यह चंदा ही है जो अंधियारी रातों को रोशन कर रोमांटिक बनाता है। चंदा ना मिले तो प्रेमिका अमावस की चुड़ैल लगने लगती है, यही चंदा मिल जाए तो चौदहवीं का चांद हो जैसे गीत गुनगुना उठता है आदमी। आदमी को चाहिए चंदा, चाहे कोई भी पर्व हो , बिना चंदे के अंधेरा है। फिर महापर्व में मिलने वाला तो चंदा तो महा चंदा हुआ ना। चंदा है कि जिसको मिल गया वो वो खर्चा करता है और हम जैसों जिसको चंदा ना मिला, वो बस इसकी चर्चा ही कर सकता है।
मतलब यह कि आपको चंदा मिले या न मिले, कम मिले, ज्यादा मिले, फरक नहीं पड़ता, आप चंदे की जद से दूर नहीं जा सकते ।
जिसको चंदा दिख गया, उसकी हो गई ईद और जिसको चंदा ना मिला उसके रोजे जारी रहते हैं। चंदा मिल गया तो दिल का कमल खिल जाता है , जिसको ना मिला वो हाथ मलता रह जाता है। बस इतना ही कहना था चंदा के बारे में। बाकी आप सबको होली की शुभकामनाएं।
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