Tuesday, June 20, 2023

मधुर सरस औ अति मन भावन

सीता राम चरित अति पावन
मधुर सरस और अति मन भावन।
पुनि पुनि कितनेहू सुने सुनाए
हिय की प्यास बुझत ना बुझाए।।

राम कथा का सौंदर्य इसी में है कि यह कथा अनंत बार कही गई है और असंख्य बार सुनी गई। सुनने सुनाने का यह क्रम अनवरत चलता रहे, यही  हमारे संस्कृति की प्राणवायु समान कथा को अमर रख सकता है। आदिपुरुष के निर्देशन और पटकथा लेखन में जो गलतियां हुई हैं, उसको लेकर नाराजगी स्वाभाविक है। लेकिन ओम राउत और मनोज मुंताशिर पर गुस्सा उतना ही दिखाएं कि आगे से कोई राम कथा को गलत न सुनाए। हां इतना ध्यान अवश्य रखिए कि इतना गुस्सा ना हो जाएं कि आगे से कोई राम कथा कहने का साहस तक न करे। सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे लोग भी राम भक्त बने मनोज मुंताशिर के लिए नंगी तलवार लिए घूम रहे हैं जिनकी राम भक्ति पानी के बुलबुले की तरह अस्थाई है और जिनका लक्ष्य कुछ और ही है।  याद रखिए रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि तो राम शब्द तक का गलत उच्चारण करते थे और मरा मरा का जाप करते थे। जब मरा मरा का जाप करने पर कोई वाल्मीकि बन सकता है तो फिर राम कथा कहने की इच्छा तक रखने वाला राम का प्रिय बन सकता है।
रामकथा चाहे जिस रूप में हो , मन को आनंद देने वाली और समाज में मर्यादा की पुनर्स्थापना करने वाली है। राम ने मारीच, सुबाहु, बालि और रावण जैसों को क्षमा किया और उनको बैकुंठ प्रदान किया। मरा मरा का जाप करने वाले को अपनी कथा लिखने का अवसर दे दिए तो उनके वंशज ओम और मनोज को क्षमा तो कर ही सकते हैं। जय श्री राम।

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