Wednesday, June 7, 2023

हाय गर्मी

सूर्य से ताप पाकर धरती में जीवन का संचार हो उठता है। सोना गर्मी पाकर कुंदन बन जाता है। गर्मी से आम का कच्चा खट्टा टिकोला मीठा आम बन जाता है। मां पक्षी के डैनो का ताप अंडे में छुपे भ्रूण को नन्हें चूजों में बदल देता है। मिला जुला कर कहें तो क्षिति जल पावक गगन समीरा से बने किसी भी पिंड में ऊष्मा ताप जीवन का ही संचार करती है तो फिर मेरी शकल भागलपुर की गर्मी का ताप पाकर कुंदन की तरह क्यों नहीं चमक उठती। क्यों यह गर्मी शाम होते होते नाज़ी जर्मनी के कैंप से बचाए गए यहूदी अंकल जैसी हो जाती है। क्यों आम की तरह मेरी बोली गर्मी पाकर मीठा ना होकर एचडीएफसी के मैनेजर की तरह कड़वी और शुष्क हो जाती है। किसी पक्षी के अंडे की तरह गर्मी पाकर मुझमें जीवन का संचार क्यों नहीं होता बल्कि इस गर्मी में मुझे जीवन तक से ऊब होने लगती है। हाल यह है कि अब नोरा फतेही का वो हाय गर्मी वाला गाना सुनने तक की इच्छा नहीं बची।सुना है बड़े हो जाने के बाद सिर्फ प्रोफेसर्स और न्यायाधीशों को गर्मी की छुट्टी मिलती है। शायद उनको ही गर्मी के मौसम का वो सुख महसूस होता हो, बाकी तो बस गर्मी में सूख जाते हैं।