Tuesday, August 23, 2022

उत्थान और पतन

गुरुत्वाकर्षण का बल हमेशा हर किसी को नीचे खींचता रहता है। कोई वस्तु उपर जा रही है तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसपर गुरुत्व के बल ने काम करना बंद कर दिया है, इसका अर्थ यह है कि वस्तु ने गुरुत्वाकर्षण बल के अधिक बल विपरीत दिशा में लगा कर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को अस्थाई रूप से प्रभावहीन बना दिया है। लेकिन यह प्रभाव अस्थाई ही है क्योंकि हर उपर जा रही वस्तु पर भी उसे नीचे खींचने वाला बल सतत रूप से लगा रहता है। गुरुत्व का बल को लगातार हराना पड़ता है, हर पल हराना पड़ता है, क्योंकि हर उपर जा रही वस्तु पर नीचे लाने वाले ताकतें हमेशा लगी रहती हैं।

ऊपर ले जाने वाला बल थक जाता है, नीचे खींचने वाला बल कभी नहीं थकता। ऊपर जाना उद्यम है और नीचे गिरना अंतिम नियति।  उत्थान उद्यम है और पतन नियति। उद्यम से नियति को टाल सकते हैं , बदल नहीं सकते। लेकिन नियति से लड़ना ही पुरुषार्थ है, जीवन है, नियति के आगे विवश हो जाना ही तो मृत्यु है, अंतिम पतन है। ऐसा पतन जिसके बाद कोई उठता नहीं। पतन स्वाभाविक प्रक्रिया है, उसके लिए बल नहीं लगाना पड़ता, उत्थान स्वाभाविक नहीं है, उसके लिए बल लगाना पड़ता है। जिस दिन उत्थान का प्रयास कम हो जाता है, पतन की जीत का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। यह नियम सबके लिए शाश्वत है चाहे व्यक्ति हो, वस्तु हो, कोई संस्था हो , या साम्राज्य हो या नैतिक चरित्र, सबके लिए पतन स्वाभाविक है, शाश्वत नियति है । जग में वोही महान रहा है जिसने अपने उद्यम, संयम, प्रयास से पतनकारी शक्तियों को लगातार पराजित किया है। अपने प्रयास , उद्यम, संयम को बनाए रखें, पतन को पराजित करने की कोई और युक्ति नहीं है।

Saturday, August 20, 2022

छोटी छोटी खुशियां और मैं

बार बार जाता हूं
समंदर के किनारे
देखने कि कैसे बच्चे बनाते हैं
रेत के टीले,
और लहरों को देख खुश होते हैं,
कैसे बीनते हैं सीप के टुकड़े,
और अपनी मुठ्ठी में भर 
लेते हैं लहरों की झाग,
छोटी छोटी खुशियों से
भर जाती है उनकी झोली।

और मैं उनके साथ ही खड़ा
महरूम हूं उन सारी खुशियां से,
वक्त और तजुर्बे की मोटी चादर 
जम गई है मेरे चारों ओर
कि जिसके बाहर ही रह जा
रही हैं ये बच्चों की खुशियां
और अंदर मैं कुछ घुट सा रहा हूं।

करता हूं पुरजोर कोशिश 
कि शामिल हो सकूं उनके साथ
उन छोटी छोटी खुशियों में,
पा सकूं एक टुकड़ा अपने हिस्से की
मुस्कुराहट का।
जैसे कोई अंधा बाप दूसरों से 
सुन कर देखने की कोशिश
रहा हो अपने बेटे
की पहली फिल्म
और धीमे धीमे मुस्कुरा रहा हो
देख अपने बेटे को परदे पर
मन की आंखों से।


Saturday, August 13, 2022

हीरक जयंती पर स्वर्ण जयंती की यादें

स्वतंत्रता की पचासवीं सालगिरह वर्ष 1997, मैं नवोदय विद्यालय कटिहार में छात्र हुआ करता था। अच्छी तरह से याद है, स्टेंसिल्स की मदद की हमारे हॉस्टल में हरेक दीवार पर जय हिंद, तिरंगा, सारे जहां से अच्छा , मेरा भारत महान जैसे नारे उकेरे गए थे। अभी पच्चीस साल बाद पीछे मुड़ के देखता हूं कि देश कितना बदल गया है। एक बानगी तो यही कि उस भव्य समारोह की सिर्फ स्मृतियां हैं हमारे पास फोटो एक भी नहीं। आज के ज़माने से बहुत अलग थी वो दुनिया। हमने आजादी की पचासवीं वर्षगांठ तक पिज्जा नहीं खाया था। पिज्जा छोड़िए, राजमा और छोले भटूरे और आइसक्रीम भी नहीं खाई थी। हम लोग लाल बर्फ को ही आइसक्रीम मानते थे। चॉकलेट के नाम पर चीनी की उबली गोलियां जिसको लेमन चूस बोलते थे वोही खाई थी। किस्मी टॉफी बार और मोर्टन ही हमारे लिए चॉकलेट हुआ करते थे। डियोडरेंट और परफ्यूम का अंतर पता नहीं था। हम बस सेंट जानते थे जो शादियों में दूल्हे और हमारे म्यूजिक सर लगाया करते थे।कंप्यूटर देखा नहीं था हमने। पक्के से याद नहीं शायद सुना भी नहीं था। मोबाइल फोन हमने फिल्मों तक में नहीं देखा था। 

कुछ चीज़ें अभी बेतुकी लग सकती हैं लेकिन एक बात का खयाल रखना भी जरुरी है कि यह बिहार के एक गुमनाम से जिले के एक स्कूल छात्र के निजी अनुभव हैं। आज़ादी की स्वर्ण जयंती तक हमने जींस नहीं पहनी थी, ब्रांडेड कपड़े क्या होते हैं हमें पता नहीं था। बिसलेरी वाला पानी पीना अभी बाकी था और सोडा से कपड़े धोना सुना था, सोडा पिया भी जाता है, यह पता नहीं था। एसी में कभी नहीं बैठे थे, एसी डब्बे में सफर नहीं किया था। अपनी कार का सपना तक देखना बाकी था, सायकिल चलाना सीखना भी उधार की साइकिल से हुआ था। 

बर्थडे का पता था लेकिन बर्थडे में केक काटना और केक चेहरे पर लगाना होता है पता ना था। वेस्टर्न टॉयलेट पर नहीं बैठे थे और बाटा जूता समृद्धि की निशानी समझा जाता था। नेपाली घड़ियां जिसमें चाभी की जगह बैटरी लगती थी, कुछ लोगों के पास हुआ करती थी। चाइनीज घड़ियां, रेडियो और कैमरे नेपाल के रास्ते स्मगलर लोग लाया करते थे। बॉबी देओल स्टाइल आइकन हुआ करते थे जिनकी फिल्म गुप्त की चर्चा हर तरफ थी। अमिताभ बच्चन तब तक भी अपने आप को बूढ़ा मानने को तैयार ना थे और मृत्युदाता जैसी फिल्में कर रहे थे। 

गिनती करते करते थक जाऊंगा लेकिन शायद आज के बच्चों को पच्चीस साल पुरानी दुनिया का अहसास नहीं करवा पाऊंगा। यकीन मानिए, हमारा देश बहुत आगे बढ़ा है स्वर्ण और हीरक जयंती के बीच। सफर बहुत बड़ा है। ईश्वर की दया से अगर स्वस्थ रहा और आज़ादी की सौवी वर्षगाठ देखने का अवसर मिला तो एक सेवानिवृत वृद्ध की तरह आजादी की पचासवीं और पचहत्तरवी वर्षगाठ को याद करूंगा। पक्का यकीन है कि जिस तरह आज बैठकर यह अंदाज लगाना तक कठिन है कि 2047 में दुनिया कैसी होगी, 2047 में यह यकीन करना भी मुश्किल होगा कि 2022 में दुनिया ऐसी थी। 

आप सबको आज़ादी के अमृत महोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं। जय हिंद।🙏

Tuesday, August 9, 2022

कोउ नृप होउ हमहि का हानी।

करि कुरूप बिधि परबस कीन्हा। बवा सो लुनिअ लहिअ जो दीन्हा॥
कोउ नृप होउ हमहि का हानी। चेरि छाड़ि अब होब कि रानी॥3॥

रामचरितमानस के अयोध्या काण्ड के इस दोहे का सामान्यतया एक चौथाई ही प्रसिद्ध है और बोल चाल में प्रयुक्त होता है। कोउ नृप होउ हमहि का हानी , सामान्यतया वैसे लोग बोलते हैं जो अपने आप को राजनीतिक रूप से तटस्थ दिखाना चाहते हैं। यह एक विडंबना ही है क्योंकि यह पंक्ति मूल रूप में दासी मंथरा द्वारा रानी कैकेयी को कही गई थी और इसमें अभिधात्मक नहीं वरना व्यंजना भाव प्रमुख है। सर्वविदित है कि मंथरा की कूटनीति ने ही राम के वनवास की नींव रखी।  यह तथाकथित तटस्थ वक्तव्य हमारे इतिहास का सबसे कूटनीतिक वक्तव्य है। राजनीति ऐसी ही होती है, जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं।

Saturday, August 6, 2022

happy friendship day to all except

Happy friendship day to all my friends except those jisne kaha ki

1. Maine apne aankhon se dekha, section C wali line de rahi tumko..Pink shirt sahi lagti hai tumper..wohi pahan ke aaj class chalna..

2. Chal na Aaj night show dekh aate hain, kal ka assignment ka fikar mat kar.. bhai hai tu mera..main kar dunga Tera assignment..

3. Tujhe nahin pata nahin.. lekin main jaanta hoon.. sachcha pyar karta hai tu usse . Tu jaaker nahin bolega to main jaaker bol dunga.. de uska number abhi baat karta hoon..

4. Abe Mahatma Gandhi ki aulaad. Ek se kuch nahin hota. Aankh band kar aur gatak jaa..

5. Yeh kya Nandan aur Champak padh raha hai.. asli magazine padhega?

6. Main ek jaruri kaam se bahar nikal raha hoon, Teri bhabhi ne bulaya hoon.. us khadoos teacher ki class mein proxy laga dena .

7. Aaj main wallet Lana bhool gaya.. mera contri tu hi kar de.. ma Kasam.. next time main de dunga tere badle ..

And last but not the least .

8. Bhai engineering kar le.. bahut scope hai.. meri baat maan, life set ho jayegi..