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Wednesday, May 28, 2025
सस्ता और घटिया
Sunday, May 18, 2025
राग सरकारी और गेंदा फूल
एक गाना कुछ सालों पहले चला था। ससुराल गेंदा फूल। कभी कभी लगता है, ससुराल गेंदा फूल की जगह सरकारी ऑफिस गेंदा फूल होना चाहिए। अगर आप किसी सरकारी कार्यालय के बाहर पीले-नारंगी गेंदा माला की लटकती झालरों को नहीं देख पा रहे हैं, तो समझ लीजिए वो ऑफिस मृतप्राय ही है।—या तो लंबे समय से वहां कोई नया अधिकारी आया नहीं है, या कोई विदा नहीं हुआ, कोई समारोह नहीं हुआ और न ही कोई नेता जी उस ऑफिस को झांकने आए हैं। अब भला वह भी कोई ऑफिस हुआ जहां यह सब हमेशा लगा न रहे। बिना गेंदा के प्रशासन वैसा ही है जैसे बिना IMF की मदद के पाकिस्तान। बेकार , निस्तेज और नकारा।
गेंदा फूल, वह महान पुष्प, जो विदाई और स्वागत—दोनों ही क्रियाओं का एकमात्र साक्षी है। चाहे डीएम साहब रिटायर हो रहे हों, या बड़े बाबू का प्रमोशन हुआ हो, जब तक उनकी गरदन में कम से कम तीन किलो की गेंदा माला न पड़े, तब तक कार्यक्रम "अवैध" माना जाता है।
एक समय था जब संविधान की शपथ दिलाई जाती थी, अब गेंदा माला पहनाई जाती है। माला पहनते ही आदमी का दर्जा बढ़ जाता है—उसकी चाल बदल जाती है, चेहरे पर फूलों की सुगंध नहीं, सत्ता की गंध आने लगती है।
गांव के हलवाई से लेकर शहर के फ्लोरिस्ट तक, सबको पता है कि अफसर साहब की विदाई है तो "गेंदा" ही चाहिए। गुलाब और रजनीगंधा तो अब आम जनता के विवाह-शादी में चले गए। गेंदा फूल, अब वीआईपी फूल बन चुका है।
और ये कोई साधारण फूल नहीं है। यह फूल सरकार की नीतियों की तरह लचीला है, अफसर की तरह दिखावटी है, और नेता की तरह टिकाऊ है। उसकी गंध भी कुछ वैसी ही है—थोड़ी तेज, थोड़ी अजीब, लेकिन ध्यान खींचने वाली।
सरकारी आयोजनों में यह फूल अनिवार्य हो चुका है। एक दफा तो किसी अफसर ने शिकायत कर दी थी कि माला में गेंदा कम था, रजनीगंधा ज्यादा—कार्यक्रम को अपवित्र घोषित कर दिया गया।
कभी-कभी सोचता हूँ, यदि संविधान में एक 399वां अनुच्छेद जोड़ दिया जाए: "कोई भी सम्मान या विदाई कार्यक्रम बिना गेंदा माला के अमान्य माना जाएगा।" इससे न तो कोई दुविधा होगी, न ही कोई प्रशासनिक चूक।
तो अगली बार जब आप किसी सरकारी आयोजन में जाएं, और गेंदा माला न दिखे—तो समझ जाइए, कुछ बड़ा गलत हो गया है। भारी ब्लंडर। शायद संविधान का उल्लंघन, शायद कार्यक्रम आयोजक को स्पष्टीकरण पूछने का समय आ चुका है कि गेंदा को भूल कैसे गए।
गुलाब भले ही इश्क का फूल हो, लेकिन जहां प्रशासन वाला रिस्क इन्वॉल्व्ड हो , वहां गेंदा ही काम आता है। गेंदा फूल सिर्फ एक फूल नहीं है, यह भारतीय सरकारी संस्कृति का प्रतीक बन चुका है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह सस्ता है, कांटों से रहित है, और सबसे बड़ी बात—कभी शिकायत नहीं करता। अब बताइए, एक आदर्श सरकारी अफसर में और क्या गुण चाहिए?