था। उसने खुद 8-9 महीने के गर्भ का जबरन गर्भपात कराया हुआ है।
उससे भी दुखद पहलू तब उभर कर आता है जब ऐसे ह्रदय विदारक प्रसंग आप सुनते हो जहां कानून के डर से लोगों ने अपने बच्चों को बाज़ार में छोड़ दिया और दो दिन तक भी कोई उस बच्चे को उठा कर नहीं के गया और मच्छरों के काटने से बच्चे की मृत्यु हो गई। 

ऊपर के प्रसंग उन अनगिनत कहानियों में कुछ हैं जो इस डॉक्यूमेंटरी में दिखाए गए हैं। चीन का पूर्ण बहिष्कार ना सही, उससे सावधान रहने की आवश्यकता तो है ही। 
 अगर चीन वाली विकास गति के साथ अगर यह सब मिले तो अपनी भारत वाली सुस्त ही सही लेकिन मानवीय पहलू को अक्षुण्ण रखने वाली नीतियां ही सही हैं। 

अगर आप कठोर हृदय वाले हो तो ही यह डॉक्यूमेंटरी देखें। वैसे भी कहानी के हमेशा दो पक्ष होते हैं, चीन का पक्ष जाने बिना किसी अंतिम नतीजे पर पहुंचना   भी  शायद जल्दबाजी ही होगी। 

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