बचपन की चुहल भरी कहानियों, जवानी की बेवकूफाना हिम्मत के किस्से और प्यार के उन नर्म पलों की याद में समय बिताना अभी दूर है। यह दूरी तय कर ही जब थक जाऊंगा, तब सुनाऊंगा वो कहानियां। अभी बस चलता जाऊंगा। राहगीर हूं अभी, चलना है तब तक जब तक सूरज चमक रहा है सर पर और आगे दिख रही है राह। शाम के धुंधलके में किस्सागोई का शौक भी पूरा करूंगा। हमारे जमाने में वाली बातें करूंगा, लेकिन अभी बस चलता रहूंगा। बस चलता रहूंगा।
What I think? I will let you know here.. Listen to the voices from my heart
Sunday, June 6, 2021
अभी बस चलता रहूंगा
चाहता हूं कि कुछ लिखूं। लेकिन गांव की यादों के बारे में नहीं लिखना चाहता, बचपन की कहानियां नहीं दुहराना चाहता। चाहता हूं आगे देखूं, आगे का लिखूं। अपना ही जीवन याद करना, nostalgia के पाश में बंधे रहना बुढ़ापे का लक्षण है। हमारे जमाने में वाले तकिया कलाम से शुरू होने वाली कहानियों से अभी दूर रहना चाहता हूं। अभी रुक कर कहानियां सुनाने की जगह नई कहानियां बनाना चाहता हूं। यादें याद करने की जगह यादगार पल जीना चाहता हूं। जीवन का एक मोड़ है यह, हां सड़क पर मोड़ आने पर चाल धीमी जरूर होती है, लेकिन इस मोड़ को मंजिल बनाने का दिल नहीं मेरा। मुझे अगले मोड़ से आगे जाना है। इस मोड़ पर हल्का मुड़ना पड़ेगा जरूर, लेकिन पीछे मुड़ कर देखूंगा नहीं। पीछे मुड़कर देखने की बात जंचती नहीं अभी, थक कर सुस्ताने की चाह नहीं अभी, अभी और चलना चाहता हूं।अभी और चलना चाहता हूं।
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