Wednesday, March 24, 2021

दास्तां ए चखना

शराब या दारू की एक खास बात होती है। दारू शायद ही अकेले पी जाती है। दारू के साथ चाहिए होता है चखना। बिना चखने के साथ दारू का मजा नहीं। दारू किसी प्राइवेट कंपनी के मालिक की तरह है और चखना उसी प्राइवेट कंपनी के उस मेहनती और जुगाड़ू बंदे की तरह होता है जिसकी हर साल प्रमोशन होती रहती है। चखने का लेवल समय के साथ बढ़ता जाता है। शुरू में चखना मूंगफली और मसाला पापड़ के लेवल में रहता है। धीरे धीरे चखना तंदूरी चिकन के स्तर पर आ जाता है। लेकिन जैसा कि हमने कहा कि चखने का प्रमोशन बहुत जल्दी जल्दी होता है। जल्दी ही चखना तंदूरी के लेवल से ऊपर उठ कर बैंक बैलेंस की शकल ले लेता है। चखने में बैंक बैलेंस की प्लेट खाते समय आपका स्वास्थ्य एक साइड डिश बन जाता है। स्वास्थ्य का साइड डिश खतम होने के  बाद चखने के अगले प्रमोशन की बारी आ जाती है। दारू चखने को प्रमोशन देकर उसे रिश्तों का रूप दे देता है। अगला प्रमोशन पाते ही चखना जले भुने फ्राइड और टूटे स्क्रैंब्ल्ड रिश्तों के रूप में आता है। भुने टूटे रिश्तों वाला चखना खत्म होने के साथ साथ स्वास्थ्य वाला चखना खत्म हो जाता है। 

फिर तो चखने के प्रमोशन की झड़ी सी लग जाती है। फिर चखना प्रमोशन के लिए साल भर का इंतजार नहीं करता। कभी चखना बच्चों की फीस , कभी जमीन और कभी घर की शकल में भुन कर प्लेट में सज कर दारू का साथ निभाने आ जाता है। और जब उससे भी दारू का मन नहीं भरता तो चखना अपना सबसे बड़ा प्रमोशन लेकर जिंदगी फ्राय के रूप में आकर दारू के अंतिम पेग के साथ हलक में उतर जाता है। जिंदगी में प्रोग्रेस करनी है तो चखने से बड़ा आदर्श मिलना कठिन है।

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