यह पर्व है घर का
यह पर्व है घाट का।
है उगते सूरज का
और डूबते सूरज का।
पर्व है आस्था का
पर्व है जज़्बात का,
यह पर्व है घर का
यह पर्व है घाट का।
शुचिता से जुड़ी हर बात का
ठेकुआ और कसार की सौगात का
ना किसी वर्ग और ना किसी जात का
ना उत्पात का और ना औकात का
यह पर्व है घर का
यह पर्व है घाट का।
है जितना बिहार का
उतना ही गुजरात का
कभी महसूस करो तो लगे
यह पर्व है सारी कायनात का।
यह पर्व है घर का
यह पर्व का घाट का।
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