रिश्तेदार दो तरह के होते हैं। एक होते हैं रिश्तेदार जैसे बहन, साला। और दूसरे होते हैं दूर के रिश्तेदार। जैसे दूर की बहन, दूर का साला। रिश्तेदारों की बात क्या करें। रिश्तेदारों की कारनामें अगर जानना हो तो रामायण, महाभारत कुछ भी पढ़ लें, पता चल जायेगा। रामायण और महाभारत पढ़ने का समय ना हो तो पास के किसी वकील के पास कचहरी चले जाएं , नजदीकी रिश्तेदारों की कहानी आपको पता चल जायेगी। आज हम बात करेंगे दूसरे टाइप के रिश्तेदारों की , दूर के रिश्तेदारों की।
पहला रिश्ता है जीवन साथी का। आप कहेंगे पति पत्नी कहां से दूर का रिश्ता हो गया। तो सुनिए, बीवी तो हमेशा ही दूर की अच्छी लगती है। पति दूर ही रहे तभी सुहाता है, घर पर बैठा पति तो जान की आफत के जैसा है। दूर बैठा पति दो पैसे कमा के भेजता है। घर बैठे पति को सुबह गरम चाय चाहिए और रात में गरम बिस्तर। वैसे ही दूर बैठी बीवी फोन पर प्यार के दो लफ्ज़ सुनाती है, रात में खर्राटों की शिकायत नहीं करती और ना ही दीवाली की सफाई के लिए चिक चिक करती है। पति या पत्नी में दूरी का गुण मिल जाय तो पति या पत्नी चाहे कैसी भी हो सर्वगुण संपन्न लगने लगती है। शायद शादी के समय मिलाए जाने वाला छत्तीसवां गुण दूरी ही है।
बाकी के दूर के रिश्तेदारों की बात ही अलग है। हमेशा किसी शादी में मिलेंगे, मीठा मीठा बोलेंगे। अरे यह इतनी बड़ी हो गई, वो इतना बड़ा हो गया। चाहे आप पूरे मोहल्ले की ताई दिखने लगी हों , दूर वाले रिश्तेदार कहेंगे तुम तो बिल्कुल भी अपने बच्चों की मां नहीं लगती उनकी बहन लगती हो। आप खुश हो जाते हो। हालांकि इसका एक मतलब यह भी हो सकता है कि आपके बच्चे भी पूरे मोहल्ले के ताऊ जैसे दिखते हैं इसी लिए आपके भाई बहन जैसे दिखते हैं। खैर जो भी हो दूर के रिश्तेदार मिल कर क्षणिक ही सही आपको खुशी देते हैं। और उनके बच्चों को देख कर आपको अपने बच्चों के लिए नए जीवन लक्ष्य भी मुफ्त में मिल जाते हैं। जैसे उसका बेटा तो कोटा जाकर पढ़ रहा है, बेटी ने आईएएस की कोचिंग में एडमिशन लिया था, आज एक आईएएस उसका बॉयफ्रेंड है। छोटा बेटा सातवीं में ही आईआईटी के क्वेश्चन सॉल्व करता है। मिल गया आपको मैटेरियल अपने बच्चों को जीवन ज्ञान देने के लिए। और ऐसा नहीं है कि सिर्फ आपको जीवन ज्ञान मिला, आपके बच्चों को भी काफी कुछ मिल जाता है आपसे बात करने लायक। पापा उन्होंने अपने बेटे को आईफोन 14 pro मैक्स दिलाया है और आपने मुझे माइक्रो मैक्स। मम्मी उनकी बेटी शहनाज हुसैन के पार्लर से फेशियल कराती है और आप घर की बची हुई दही और हल्दी से फेशियल करती हो मेरा। फिर तो बैंक पीओ दामाद से काम चलाओ, आईएएस दामाद के लिए इन्वेस्ट करना पड़ता है बेटी में। कुछ सीखो दूर वाले अंकल आंटी से।
रिश्तेदार दूर के बहुत काम भी आते हैं। Oyo होटलों, और पार्कों में आप अक्सर दूर के cousins को एकसाथ देखते हो। अगर दूर के cousins ना हों तो होटलों का आधा धंधा तो ऐसे ही बंद हो जाय। कॉफी शॉप को ताला पड़ जाय और पार्क में सिर्फ वो बूढ़े दिखें जिनको डाक्टर ने सुबह की दवाई खाने से पहले टहलने को कहा है। मतलब यह कि यह दूर के रिश्तेदार के बदौलत ही देश के पार्कों, बाजारों और होटलों की रौनक है ।
दूर के रिश्तेदारों की बात ही अलग है। नजदीक के पड़ोसियों पर धौंस जमाने के लिए दूर के रिश्तेदारों सी अच्छी चीज आज तक नहीं बनी। बैंगलोर में रहने वाले हर बंगाली परिवार की दूर की बुआ ममता दी हैं और दिल्ली के चित्तरंजन पार्क में घूमता हर बंगाली मिथुन दा या सौरव गांगुली का रिश्तेदार है। किसी भी बिहारी से मिल लीजिए। या तो तेजस्वी उनके दूर के मामा होंगे या नीतीश दूर के फूफा। कुछ बूढ़े हुए तो वो लालू जी के साथ बीएन कॉलेज में पढ़े होंगे या सुशील मोदी की चचेरी बहु उनकी मौसेरी बहन लगेगी। असर तो पड़ता ही है। आजमगढ़ का हर लौंडा जब भाई शब्द बोलता है तो वो दुबई और कराची वाले दाऊद भाई की ही बात करता है।
बाकी अपने रिश्तेदार तो गिने चुने ही होते हैं, बाकी दुनिया पर तो दूर के रिश्तेदारों का ही कब्जा है। भगवान की बनाई सबसे नायब चीज है दूर का रिश्ता। खून के रिश्तों को बहुत मेहनत करने की जरूरत है दूर के रिश्तों की तरह बनने के लिए।
2 comments:
दुर के रिश्तेदार कभी कोई शिकायत भी नही करते ना सुनने की अपेक्षा रहती है। नजदीक के रिश्तेदार मतलब से जकडे होते है,रिश्तेदार का प्रकार इस बात पर भी ज्यादा निर्भर करता है कि हमे उसका कितना ख्याल है ,रिश्तेदार ठेकेदारी का पैमाना भी है दूर के रिश्तेदारी मे ठेकेदारी की कोई जगह नही होती ।
Satya vachan!!
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