Thursday, September 25, 2025

अंधा कुआं

कभी सोचा है, ये फिकरा कैसे बना होगा
कि गहरे कुएं को कहते हैं अंधा कुआं।
कुआं अंधा नहीं होता,
गिरने वाले भी आंखों से महरूम नहीं होते,
पर भीतर उतरते ही
नज़रें बेकार हो जाती हैं,
रास्ते बंद हो जाते हैं।

नीचे गिरते लोग
बस अपनी ही आवाज़ सुनते रहते हैं,
प्रतिध्वनि की कैद में
और गहरे धँसते जाते हैं।
किसी और की बात
उनके कानों तक पहुँचती ही नहीं,
क्योंकि उनका सारा अस्तित्व
अपने ही शोर में डूबा होता है।

यही तो है असली अंधापन—
न कहीं जाना,
न किसी और को सुनना,
सिर्फ़ गिरते रहना
और अपनी ही आवाज़ में कैद हो जाना।

Wednesday, September 17, 2025

विश्वकर्मा दिवस पर विशेष


इंजीनियरिंग सिर्फ़ पुलों और मशीनों की नहीं, ज़िन्दगी की जुगाड़ों की भी भाषा है।

बचपन से ही, हम सबों में एक इंजीनियर छिपा होता है। चाहे रेनॉल्ड्स वाली बॉल पेन, जिसने लिखना बंद कर दिया हो, उसकी निब को हथेलियों के बीच रगड़ कर चलाने की जुगत लगाना हो — या उसी कलम के ढक्कन को रबड़ के छल्ले से गुलेल बनाना हो। उसी कलम से टेप रिकॉर्डर में फँसी ऑडियो कैसेट को निकालना हो।

वो हमारे अंदर का इंजीनियर ही था, जो चाहे हाथ-पैर, चेहरा और कपड़े सबमें ग्रीस की कालिख भले ही लगा ले, पर साइकिल की उतरी हुई चेन खुद ही चढ़ाना चाहता था। बड़े होने पर अपनी स्कूटर को टेढ़ा करके स्टार्ट करने की जुगत करता अधेड़ पड़ोसी अंकल भी इंजीनियर ही तो हैं।

उसी बालकनी में खड़ा अंकल का बेटा, जो बेडशीट और चादर को जोड़ उसमें गांठें लगाता है ताकि दोस्तों के साथ रात का शो देखने के लिए बालकनी से उतर सके — यह भी तो इंजीनियरिंग ही है। होली के समय किस गुब्बारे में कितना पानी भरा जाए, किस एंगल से फेंका जाए कि सीधे ‘गया-करने’ वाले अंकल को लगे, ऐसी जुगत लगाने वाले भी इंजीनियर ही हैं।

बुढ़ापे में अपने टूटे चश्मे को ठीक करता वृद्ध, और उसके बगल में बैठे उसकी फटे कुर्ते को रफ़ू कर पहनने लायक बनाती उसकी जीवनसंगिनी — ये दोनों भी तो इंजीनियर का ही काम कर रहे हैं।

इंजीनियर का असली काम यही है: सीमित साधनों में सैद्धांतिक ज्ञान का प्रयोग करके, कम ख़र्च में जीवन को सरल बनाना।
हाँ, इंजीनियर का अपना जीवन भले आसान न हो, पर आपके जीवन को आसान बनाने के लिए वह हमेशा तत्पर रहता है।

उन सभी को सलाम, जो अपने हुनर से दुनिया को बेहतर बनाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएँ और इंजीनियर्स डे की हार्दिक बधाई!


Thursday, September 11, 2025

सोशल गुरुकुल

लोग सोशल मीडिया का मज़ाक उड़ाते हैं, पर अगर ग़ौर से देखें तो ये प्लेटफ़ॉर्म ही ज़िंदगी के फ़लसफ़े समझा रहे हैं —

व्हाट्सएप कहता है – “भाई, अपने स्टेटस का घमंड मत कर, मेरी तरह 24 घंटे बाद गायब हो जाएगा!”

इंस्टाग्राम समझाता है – “सबकी ज़िंदगी एक शॉर्ट स्टोरी है, रील भी… कोई यहाँ ‘हज़ारों साल जीने’ का कॉन्ट्रैक्ट लेकर नहीं आया।”

फेसबुक फुसफुसाता है – “अच्छी चीज़ों को लोग पसंद नहीं करते, लेकिन कोई बुराई दिख जाय तो लोग टूट पड़ते हैं। अच्छे से अच्छा कपड़ा पहन के फोटो डालो तो कोई लाइक नहीं, लेकिन अगर उसी कपड़े की सिलाई थोड़ी सी उधड़ गई दिखी तो शेयर पर शेयर होंगे!”

ट्विटर याद दिलाता है – “कोई भी ‘ट्रेंड’ हमेशा के लिए नहीं होता, इसलिए अपना गुस्सा भी 280 कैरेक्टर में समेट लो।”

ज़िंदगी भी किसी यूट्यूब वीडियो जैसी है — बीच-बीच में “दुख” नाम के विज्ञापन आ ही जाते हैं।
तुम चाहे कितने ही अच्छे चैनल पर सब्सक्राइब क्यों न किए हो, ये तो होना ही है। गुस्से में स्क्रीन मत तोड़ो, वीडियो देखना मत छोड़ो, धैर्य से 5 सेकंड रुको… फिर “Skip Ad” का बटन अपने-आप दिखने लगेगा।

और ऑरकुट दादा कह गए थे – “बेटा, प्रोफ़ाइल कितनी भी सजाओ, लेकिन आख़िर में ‘डिलीट अकाउंट’ का बटन दबाना ही है।”


Saturday, September 6, 2025

ट्रंप चचा के नाम एक पत्र

चचा ट्रंप,
पाय लागू। 

ई क्या लगा रखे हो। रोज नया टैरिफ हर घंटे नया ट्वीट। चचा हम लोग भारतीय हैं और भारतीय इतनी आसानी से डरने वाले नहीं हैं। बागी 4, हाउसफुल 5, भूल भुलैया 3 और वार 2 देखकर हम भारतीयों को कुछ नहीं हुआ और तुम्हें  लगता है कि हम लोग टैरिफ से डर जायेंगे। मत भूल ट्रंप हम लोग न्यूक्लियर पावर हैं। हमें न्यूक्लियर पावर इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं करो। इधर हमने न्यूक्लियर बटन दबाया नहीं कि बॉलीवुड वाले स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर 3 और हाउसफुल 6 बना के न्यूयॉर्क में रिलीज़ कर देंगे। तुम्हारे सिनेमा थियेटर से लोग ऐसे घायल होकर निकलेंगे मानो शिंडलर्स लिस्ट 2 की शूटिंग के बाद जूनियर आर्टिस्ट निकल रहे हों। और यह तो सिर्फ नमूना है। तुम्हारी हुड़कचुल्लू वाली आदतें बनी रही तो भारत वाले विपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन बनाने में पीछे नहीं रहेगा। 

वह तो हम लोगों का दिल बड़ा है कि हम अब तक तुम्हें इग्नोर कर रहे हैं। नहीं तो देशद्रोही 2, राम गोपाल वर्मा की आग रिटर्न्स, और सड़क 3 : महेश भट्ट स्ट्राइक्स अगेन जैसे weapons off mass destruction बना के तुम्हारे देश में रिलीज़ कर देंगे। कोरोना से तो बच गए क्योंकि वह चाइनीज वायरस था और चाइनीज सामान का वैसे भी कोई गारंटी नहीं होता। हमारे हथियार के भंडार में देशद्रोही 2 और सड़क 3 जैसे खांटी देसी हथियार हैं, इनसे  बच नहीं पाओगे। अभी तो बहुत अंग्रेजी में इधर टैरिफ उधर टैक्स लगाते रहते हो , एक बार किसी का भाई किसी की जान का सीक्वल सिर्फ एनाउंस कर दिया न तो तुम्हारी हालत उस मुकेश की तरह हो जाएगी तो हर फिल्म के शुरू  होने से पहले ही ओरल कैंसर से मर जाता है। 

बाकी तुम बूढ़े हो रहे हो और बूढ़े बुजुर्ग का की हम लोग इज्जत करते हैं। लेकिन अपनी इज्जत अपने हाथ में होती है। जो भी तुम्हारी इज्जत बची खुची है, उसको भी बर्बाद करने के लिए विवेक अग्निहोत्री को बोल कर द डोनाल्ड ट्रंप फाइल्स नाम से फिल्म बनाने से कोई हमें रोक नहीं सकता। एक बार द डोनाल्ड ट्रंप फाइल्स वाली फिल्म वाशिंगटन में रिलीज़ हो गई तो तुम्हारी भी उतनी ही इज्जत बचेगी जितनी बोलो जुबां केसरी का विज्ञापन करने के बाद अजय देवगन की बची है। देवगन साब से याद आया सन ऑफ सरदार 3 से अगर बचना है तो सुधर जाओ और यह टैरिफ वाला खेला बंद करो। तुम्हारा  यह टैरिफ वाला खेला उतना ही दिन चलेगा जितने दिन आमिर खान और ट्विंकल खन्ना की फिल्म मेला सिनेमाघरों में चली थी। 

अगर मेला 2 के कहर बचना है , तो ध्यान से सुनो। हम लोग सिर्फ मदर इंडिया और लगान बनाने वाले देश नहीं है, हमारा गुस्सा मत जगाओ। याद रखना हमारे डायरेक्टर्स साजिद खान, कांति शाह ने फिल्म बनाना छोड़ा है , वो फिल्म बनाना भूले नहीं हैं। अब मैं चला अकेले थिएटर में बैठकर बागी 4 देखने। आशा करता हूं कि जिस प्रकार देर से ही सही लेकिन टाइगर श्रॉफ की थोड़ी थोड़ी दाढ़ी आ गई है, तुम्हें भी देर सबेर अकल आ ही जाएगी। 

तुम्हारा शुभचिंतक,
एक साधारण बॉलीवुड फैन

Thursday, September 4, 2025

शिक्षक दिवस पर विशेष

धरती पर सबसे ज्यादा पानी किसके पास है? आप कहेंगे सागर में। क्या आप उसका पानी पी कर अपनी प्यास बुझा सकते हैं? उत्तर होगा नहीं। उसका पानी तो। खरा है और खरा पानी पी नहीं सकते। अच्छा तो आप खारा पानी नहीं पी सकते। पीने के लिए तो मीठा पानी चाहिए। कोई बात नहीं सबसे बड़ा मीठे पानी का स्रोत क्या है? बहुत सारे हैं , भादो का महीना है तो चलिए मान लेते हैं बादल और मानसून। आपको अभी प्यास लगी है , कहिए मानसून को कि आपको एक ग्लास पानी पिला दे। आप कहेंगे कि पागल हो गया है क्या? बादल आपको कहीं एक ग्लास पानी देगा। उसको बोलना भी मत, कहीं फट गया तो तुम और तुम्हारा ग्लास कहीं बह के चल जाएगा, पता भी नहीं चलेगा। मीठे पानी वाला बादल कितना मीठा होता है वो हिमाचल वालों से जाकर पूछ लो।

चलिए गणित की ही बात करते हैं। सबसे बड़े गणितज्ञ कौन हुए हैं? फ्रेडरिक गॉस, पाइथागोरस, आर्यभट ,  रामानुजम ?? तो बताइए कि आपने कितनी बार गणित सीखने के लिए रामानुजम की किताब पढ़ी है या सीधे आर्यभट के लिखे संस्कृत के ग्रंथों का अध्ययन किया है। आप कहेंगे कि आज क्या बेतुके सवाल पूछ रहा है? रामानुजम का तो मैने नाम सुना है बस, गणित तो मैने अपने मैथ्स सर से सीखा है। थोड़ा गुस्सैल थे लेकिन जो भी सीखा उन्हीं से सीखा। वैसे ये गॉस कौन था, नाम सुना सुना लग रहा है।

Exactly.... शिक्षक किसी विषय का सबसे ज्ञानी व्यक्ति नहीं होता। न ही सबसे नामी व्यक्ति होता है। जिस प्रकार भूख मिटाने के लिए मां के हाथ की दो रोटी चाहिए होती है ना कि गीदम में रखे गेहूं के बोरे। वैसे ही प्यास तो घर का छोटा सा नल ही बुझाता है , न कि मानसून और समंदर।

शिक्षक उसी मां के हाथ की बनी रोटी और घर के नल की तरह है जो आपकी भूख और प्यास बुझाता है।
शिक्षक  जीवन ज्ञान और उसके निहित दर्शन को आपके सामने सरलतम रूप में , ग्राह्य रूप में आर सुपाच्य रूप में आपके सामने प्रस्तुत करता है। यही मानव सभ्यता के विकास का आधार है। ज्ञान और जीवन अनुभवों का सतत , सुगम , सरल और सुग्राह्य रूप में प्रवाह।

सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं।