एक छोटे बक्से के भीतर,
चाहे उसे टेढ़ी रखो या आड़ी।
चाहे उसका अधिकतर हिस्सा
चला जाय बक्से के अंदर,
लेकिन एक सिरा फिर भी
बाहर झांकता रहता है ।
मानो मंजूर नहीं उसको
पूरी तरह बक्से में कैद हो जाना।
जैसे अपने हिस्से की खुली हवा
के लिए मंजूर है उसको
अपनी गर्दन फसाना बक्से के ढक्कन के बीच।
सीधी लकड़ी का बाहर झांकता सिरा
फिट नहीं होने देता बक्से के ढक्कन को,
ढंग से बंद नहीं ही पाता बक्सा
लकड़ी की वजह से।
अधखुला बक्सा छुपा नहीं पाता
उसके अंदर पड़ी तुड़ी मुड़ी तारों को।
जो लकड़ी से कहीं ज्यादा महंगी हैं
लेकिन जो मुड़ गई हैं बक्से के अनुसार।
दूसरे तारों से जुड़ने के लिए
तारें नंगी भी हुई हैं किनारों पर।
तारें जो मुड़ जाती हैं
बहुत आसानी से
जुड़ जाती हैं आसानी से दूसरी नंगी तारों से।
और आसानी से ढाल लेती हैं
अपने आप को बक्से के मुताबिक
और बना लेती हैं अपना नेटवर्क।
लेकिन सीधी लकड़ी ना मुड़ती है
और ना जुड़ती हैं आसानी से।
और ना ही बनता है
सीधी लकड़ी का कोई नेटवर्क।
लकड़ी को जोड़ने के लिए
बींधना पड़ता है उसे कीलों से।
और जुड़ने के बाद भी उनमें
वो करेंट नहीं दौड़ता।
जो दौड़ जाता है जुड़ी मुड़ी नंगी
सुचालक तारों से।
सीधी लकड़ी कुचालक कही जाती हैं
जो बिगाड़ देती हैं बक्से की हर कोशिश
उसको अपने अंदर समेटने की।
इसलिए हर बक्सा करता रहता है कोशिश
सीधी लकड़ी को तोड़ने की
पर लकड़ी है कि अपनी ज़िद पर अड़ी रहती है ।
टूट जाने पर भले पड़ी रहती है
टूटी हुई लकड़ी नंगी तारों के साथ, बक्से के अंदर ।
जब तक टूटे नहीं हर सीधी लकड़ी
बिना मुड़े, बिल्कुल सीधे
छोटे वाले बक्से की गर्दन पर खड़ी रहती है।
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