Monday, November 20, 2023

पर्व घर और घाट का


यह पर्व है घर का
यह पर्व है घाट का।

है उगते सूरज का
और डूबते सूरज का।
पर्व है आस्था का
पर्व है जज़्बात का,
यह पर्व है घर का
यह पर्व है घाट का।

शुचिता से जुड़ी हर बात का
ठेकुआ और कसार की सौगात का
ना किसी वर्ग और ना किसी जात का
ना उत्पात का और ना औकात का
यह पर्व है घर का
यह पर्व है घाट का।


है जितना बिहार का
उतना ही गुजरात का
कभी महसूस करो तो लगे
यह पर्व है सारी कायनात का।
यह पर्व है घर का 
यह पर्व का घाट का।





Tuesday, November 14, 2023

खेल और युद्ध

युद्ध, मानव इतिहास का एक स्थाई और सबसे मुखर पहलू है, जिसने सभ्यता की कहानी पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मानव इतिहास वास्तव में युद्धों का ही इतिहास है। हालाँकि, जैसे-जैसे समाज आगे बढ़ा, एक उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ: खेल युद्ध की मूल प्रवृत्ति के विकल्प के रूप में उभरे। यह विकास महज़ एक ऐतिहासिक जिज्ञासा नहीं है बल्कि मानवता की अपनी आक्रामक प्रवृत्तियों को पुनर्निर्देशित करने की क्षमता का एक गहरा प्रमाण है। खेल, इस पुनर्निर्देशन की अभिव्यक्ति, अभिव्यक्ति का एक शक्तिशाली साधन बन गया है, जो प्रतिस्पर्धा, कौशल और सौहार्द की भावना का प्रतीक है।

एक महत्वपूर्ण उदाहरण फ़ुटबॉल की जड़ों में छिपा है, एक ऐसा खेल जिसकी वंशावली प्राचीन युद्ध अनुष्ठानों से जुड़ी है। कहा जाता है पराजित सेना के कटे नरमुंडों को लात मारकर खेलने और विजय का उत्सव मनाने से फुटबाल खेल का प्रदूर्भव हुआ। फुटबाल का खेल अपने रणनीतिक तत्वों, टीम वर्क और क्षेत्रीय विजय के साथ, युद्धक्षेत्र युद्धाभ्यास की गतिशीलता को प्रतिबिंबित करता है। फ़ुटबॉल का मूल सार एक सैन्य अभियान की संरचित अराजकता की प्रतिध्वनि करता हुआ प्रतीत होता है, हालांकि वास्तविक युद्ध के मुकाबले बहने वाले रक्त की जगह स्वेद कणों ने ले ली है। या युद्ध का ही एक रूप तो है, भले ही कम गंभीर और अधिक मनोरंजक रूप में। जैसे-जैसे खिलाड़ी मैदान पर जीत के लिए प्रयास करते हैं, वे उन संघर्षों के प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण में संलग्न होते हैं, जिन्होंने मानव इतिहास को आकार दिया है।

क्रिकेट, एक अन्य वैश्विक खेल, अपने ऐतिहासिक संदर्भ की छाप भी रखता है। मध्ययुगीन इंग्लैंड में उत्पन्न, एक देहाती मनोरंजन से एक परिष्कृत खेल तक क्रिकेट का विकास व्यापक सामाजिक परिवर्तनों को दर्शाता है। जटिल नियम, टीम की गतिशीलता और खेल का उतार-चढ़ाव सैन्य रणनीतियों की जटिलता के समानांतर हैं। युद्ध की तरह क्रिकेट भी सावधानीपूर्वक योजना, अनुकूलनशीलता और अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता की मांग करता है। यह एक ऐसा मंच बन गया है जहां राष्ट्र सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की जटिल परस्पर क्रिया को मूर्त रूप देने के लिए केवल एथलेटिक कौशल से आगे बढ़कर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

मुक्केबाजी, विशेष रूप से हेवीवेट मैच, युद्ध से खेल में संक्रमण की एक ज्वलंत याद दिलाते हैं। प्राचीन यूनानी ग्लैडीएटर खेलों में समाहित हाथ से हाथ की लड़ाई की मूल प्रकृति, मुक्केबाजी रिंगों में आधुनिक अभिव्यक्ति पाती है। पाशविक बल, व्यक्तिगत कौशल और मुक्केबाजी की गहन प्रतियोगिता वाली आमने-सामने की प्रकृति प्राचीन रोमन काल की ग्लैडिएटर वाली लड़ाई की भावना पैदा करती है। फिर भी, खेल कौशल और नियमों के संदर्भ में, मुक्केबाजी आक्रामकता को एक अनुशासित कला में बदल देती है, जिससे पता चलता है कि मानवता ने अपनी लड़ाकू प्रवृत्ति को नियंत्रित और विनियमित करना कैसे सीख लिया है।

समकालीन परिदृश्य में, ये खेल न केवल मनोरंजन करते हैं बल्कि पहचान और समुदाय की भावना को भी बढ़ावा देते हैं। वे राष्ट्रों को मैत्रीपूर्ण प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का अवसर प्रदान करते हैं, युद्धों की विनाशकारी प्रकृति को खेल भावना की रचनात्मक भावना से प्रतिस्थापित करते हैं। जैसे-जैसे स्टेडियम वैश्विक एकता के लिए मैदान बन जाते हैं, भीड़ की दहाड़ विविध मानवता की सामूहिक धड़कन को प्रतिध्वनित करती है।

निष्कर्षतः, युद्ध से खेल तक का प्रक्षेप पथ मानव अनुकूलन क्षमता और लचीलेपन का प्रमाण है। फुटबॉल, क्रिकेट और मुक्केबाजी इस विकास के जीवित अवतार के रूप में खड़े हैं, जो ऐतिहासिक संघर्षों से प्रेरणा लेते हुए प्रतिस्पर्धा और विजय के लिए सहज मानवीय व्यवहार के लिए अधिक रचनात्मक आउटलेट प्रदान करते हैं। जैसे ही हम मैदान पर जीत और हार का जश्न मनाते हैं, हम संघर्ष को कौशल, रणनीति और साझा जुनून के तमाशे में बदलने की मानवता की क्षमता की जीत का भी जश्न मनाते हैं। 
खेल भले ही युद्ध का आधुनिक रक्तरहित रूप हो, लेकिन खेल और युद्ध में मूल अंतर यही है कि जहां युद्ध में इश्क की तरह सब कुछ जायज मान लिया जाता है, वहीं खेल में सिर्फ नीतिपरक चीज़ें ही जायज मानी जाती है। संभवतः लिखित नियमों और अलिखित परंपराओं का सम्मान जिसे संयुक्त रूप से खेल भावना कहा जाता है, युद्ध जैसी विध्वंसकारी मानव गतिविधि को भी एक मनोरंजक खेल में बदल देता है।

Thursday, November 9, 2023

कुदरत का निजाम

कुदरत का निजाम कुदरत का निजाम
बाय बाय पाकिस्तान।

सीआईडी में लाश, सर पर उसके खून का निशान
80 का स्ट्राइक रेट, किंग बाबर सबसे महान
बाय बाय पाकिस्तान।
कुदरत का निजाम, कुदरत का निजाम।

गांव में खेत, खेत में मचान
8 की इकोनॉमी, शाहीन मेरा दिल शाहीन मेरी जान,
बाय बाय पाकिस्तान।
कुदरत का निजाम, कुदरत का निजाम।

हांडी में बिरयानी, बिरयानी पर है ध्यान
हर एक्टर का बाप है हमारा रिजवान।
बाय बाय पाकिस्तान।
कुदरत का निजाम, कुदरत का निजाम।
टेबल पर किताब, किताब में है ज्ञान
कराची में टूटा टीवी और गुस्से में है बलूचिस्तान
बाय बाय पाकिस्तान।
कुदरत का निजाम, कुदरत का निजाम।

स्टेडियम में डीजे, डीजे पर नाचे इरफान
आगे से मारे हिंदुस्तान , पीछे से मारे अफगानिस्तान
बाय बाय पाकिस्तान
कुदरत का निजाम कुदरत का निजाम।



















Sunday, November 5, 2023

विश्व क्रिकेट की दशा और दिशा पर मंथन

90 के दशक में जब हमने क्रिकेट देखना शुरू किया तो पाकिस्तान हम पर हावी हुआ करता था। वकार वसीम आमिर सोहेल सईद अनवर एजाज अहमद यूसुफ योहाना और इंजमाम उल हक के नाम भारतीय प्रशंसकों के दिल में खौफ का पर्याय हुआ करते थे। अरविंद डिसिल्वा रोमेश कालू विठारना चमिंडा वास मुरलीधरन और सनथ जयसूर्या के चेहरे रातों की नींद और दिन का चैन छीन लेते थे। लारा चंद्रपौल कार्ल हूपर एंब्रोस वाल्श जैसे नाम भारतीयों के जीतने का ख्वाब शायद ही कभी सच होने देते थे। ऑस्ट्रेलिया की क्या बात करें, स्टीव वाग मार्क वाग मैक्ग्रा ली गिलेस्पी बेवन और वार्न तो हर बार भारतीय फैंस का दिल तोड़ जाते थे। यह तो बड़ी टीमें हुई, जिम्बाब्वे के ओलंगा एंडी फ्लावर और हीथ स्ट्रीक जैसे खिलाड़ी भारतीयों को कड़ी टक्कर देकर पराजित करने का माद्दा रखते थे। दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो विश्व में न किसी भी टीम के पास डोनाल्ड की तरह तेज गेंदबाज था और न कालिस की तरह कोई हरफनमौला, जोंटी रोड्स की तरह न कोई फील्डर था और न हैंसी क्रोन्ये सरीखा कप्तान।

हालिया वर्षों में या तो विश्व क्रिकेट का स्तर निरंतर गिरा है या भारतीय टीम का स्तर सामान्य से अधिक उठ चुका है। जहां श्रीलंका जिम्बाब्वे और बांग्लादेश की टीम भारत के सामने किसी क्लब स्तर की टीम दिखती है वहीं वेस्ट इंडीज क्रिकेट अपने इतिहास का एक बदसूरत कंकाल से ज्यादा कुछ नहीं दिखता। पाकिस्तान में भी वैसे खिलाड़ी नहीं बचे जो शारजाह और चेन्नई वाली जीतों को दोहरा सकें तो इंग्लैंड की टीम भी हतोत्साहित थके लड़ाकों का एक चुका हुआ झुंड मात्र प्रतीत होता है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड अभी भी एक सशक्त टीम हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया अपने 90 और 2000 वाले दशक वाली टीम की एक धूमिल परछाई से ज्यादा कुछ नहीं है।

लगातार मिल रही एकतरफा जीतों और दूसरे टीम का निरंतर गिरता प्रदर्शन भले भारतीय फैंस के लिए आनंद दायक हो, लेकिन विश्व क्रिकेट के लिए यह सुखद संदेश कतई भी नहीं है। क्रिकेट वैसे भी गिनती से 10 देशों में खेला जाता है और वहां भी अगर साथ टीमें अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही हों, तो क्रिकेट का भविष्य कोई बहुत उज्जवल प्रतीत नहीं होता।
क्रिकेट की नियामक संस्थाओं खेलने वाले देश के बोर्डों और खिलाड़ियों को मिल बैठ कर एक साझी रणनीति बनानी होगी जिससे क्रिकेट अन्य देशों में भी फैले और उसकी लोकप्रियता में इजाफा हो। एशियाड खेलों में नेपाल का बेहतरीन प्रदर्शन इसका गवाह है कि छोटे छोटे देशों में भी एक से एक क्रिकेटिंग प्रतिभा मौजूद है। अगर अफगानिस्तान जैसे समस्याग्रस्त देश से मौजूदा टीम जैसी एक जुनूनी टीम आ सकती है तो कोई कारण नहीं है कि सही दिशा देने पर आने वाले विश्वकप में 10 की जगह 32 टीमें हिस्सा ना लें। सभी क्रिकेट प्रशंसकों और सभी क्रिकेट के शुभचिंतकों को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है।