व्हाट्सएप कहता है – “भाई, अपने स्टेटस का घमंड मत कर, मेरी तरह 24 घंटे बाद गायब हो जाएगा!”
इंस्टाग्राम समझाता है – “सबकी ज़िंदगी एक शॉर्ट स्टोरी है, रील भी… कोई यहाँ ‘हज़ारों साल जीने’ का कॉन्ट्रैक्ट लेकर नहीं आया।”
फेसबुक फुसफुसाता है – “अच्छी चीज़ों को लोग पसंद नहीं करते, लेकिन कोई बुराई दिख जाय तो लोग टूट पड़ते हैं। अच्छे से अच्छा कपड़ा पहन के फोटो डालो तो कोई लाइक नहीं, लेकिन अगर उसी कपड़े की सिलाई थोड़ी सी उधड़ गई दिखी तो शेयर पर शेयर होंगे!”
ट्विटर याद दिलाता है – “कोई भी ‘ट्रेंड’ हमेशा के लिए नहीं होता, इसलिए अपना गुस्सा भी 280 कैरेक्टर में समेट लो।”
ज़िंदगी भी किसी यूट्यूब वीडियो जैसी है — बीच-बीच में “दुख” नाम के विज्ञापन आ ही जाते हैं।
तुम चाहे कितने ही अच्छे चैनल पर सब्सक्राइब क्यों न किए हो, ये तो होना ही है। गुस्से में स्क्रीन मत तोड़ो, वीडियो देखना मत छोड़ो, धैर्य से 5 सेकंड रुको… फिर “Skip Ad” का बटन अपने-आप दिखने लगेगा।
और ऑरकुट दादा कह गए थे – “बेटा, प्रोफ़ाइल कितनी भी सजाओ, लेकिन आख़िर में ‘डिलीट अकाउंट’ का बटन दबाना ही है।”
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