महिला फोन पर : हैलो, अभी व्यस्त हो क्या?
व्यक्ति : हां मैंने हमेशा व्यस्त रहता हूं, लेकिन इतना भी नहीं कि तुमसे बात ना कर सकूं।
महिला: ठीक है ,अभी इधर आ जाओ।
व्यक्ति: लेकिन मैं अभी चाय पी रहा हूं।
महिला: इधर आ जाओ, तुम्हें यहां चाय पिला दूंगी।
व्यक्ति: यहां मैं अच्छी चाय पी रहा हूं, तुम्हारे घर की चाय रद्दी होती है।
महिला: अब आ भी जाओ।
व्यक्ति फोन रख कर अपने असिस्टेंट को कहता है, मुझे जाना होगा.. लड़की मुझे बुला रही है।
लड़की के घर पर पहुंचने के बाद..
व्यक्ति: क्या हुआ? क्या समस्या है?
महिला: तुम मेरी समस्या हो!!
व्यक्ति: अब क्या किया मैंने?
महिला: सब कह रहे हैं कि तुम मेरी कुर्सी हथियाना चाहते हो।
व्यक्ति: तुम्हें क्या लगता है?
महिला: तुम ऐसा नहीं कर सकते।
व्यक्ति: तुम्हें मैं इतना नालायक लगता हूं?
प्रसंग २:
पहला व्यक्ति: तुम शराब पीते हो?
दूसरा व्यक्ति: हां पीता हूं।
पहला: तुम्हें नहीं पीना चाहिए।
दूसरा: मैं आपके पास आता हूं, तो आप शराब पीने से मना करते हो। मैं किसी पार्टी में जाता हूं तो मेरी बीवी किसी खूबसूरत लड़की से बात करने के मना करती है। यह भी कोई ज़िन्दगी हुई?
पहला: तुम्हारी बीवी सही कहती है। शराब और लड़कियां तुम्हें बर्बाद कर देगी।
दूसरा: अब तक तो बर्बाद नहीं कर पाई। आगे भी नहीं कर पाएगी।
अगर यह कहूं कि ऊपर के दोनों प्रसंग में बातचीत देश के प्रधानमंत्री और उनके सेना प्रमुख के बीच हो रही है तो शायद आप यकीन ना करें। दोनों बातचीत में साझा व्यक्ति है फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, महिला है श्रीमति इंदिरा गांधी और दूसरे व्यक्ति हैं मोरारजी भाई देसाई।
देहरादून के शेरवुड स्कूल से दो प्रसिद्ध हस्तियां निकलीं। पहले अमिताभ बच्चन और दूसरे हैं सैम मानेकशॉ। भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की सबसे प्रसिद्ध उपलब्धि भले ही ढाका की मुक्ति हो, सैम का जीवन की उपलब्धियां अनगिनत हैं। सैम का जीवन इतिहास भारत का सैन्य इतिहास है।
सरदार पटेल के आदेश और महाराजा हरि सिंह के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद कश्मीर को पाकिस्तानी हमले से बचाने में जहां सैम की महती भूमिका थी, वहीँ विभाजन के बाद कोलकाता में हो रहे भीषण दंगों को रोकने में भी सैम खड़े थे।
कोलकाता में भीषण दंगों से परेशान सरदार पटेल ने सैम को अपने दफ्तर बुलाया।
माणिक जी , (सरदार पटेल सैम को माणिक जी बुलाते थे ) कोलकाता में क्या करें, सरदार ने पूछा।
सैम : मैं क्या कहूं? आप बताओ क्या करना है?
सरदार: वहां दंगा रोकना है। अब बताओ, तुम्हें कितना समय लगेगा, और तुम्हें कितने बंगालियों की जान लेनी पड़ेगी।
सैम : सर, करीब एक महीना लगेगा और सौ लोग की जान जाएगी।
कुछ दिनों बाद जब सरदार पटेल सैम से फिर से मिले, तो सरदार ने कहा सैम तुम झूठ बोलते हो।
सैम ने कहा, क्या झूठ कहा सर मैंने। सरदार से मुस्कुराते हुए गुजराती में कहा, तुमने कहा था कि सौ बंगाली मारोगे, एक भी नहीं मारा और दंगे शांत करवा दिया!!
सामान्यतः एक सैनिक का गौरव पूर्ण इतिहास इसका गवाह होता है कि उसने कितने दुश्मनों की जान ली, सैम ऐसे योद्धा के रूप में याद किए जाएंगे जिन्होंने 95000 युद्ध बंदियों की प्राण रक्षा की। बाद में सैम जब पाकिस्तान गए तो उनके एक सैनिक ने अपनी पगड़ी सैम के पैर पर रख दी और कहा कि आप हैं कि हम बच गए। अब हम कभी हिन्दू से नफ़रत नहीं कर सकते। यही नहीं अपने लंबे सैनिक कैरियर में सैम ने किसी को सजा नहीं दी। यहां तक कि हर कोर्ट मार्शल में उन्होंने अपने ऑफिसर को बचाया।
दूसरी बात जो सैम जो सबसे अलग बनाती है वह था उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर। ब्रिटिश सेना की तरफ से द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ते समय एक जापानी ने अपनी कार्बाइन सैम के पेट पर खाली कर दी। हॉस्पिटल में एक ऑस्ट्रेलियन डॉक्टर ने जब उनके पूछा कि जवान क्या हुआ है तुमको। अपना आधा खून गँवा चुके अर्ध मूर्छित सैम ने कहा, डॉक्टर, मुझे एक गधे ने जोर की दुलत्ती मार दी है। डॉक्टर अपनी मुस्कान तक नहीं रोक पाया।
एक इंटरव्यू में जब सैम से पूछा गया कि अगर विभाजन के समय पाकिस्तान की फौज में शामिल होने का प्रस्ताव मान लिया होता, तो क्या होता। उन्होंने मुस्कुराते हुआ कहा था कि फिर 71 की जंग पाकिस्तान जीत जाता। ऐसा आत्मविश्वास अदम्य साहस और अपने कार्यक्षेत्र में अद्वितीय होने के अहसास से आता है, जिससे वह कूट कूट कर भरे थे। उनका यह आत्मविश्वास उनके व्यवहार में झलकता था जिसके बल पर वे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को स्वीट हार्ट कह के संबोधित कर सकते थे।
आज जब बांग्लादेश अपनी पचासवीं वर्षगांठ मना रहा है, हमारे पास मौका है कि हम भारत के महानतम सपूतों में एक सैम बहादुर या फील्ड मार्शल सैम हॉर्मुश जी फ्राम जी जमशेद जी मानेकशॉ को याद करें और नमन करें। उनकी कहानियां अनंत हैं |उनके जीवन की एक एक बानगी यह वाक्य चरितार्थ कर देता है कि जीना इसी का नाम है।
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