Sunday, March 24, 2024

चंदे की चांदनी

आसमां में खरबों तारे हैं, अरबों ग्रह हैं , असंख्य उल्का पिंड हैं लेकिन मानव है कि उसको पसंद आता है चंदा। कवियों की कल्पना हो, या मां की लोरी, हर जगह चंदा ही छाया रहता है। चंदा चीज ही ऐसी है, दुनिया के जले हुए दिलों को शीतलता प्रदान करता है। दुनिया भर के प्रेमी जानते हैं कि प्रेयसी को दिल देना काफी नहीं होता। हर प्रेयसी चाहती है कि उसको प्रेमी चंदा लाकर दे। बिना चंदा सच्चा प्यार की कल्पना भी असंभव है। लेकिन चंदे का क्या है कि हमेशा एक सा नहीं मिलता। चंदे की कलाएं ही ऐसी हैं कि चंदा घटता बढ़ता रहता है। कभी बढ़ भी गया तो जलने वाले लोग कहने को आ जाते हैं कि चार दिन की चांदनी। और चंदा ना मिले तो कहते हैं कि आ गई ना अंधेरी रात।

 यह चंदा ही है जो अंधियारी रातों को रोशन कर रोमांटिक बनाता है। चंदा ना मिले तो प्रेमिका अमावस की चुड़ैल लगने लगती है, यही चंदा मिल जाए तो चौदहवीं का चांद हो जैसे गीत गुनगुना उठता है आदमी। आदमी को चाहिए चंदा, चाहे कोई भी पर्व हो , बिना चंदे के अंधेरा है। फिर महापर्व में मिलने वाला तो चंदा तो महा चंदा हुआ ना। चंदा है कि जिसको मिल गया वो वो खर्चा करता है और हम जैसों जिसको चंदा ना मिला, वो बस इसकी चर्चा ही कर सकता है।
मतलब यह कि आपको चंदा मिले या न मिले, कम मिले, ज्यादा मिले, फरक नहीं पड़ता, आप चंदे की जद से दूर नहीं जा सकते । 
जिसको चंदा दिख गया, उसकी हो गई ईद और जिसको चंदा ना मिला उसके रोजे जारी रहते हैं। चंदा मिल गया तो दिल का कमल खिल जाता है , जिसको ना मिला वो हाथ मलता रह जाता है। बस इतना ही कहना था चंदा के बारे में। बाकी आप सबको होली की शुभकामनाएं। 

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